Maha Shivratri (Mahashivratri) 2020: सभी देवों में महादेव की महिमा निराली है इसलिए इन्हें देवों का देव कहा गया है। शिव पुराण में भगवान शिव की महिमा को बताते हुए कहा गया है कि इनका हर रूप कल्याणकारी है। मान्यता है कि जिस पर भोलेनाथ की कृपा होती है उसके जीवन में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती है। भोलेनाथ अपने भक्तों के लिए अपना दरबार हमेशा खुला रखते हैं। शिव के हर स्वरूप की महिमा अलग-अलग बताई गई है। पुराणों में भगवान शिव के जिन स्वरूपों का वर्णन मिलता है उन्हीं में से कुछ के बारे में आगे जानते हैं।

मृत्युंजय: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव के मृत्युंजय स्वरूप की उपासना से मृत्यु पर भी विजय पाया जा सकता है। मृत्युंजय स्वरूप में भगवान शिव अमृत कलश के साथ भक्तों की रक्षा करते हैं। इनकी उपासना से अकाल मृत्यु को भी टाला जा सकता है। मृत्युंजय की पूजा से आयु की रक्षा और उत्तम सेहत का वरदान मिलता है। मृत्युंजय मंत्र- “ॐ हौं जूं सः” है।

महादेव: पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव के इस स्वरूप से ही सभी देवताओं की उत्पत्ति हुई। साथ ही भगवान शिव के इस स्वरूप से ही शक्ति का उद्भव हुआ। सम्पूर्ण देवी-देवताओं की उत्पत्ति करने के कारण
इन्हें महादेव कहा जाता है। कहते हैं कि भगवान शिव के इस स्वरूप की उपासना से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा इनकी पूजा से ग्रहों की दशा ठीक रहती है।

नीलकंठ: भगवान शिव के इस स्वरूप की महिमा बहुत निराली है। कहते हैं कि जब देवता और दानवों के बीच अमृत के लिए समुद्र मंथन हुआ था तब भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष को पीया था। भवन शिव ने विष इसलिए पीया था कि संसार की रक्षा हो सके। हलाहल विष के पीने से शिव जी का कंठ नीला हो गया था। इस कारण इन्हें नीलकंठ कहा जाता है। शिव के इस स्वरूप की उपासना से शत्रु बाधा नहीं रहती है। इनके इस स्वरूप का मंत्र’- “ॐ नमो नीलकंठाय” है।

आशुतोष: इस स्वरूप में भगवान शिव अपने भक्तों की भक्ति से बहुत जल्द खुश होते हैं। जल्द प्रसन्न होने के कारण इन्हें आशुतोष कहा गया है। मान्यता है कि मानसिक परेशानियों से निजात पाने के लिए आशुतोष स्वरूप की उपासना खास है। भगवान शिव के इस स्वरूप का मंत्र- “ॐ आशुतोषाय नमः” है।

रुद्र: भगवान शिव के इस स्वरूप को रुद्र इसलिए कहा गया है कि इनमें संघारक शक्ति है। मान्यता है कि भगवान शिव के इस स्वरूप की भक्ति से मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न होता है। शिव के रुद्र स्वरूप की उपासना का मंत्र- “ॐ नमो भगवते रुद्राय” है।