Lehsunia Gemstone: रत्न और ज्योतिष का परस्पर धनिष्ठ संबंध है। ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से प्रत्येक ग्रह का एक प्रतिनिधि रत्न निर्धारित किया गया है। जो मनुष्य के जीवन में उस ग्रह विशेष के दुष्प्रभावों को नष्ट करता है। रत्नों का मनुष्य के जीवन पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्नों में अलौलिक शक्तियां होती हैं यदि रत्न सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण किए जाएं तो उनका सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होता है।
आज हम बात करने जा रहे हैं लहसुनिया रत्न के बारे में। जिसको केतु ग्रह का रत्न माना जाता है। रत्न ज्योतिष के अनुसार इस रत्न के प्रभाव से इंसान की किस्मत चमकती है। वहीं अगर कोई व्यक्ति व्यापार में सफलता नहीं पा रहा, या तरक्की रुकी हुई है तो यह रत्न धारण करना बेहद लाभकारी हो सकता है। आइए जानते हैं, किन राशि वालों को इसे धारण करना चाहिए और पहनने की सही विधि क्या है…
ये लोग कर सकते हैं धारण:
रत्न शास्त्र के अनुसार वृषभ, मकर, तुला, कुंभ, मिथुन राशि के जातकों के लिए केतु से संबंधित रत्न पहनना बहुत शुभ होता है, जो लोग लहसुनिया पहनते हैं उन्हें कभी किसी की बुरी नजर नहीं लगती । अगर जीवन में आर्थिक तंगी है तो लहसुनिया रत्न धारण करने से दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। (यह भी पढ़ें)- साप्ताहिक राशिफल, 7 फरवरी से 13 फरवरी 2022: तुला, धनु और कुंभ राशि वाले लोगों के लिए व्यापार में अच्छा धनलाभ, जानिये आपके लिए कैसा रहेगा ये हफ्ता
लहसुनिया रत्न धारण करने के लाभ:
– केतु ग्रह जीवन को बहुत संघर्ष पूर्ण बनाकर कड़ा सबक सिखाता है, लहसुनिया केतु का ही रत्न है, जो इस चुनौती भरी स्थिति में भी व्यक्ति को सुख-सुविधाओं का आनंद प्राप्त करवाता है।
– अध्यात्म के मार्ग पर जाने वाले लोगों के लिए भी लहसुनिया रत्न बहुत लाभकारी होता है, इसको धारण करने से सांसारिक मोह छूटता है और व्यक्ति अध्यात्म व धर्म की राह पर चलने पड़ता है ।
– लहसुनिया के प्रभाव से शारीरिक कष्ट भी दूर होते हैं । अवसाद, लकवा व कैंसर जैसी बीमारियों में भी यह रत्न लाभदायक होता है ।
– लहसुनिया मन को शांति प्रदान करता है और इसके प्रभाव से स्मरण शक्ति तेज होती है और व्यक्ति तनाव से दूर रहते हैं।
लहसुनिया रत्न धारण करने की विधि:
लहसुनिया रत्न का प्रभाव आकार और वजन के हिसाब से पड़ता है। रत्न शास्त्र की मानें तो इस रत्न को हमेशा के लिए धारण नहीं कर सकते हैं। लहसुनिया रत्न कुंडली में केतु के अशुभ स्थान में और अशुभ परिणाम देने के समय ही धारण किया जाता है। आपको बता दें कि व्यक्ति को वजन के मुताबिक ही इसे पहनना चाहिए। अगर किसी व्यक्ति का 60 किलो वजन है, तो वह सवा 6 रत्ती या सवा 7 रत्ती का लहसुनिया धारण कर सकता है। (यह भी पढ़ें)- Rashi Parivartan 2022 : फरवरी माह में सूर्य, शुक्र और मंगल करेंगे गोचर, इन 5 राशि वालों को हो सकता है जबरदस्त धनलाभ