Mahadev Serial Interesting Story Of Lord Shiva And Mara Parvati: कहानी उस समय की है जब समुद्र में गिरे अमृत कलश को ढूंढने के लिए समुद्र मंथन का रास्ता निकाला गया। जो कार्य देवताओं और दानवों को मिलकर करना था। लेकिन समुद्र मंथन में से अमृत का कलश निकलने से पहले कई और रत्न भी निकलने थे। जिनमें से एक रत्न विष भी था। जिसका पान कोई नहीं करना चाहता था। माता पार्वती को इस बात का ज्ञान हो गया था कि इस विष का पान उनके पति भोलेनाथ को करना पड़ेगा। जिसे लेकर वह विचलित थीं। लेकिन भगवान विष्णु ने उन्हें समझाया कि समय आने पर आपको समझ आ जायेगा कि आपकी इस विष पान के बाद क्या भूमिका रहेगी।
लाइफ ओके चैनल के फेमस सीरियल महादेव में समुद्र मंथन की पूरी घटना को दिखाया गया है कि कैसे भगवान शिव ने दानवों और देवताओं की रक्षा के लिए विष का खुद पान कर लिया था। समुद्र मंथन शुरू होता है। जिसमें से 14 रत्न निकलने थे। समुद्र मंथन के दौरान सबसे पहले हलाहल अर्थात विष निकला। इस जहर के प्रभाव से सृष्टि नष्ट न हो जाए इसलिए भगवान शिव ने इसका पान कर लिया। विष शिवजी के कंठ से नीचे न उतरे इसलिए माता पार्वती ने उसे अपने हाथ से रोक लिया। इस विष के प्रभाव से भगवान शंकर का गला नीला हो गया और शिवजी नीलकंठ कहलाए। माता पार्वती ने शिव जी से कहा कि जिस तरह से आपने इस विष को धारण कर इसे दुनिया में फैलने से रोक लिया है वैसे ही मैं आपके कंठ में भवानी रूप में विराजमान रहूंगी और इसे आपके गले से नीचे नहीं उतरने दूंगी। इस तरह माता पार्वती भगवान शिव के कंठ में विराजित हुईं।
विष पान के समय शिव ने सर्पों को आशीर्वाद भी दिया था। कथा के अनुसार जब शिवजी विष का पान करने जाते हैं तब उनकी नजर वहां मौजूद सापों पर पड़ती हैं जो उस विष का पान कर रहे थे। तभी भगवान ने नागों को आशीर्वाद दिया कि इस संसार के कल्याण के लिए तुमने भी मेरे साथ विष का पान किया है इसलिए आज से तुम्हारी पूजा मेरी पूजा मानी जायेगी।