Maha Shivratri (Mahashivratri) 2020: महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है। इस दिन लोग शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। शिव को तमाम तरह की सामग्रियां अर्पित की जाती है। ये दिन इसलिए खास माना गया है क्योंकि धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन शिव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था। कई कथाओं में शिव का ये जन्मदिवस भी माना जाता है। जिस दिन शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन शिव की विशेष पूजा की जाती है। लेकिन कुछ चीजें एसी होती हैं जो महादेव का पूजन करते समय ध्यान रखनी चाहिए…

शिवलिंग की गलत परिक्रमा न लगाएं: भगवान शिव की आधी परिक्रमा लगाई जाती है। ध्यान रखें कि शिवलिंग के बाईं तरफ से परिक्रमा शुरू करनी चाहिए और जहां से भगवान को चढ़ाया जल बाहर निकलता है, वहां से वापस लौट आएं। उसे कभी भी लांघना नहीं चाहिए। फिर विपरित दिशा में जाकर जलाधारी के दूसरे सिरे तक आकर परिक्रमा पूरी करें।

प्रसाद चढ़ाते समय बरतें सावधानी: शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि शिवलिंग के ऊपर प्रसाद न रखें। माना जाता है कि शिवलिंग के ऊपर रखा गया प्रसाद ग्रहण नहीं होता जिससे पूजा अधूरी मानी जाती है।

शिव की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं होता: मान्यता है कि शिव की पूजा में शंख का प्रयोग अच्छा नहीं माना जाता। इसके पीछे की कहानी शंखचूड़ नामक दैत्य से जुड़ी है जिसका शिव ने वध कर दिया था। शंख उसी राक्षस का अंश माना जाता है। इसलिए भोले की पूजा में इसका इस्तेमाल न करें।

अक्षत का प्रयोग सावधानी से करें: शिव की पूजा में अक्षत का प्रयोग जरूर किया जाता है लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि अक्षत टूटा ना हो। शास्त्र कहते हैं कि टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है इसलिए यह शिव जी को नहीं चढ़ता।

तुलसी का प्रयोग न करें: शिव की पूजा में तुलसी का प्रयोग कभी नहीं किया जाता। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने वृंदा के पति जलंधर का वध किया था, वृंदा के पतिव्रता धर्म को जलंधर का रुप धारण करके भगवान विष्णु ने तोड़ा था। यह बात जानने पर वृंदा ने जहां आत्मदाह किया वहां तुलसी का पौधा उग गया। वृंदा ने शिव पूजा में तुलसी के न शामिल होने की बात कही थी।

केतकी के फूल: पौराणिक कथा के अनुसार केतकी के फूल को भोलेनाथ ने श्राप दिया था कि उनकी पूजा में कभी इनका इस्तेमाल नहीं किया जायेगा। क्योंकि केतकी के फूलों ने ब्रह्मा जी के एक झूठ में साथ दिया था।

हल्दी: भगवान शिव की पूजा में हल्दी का प्रयोग भी नहीं किया जाता है। हल्दी का सौंदर्य प्रशाधन में भी एक स्थान है और शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, इसलिए भोलेनाथ को हल्दी अर्पित नहीं की जाती।