Gajlaxmi vrat 2019: 16 दिनों से चले आ रहे महालक्ष्मी व्रत का 21 सितंबर को आखिरी दिन है यानी इस दिन इस व्रत का समापन हो रहा है। इसे गजलक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है। जिन लोगों ने 16 दिनों तक इस व्रत को नहीं रखा है वह 21 सितंबर को उपवास रख सकते हैं। इस व्रत को रखने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और वैभव की कभी कमी नहीं होती।
महालक्ष्मी या गजलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि: इस व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है। इसलिए शाम के समय स्नान कर साफ सुथरे कपड़े पहनकर घर के मंदिर में माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके लिए केसर मिले चन्दन से अष्टदल बनाकर उस पर चावल रखें। एक जल से भरा कलश जरूर रखें। कलश के पास हल्दी से कमल बना लें। इस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। मिट्टी का हाथी बाजार से लाकर या घर में बनाकर उसे स्वर्णाभूषणों से सजाएं। हो सके तो इस दिन नए सोने या चांदी के आभूषण खरीदकर हाथी पर चढ़ाएं। आप चाहें तो अपनी श्रद्धानुसार सोने या चांदी का हाथी भी ला सकते हैं। वैसे इस दिन चांदी के हाथी का ज्यादा महत्व माना जाता है। ध्यान रखें कि माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें। फिर चन्दन, पत्र, पुष्प, माला, अक्षत, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल, फल मिठाई आदि से माता लक्ष्मी की पूजा करें।
पूजा के समय मां लक्ष्मी के इन नामों का जाप जरूर करें:
– ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:
– ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:
– ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:
– ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:
– ॐ कामलक्ष्म्यै नम:
– ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:
– ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:
– ॐ योगलक्ष्म्यै नम:
इसके बाद आप श्री लक्ष्मी महामंत्र या श्री लक्ष्मी बीज मन्त्र का जाप कर सकते हैं। जो इस प्रकार है:
1. श्री लक्ष्मी महामंत्र: “ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।”
2. श्री लक्ष्मी बीज मन्त्र: “ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।”
इन मंत्रों के जाप के बाद महालक्ष्मी व्रत कथा सुनें और बाद में कपूर से माता की आरती करें। (ॐ जय लक्ष्मी माता… आरती पढ़ें यहां) उनको किशमिश या सफेद बर्फी का भोग लगाएं।