ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन यानी 5 जून को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। वैज्ञानिक नजरिए से ग्रहण जितना महत्वपूर्ण होता है उतना ही इसका ज्योतिषीय महत्व भी है। ये साल का दूसरा उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। जो 5 जून की रात 11:16 बजे से शुरू होगा और इसकी समाप्ति 6 जून को 02:32 AM पर होगी। धार्मिक दृष्टि से ग्रहण काफी अहम माना जाता है। जानिए इस दौरान क्या काम करना चाहिए और क्या नहीं…
ग्रहण का सूतक: चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस दौरान सभी तरह के शुभ कार्यों पर रोक लगा दी जाती है। यहां तक कि सूतक काल में भगवान की मूर्तियों को स्पर्श करना भी मना होता है। मंदिरों के कपाट भी ग्रहण के सूतक काल में बंद कर दिये जाते हैं। सूतक काल लगते ही गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। ग्रहण के सूतक काल में ज्यादा समय तक नहीं सोना चाहिए। धार्मिक पुस्तकों को पढ़ना चाहिए।
ग्रहण के समय क्या करें और क्या न करें (What To Do, And What Not To Do, During A Lunar Eclipse):
– ग्रहण काल के समय भोजन नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये शरीर के लिए नुकसानदायक माना गया है। घर में पके हुए भोजन में सूतक काल लगने से पहले ही तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए। इससे भोजन दूषित नहीं होता।
– सूतक एवं ग्रहण काल में अपने मन में गलत विचार नहीं लाने चाहिए। ग्रहण के समय संभोग नहीं करना चाहिए।
– भगवान की मूर्ति को ग्रहण काल में स्पर्श करने की मनाही होती है। साथ ही इस दौरान पूजा पाठ के कार्य भी नहीं किये जाते।
– ग्रहण के दौरान बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए। इसके अलावा न तो कुछ खाना चाहिए और न ही खाना बनाना चाहिए।
– ग्रहण काल के समय बच्चे, वृद्ध,गर्भवती महिला, एवं रोगी को खाना अथवा दवा लेने में कोई दोष नहीं लगता है।
– ग्रहण काल में जप, ध्यानादि करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण नहीं देखना चाहिए। क्योंकि इसका सीधा प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ सकता है। साथ ही गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय सिलाई, कढ़ाई और कैंची या चाकू से कुछ भी काटने से बचना चाहिए।