शिवरात्रि (Shivratri) महोत्सव समिति के 27 वें साल पर कचरा कच्च राक्षस और देश भक्ति झांकी देखना हो तो झारखंड स्थित बाबानगरी देवघर आइए। 21 फरवरी को पूरे देश में महा शिवरात्रि महोत्सव मनाया जायेगा। ‘देवघर यानी देवताओं का घर’ में भी अपने अनूठे अंदाज में इस मौके पर बाबा की शिव बारात का आयोजन किया जाता है। यहां झांकियों और बारात की भव्यता वाकई देखने लायक होती है। देवघर के बाबा बैद्यनाथ द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक माना जाता है। इस मौके पर लाखों श्रद्धालु यहां आकर बाबा का जलाभिषेक करते है। श्रद्धालु बिहार के भागलपुर सुल्तानगंज से उत्तरवाहिनी गंगानदी का जल पात्र में भर यहां लाते है। वहां पैदल या वाहनों के जरिए देवघर पहुंचते हैं। लाखों श्रद्धालुओं का जुटान बुधवार से ही होने लगा है।
पंडा समाज व नाग ग्रुप के शौभन नरौने बताते है कि 59 साल बाद महाशिवरात्रि पर मकर राशि में चंद्र और शनि का संयोग पर्व की महत्ता बढ़ाएगा। 21 फरवरी को शनि-चंद्र की मकर राशि में युति के साथ ही बृहस्पति धनु में, बुध कुंभ राशि में और शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा। यह काफी फलदायी है।
देवघर में शिव बारात के आयोजन की तैयारियां महोत्सव समिति के तहत जोर शोर से बीते एक महीने से चल रही है। इसे अंतिम रूप देने के लिए बुधवार को एक बैठक पूर्व महापौर व समिति के अध्यक्ष राजनारायण खवाड़े उर्फ बबलू खवाड़े की अध्यक्षता में हुई। बैठक में बीते साल 14 फरवरी को पुलवामा हमले की पहली बरसी पर शहीदों की कुर्बानी यादकर श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही शहीदों के परिवार में और सेना के जवानों में देश भक्ति के जज्बे को जगाए रखने के लिए राष्ट्र भक्ति गीत और झांकियां बड़े धूमधाम से निकालने का फैसला हुआ। इस आयोजन में गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के सांसद निशिकांत दुबे भी पूरी दिलचस्पी ले रहे है। वजह ये है कि देवघर उनके संसदीय क्षेत्र में आता है।
इस बार भगवान शिव की बारात में दो दर्जन से अधिक झांकियां रहेंगी, जिसमें कचरा कच्च राक्षस और देश भक्ति की झांकियां मुख्य आकर्षण का केंद्र होंगी। इसके लिए वह खुद भी तैयार है। कचरा कच्च राक्षस का मतलब समिति के संजय भारद्वाज बताते है कि कचरा खाता राक्षस दिखेंगे। जो स्वच्छता से जुड़ा है। बीते साल मी-थ्री राक्षस और उससे पहले साल बैताल पचीसा राक्षस आकर्षण का केंद्र था। भारद्वाज बताते है कि समिति हरेक साल शिवरात्रि पर एक स्मारिका का भी प्रकाशन करती है। जिसमें इससे जुड़ी कई जानकारियां होती है।
परंपरा के मुताबिक शिवरात्रि से पहले पार्वती मंदिर के गुंबज में लगे पंचशूल को उतारकर उसकी साफ सफाई की गई। पुजारी भक्तिनाथ फलाहारी बताते है कि पंचशूल की विधिवत मंत्रोचारण के साथ सरदार पंडा गुलाब चंद ओझा की अगुवाई में पांच पंडितों ने पूजा की और फिर मंदिर के गुंबज पर चढ़ा दिया गया। इस मौके पर देवघर के उपयुक्त नैंसी सहाय, एसपी नरेंद्र कुमार सिंह अपने मातहत अधिकारियों के साथ मौजूद थे। महाशिवरात्रि की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। एसपी के मुताबिक भक्तों की भीड़ के मद्देनजर 74 नाकों पर दर्शनार्थियों को कतारबद्ध करने व इनकी हिफाजत के लिए ढाई हजार पुलिस के जवान तैनात किए है।
एक पुरानी परंपरा के मुताबिक जहां रोजाना शाम को बाबा बैद्यनाथ की श्रृंगार पूजा के लिए मुकुट जेल के कैदी तैयार कर भेजते है। वहीं, शिवरात्रि के दिन बाबा की शादी का मोरमुकुट, वस्त्र, परिधान बगैरह बगल के रोहणी गांव से आता है। इसे घटवार व मालाकार परिवार तैयार करते है। गुड्डू मालाकार बताते है कि बाबा का मोर मुकुट तीन फीट ऊंचा होता है। यह परंपरा करीब डेढ़ सौ साल से भी ज्यादा से चली रही है। इसे इनके वंशज निभा रहे है। संजीव देव और चिरंजीव देव अपने को परंपरा निभाने को खुशी महसूस करते है। वे कहते है ऐसी किस्मत सबको नहीं मिलती। समिति के संयुक्त महमंत्री संजय भारद्वाज बताते है कि शहर में बिजली की सजावट करने वाले और आधुनिक साज सज्जा करने वाले 60 से अधिक डेकोरेटर, बैंड बाजे और दूसरे लोग आयोजन को भव्यता प्रदान करने में पूरा सहयोग कर रहे है। पूरे शहर में भक्ति गीतों की गंगा बह रही है।
मानव झांकी खासकर कचरा कच्च राक्षस को मूर्तरूप देने के लिए समिति के उपाध्यक्ष व कला निकेतन संचालक मार्कण्डेय जजवाड़े समेत डेढ़ दर्जन कलाकार रात दिन लगे है। इस साल 8 झांकियां कुछ खास रहेगी। ये झांकियां विभिन्न कलाकारों द्वारा तैयार की जा रही है। साथ ही हाथी, घोड़े, ऊंट भी शिव बारात का हिस्सा होंगे। मालूम रहे कि झांकियों में देवता और दैत्य दोनों के रूपों को दिखाया जाएगा। इसके अलावे पूरे शहर को बंगाल के चंदन नगर की बिजली सजावट और दूधिया रोशनी से नहला देने की तैयारी है।