महाशिवरात्रि के व्रत की हिंदू धर्म में महत्वता मानी जाती है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ अर्थात स्वयं शिव ही हैं। इसलिए प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि के तौर पर मनाया जाता है। महिलाओं के लिए शिवरात्रि का व्रत विशेष महत्व रखता है। अविवाहित महिलाएं अपने मन मुताबिक पति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं, वहीं विवाहित महिलाएं अपने पति और परिवार के लिए मंगलकामना करती हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा था कि आप किस वस्तु से सबसे ज्यादा प्रसन्न होते हैं तो भगवान शिव ने कहा था कि जो भक्त उनके लिए श्रद्धाभाव से व्रत करता है उनसे वो सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं। इस दिन श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शिवालयों में जलाभिषेक और पूजा अर्चना करते हैं और भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
महाशिवरात्रि मुहूर्त: नई दिल्ली, भारत के लिए निशीथ काल पूजा मुहूर्त- रात्री 24:08:27 से 24:58:08 तक होगा। जिसकी कुल अवधि 0 घंटे 49 मिनट है। इसके अलावा महाशिवरात्री पारणा मुहूर्त 2 मार्च को प्रातः 06:46:55 के बाद से है।
अभिषेक के लिए ऐसे सजायें थाली: वैसे तो महाशिवरात्रि के दिन की तैयारी पहले से ही हो जाती है। लेकिन अगर आप कुछ भी भूल रहें हैं तो हम आपको बता दें कि महाशिवरात्रि पर शिव जी का अभिषेक करने के लिए दूध, दही, चीनी, चावल और गंगाजल, बेलपत्र, फल, फूल, कच्चे चावल, सफेद तिल, खड़ा मूंग, जौ, सतुआ, धूपबत्ती, चन्दन, शहद, घी, इत्र, केसर, धतूरा, रुद्राक्ष, गन्ना या उसका रस और भस्म को पूजा की थाली में शामिल करें।
शिवलिंग पर भूलकर भी चढ़ाएं ये चीजें: शास्त्रों में वर्णन है कि भगवान शिव को कभी भी तुलसी पत्र अर्पित नहीं करने चाहिए। भगवान शिव को तुलसी अर्पित करने से वे अप्रसन्न हो जाते हैं। आजकल कुछ लोग पैकेट वाला दूध चढ़ाते हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए भले ही वह दूध से अभिषेक न करें। साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि शिवलिंग पर ठंडा और गंगा जल मिला हुआ ही दूध ही चढ़ाएं। चंपा या केतली के फूल अर्पित न करें।
साथ ही इस दिन टूटे हुए चावल यानि खंडित अक्षत भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाएं। कटे-फटे बेल पत्र न चढ़ाएं। इसके साथ ही शिवलिंग पर कुमकुम का तिलक लगाना भी निषेध होता है। हालांकि माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति को कुमकुम का टीका लगाया जा सकता है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ अर्थात स्वयं शिव ही हैं। इसलिए प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि के तौर पर मनाया जाता है।
