Maha Shivratri (Maha Shivaratri) 2021 Puja Vidhi, Muhurat, Mantra, Samagri: आज का दिन शिव भक्तों के लिए बेहद ही खास है क्योंकि आज भगवान शिव की अराधना का सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि है। इन दिन घर परिवार में पूजा पाठ का माहौल रहता है। शिव के भक्त व्रत रख उनकी विधि विधान पूजा करते हैं। महाशिवरात्रि पर रात्रि भर जागरण करना काफी फलदायी माना जाता है। इस खास दिन पर किन बातों का रखना है ख्याल, कैसे रखें व्रत, क्या है नियम और पूजा विधि जानिए।
सबसे पहले जान लें शुभ मुहूर्त: चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 11 मार्च को दोपहर ढाई बजे के करीब हो जाएगी और इसकी समाप्ति 12 मार्च को दोपहर 3 बजे होगी। रात्रि के चारों प्रहर शिव की पूजा के लिए अच्छे माने जाते हैं। लेकिन महाशिवरात्रि में सबसे शुभ मुहूर्त पूजा का निशीथ काल माना गया है। इस दृष्टि से रात 12 बजकर 6 मिनट से रात 12 बजकर 55 मिनट तक का समय सबसे शुभ रहेगा। देखिए शिवरात्रि पूजा के सभी शुभ मुहूर्त…
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा- 06:27 पी एम से 09:29 पी एम तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा – 09:29 पी एम से 12:31 ए एम, मार्च 12
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा – 12:31 ए एम से 03:32 ए एम, मार्च 12
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा- 03:32 ए एम से 06:34 ए एम, मार्च 12
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पूजा की सामग्री: पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा, भाँग, भस्म, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, मंदार पुष्प, गाय का दूध, दही, शुद्ध देशी घी, ईख का रस, शहद, गंगा जल, साफ जल, कपूर, धूप, दीपक, रूई, चंदन, पंच फल पंच मेवा, पंच रस, इत्र, रोली, मौली, जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, शिव व पार्वती जी की श्रृंगार सामग्री, वस्त्राभूषण रत्न, दक्षिणा, कुशासन, पूजा के बर्तन आदि। अगर आप इन चीजों का प्रबंध न कर पाएं तो आप भगवान शिव को सिर्फ बेलपत्र और एक लोटा पवित्र जल भी अर्पित कर सकते हैं।
व्रत के नियम: इस दिन शिवजी को भांग, धतूरा, बिल्वपत्र, बेर और चंदन जरूर अर्पित करें। वहीं माता पार्वती को सुहागिन महिलाएं सुहाग का सामान अर्पित करें। यदि आप उपवास करते हैं तो पूरे दिन फलाहार ग्रहण करें। इस व्रत में अन्न और नमक का सेवन नहीं किया जाता है। यदि किसी वजह से नमक का सेवन कर रहे हैं तो सेंधा नमक लें।
पूजा विधि: महाशिवरात्रि व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है। संभव हो तो इस दिन शिव मंदिर जरूर जाएं। मान्यता है कि इस दिन रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते हैं। व्रत करने वाले व्यक्ति को दिन में निद्रा नहीं लेनी चाहिए और रात्रि में भी शिवजी का भजन करके जागरण करना चाहिए। इस दिन पति और पत्नी को साथ मिलकर शिवजी का भजन करना चाहिए। रात के किसी भी प्रहर में शिव की विधि विधान पूजा कर व्रत कथा जरूर सुनें। रात्रि भर जागरण करने के पश्चात व्रत खोलें।