महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी को मनाया जाएगा। कहते हैं कि यह दिन भोलेनाथ की पूजा के लिए खास है। यही कारण है कि शिव के भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ इनका अभिषेक और रुद्राभिषेक करते हैं। शिवजी की पूजा में जल का खास महत्व है विशेष तौर पर गंगाजल का, क्योंकि माना जाता है कि भोले शंकर इससे जल्द प्रसन्न होते हैं। मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान शिव का विवाह पार्वती के साथ हुआ था, इसलिए शिव जी के साथ पार्वती की पूजा करनी चाहिए। महाशिवरात्रि पर शिव की पूजा में दीपक जलाने का खास महत्व है। आइए जानते हैं इसे
दीपक जलाने के लाभ
धार्मिक ग्रन्थों में तीन प्रकार के दीपक के बारे में बताया गया है। जिसके मुताबिक घी का दीपक जलाने से सेहत अच्छी रहती है और घर-परिवार में सुख और समृद्धि की बढ़ोतरी होती है। तिल के तेल का दीपक जलाने से रोगों से छुटकारा मिलता है। वहीं एरंड (अरंडी) तेल का दीपक जालाने से दाम्पत्य जीवन में मधुरता आती है।
कितने प्रकार की बातियां मानी गई है शुभ
दीपक के लिए रुई की बाती का प्रयोग सबसे शुभ माना गया है। सफेद कपड़े को गंगाजल में भिंगोकर बनाई गई बाती का प्रयोग करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है। दीपक में लाल रंग के कपड़े से बनी बाती का प्रयोग करने से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती है। इसके अलावा पीले रंग के कपड़े से बड़े बाती जलाने से शिव और पार्वती का आशीर्वाद मिलने की मान्यता है।
दीपक जलाने का क्या है शुभ समय
सुबह तीन से पांच बजे के बीच दीपक जलाने से पारिवारिक समस्या का समाधान होता है। साथ ही सुख-समृद्धि भी बढ़ती है। गोधूली बेला यानि सूर्यास्त से डेढ़ घंटे के बीच के समय में दीपक जलाने से नौकरी में आ रही बाधा खत्म होने की मान्यता है। वहीं संतान की चाहत रखने वालों को भी इसी समय में दीपक जलाना शुभ बताया गया है।