Maha Shivratri 2020 Rudrabhishek: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक के बारे में यजुर्वेद रुद्राष्टाध्यायी में वर्णन मिलता है। जिसके मुताबिक शिव ही रुद्र हैं। रुद्राभिषेक का अर्थ रुद्र यानि शिव का अभिषेक करना है। मान्यता है कि शिव के माथे पर गंगा विराजमान होने के कारण उन्हें रुद्राभिषेक के तौर पर गंगाजल से स्नान करना प्रिय है। इसके अलावा मान्यता ये भी है कि जब भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई तब वे इसका कारण जानने के लिए विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु जी ने जब उनकी उत्पत्ति के बारे में कहा तो वे संतुष्ट नहीं हुए और दोनों में युद्ध हुआ। जिसके बाद रुद्र शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए। जब ब्रह्मा जी को शिवलिंग का कोई आदि और अंत के बारे में पता नहीं चला तो उन्होंने शिवलिंग का अभिषेक किया। जिसके बाद भगवान शिव प्रसन्न हुए। कहते हैं कि उसके बाद से ही रुद्राभिषेक शुरू हुआ। शुक्ल यजुर्वेद में वर्णिक विधि के अनुसार रुद्राभिषेक श्रेष्ठ बताया गया है।
कहां और कैसे करें रुद्राभिषेक ?
मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना अच्छा माना गया है। घर में भी शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया जा सकता है। सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति पाने के लिए शिवलिंग का जल से रुद्राभिषेक करना चाहिए। भगवान के शिव स्वरूप का ध्यान करें। तांबे के बर्तन में शुद्ध जल भरकर इस पर कुम्कुम का तिलक लगाएं। ॐ इंद्राय नमः का उच्चारण करते हुए अभिषेक वाले पात्र पर मौली बांधें। शिव के पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए शिवलिंग पर पुष्प अर्पित करें। इसके बाद शिवलिंग पर जल की पतली धार से रुद्राभिषेक करें। रुद्राभिषेक के दौरान शिव के दूसरे मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं या रुद्राष्टाध्यायी के पांचवे अध्याय का भी पाठ कर सकते हैं। इसके अलावा रुद्राष्टाध्यायी के एकादशिनि रुद्री का ग्यारह आवृति पाठ किया जा सकता है।
शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी के मुताबिक दूध से रुद्राभिषेक करने पर पुत्र प्राप्ति और मनोकामना सिद्ध होती है। घी से रुद्राभिषेक करने पर वंश वृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करने से भी मनोकामना सिद्धि का वरदान मिलता है।
शिव के रुद्राभिषेक के लिए सबसे शुभ मुहूर्त (निशिता काल पूजा समय) 12 बजकर 09 मिनट से लेकर 22 फरवरी, 01 बजे तक है।