कई लोग ज्योतिष विद्या को मानते हैं और इसके जरिए अपनी लाइफ के बारे में बहुत कुछ पता करना चाहते हैं। बहुत से लोग ज्योतिषी सीखने के भी शौकिन होते हैं। ज्योतिष ज्ञान में आप जानेंगे कि किन योगों से पता चलता है कि आप जीवन में कैसा मुकाम हासिल करेंगे। वैसे तो भारतीय ज्योतिष में हजारों योग बताए गए हैं लेकिन यहां आप जानेंगे कि किस आसान तरीके से आप कुण्डली देखते ही ये समझ जाएंगे कि व्यक्ति की जीवन में सफलता पाने की क्या स्थिति रहेगी।
जीवन में कितनी ऊंचाइयां आप हासिल करेंगे इस बात का पता लगाने के लिए कुण्डली में 4 चीजें देखनी पड़ती हैं। लग्न की शक्ति, चन्द्र की शक्ति, सूर्य की शक्ति, दशम भाव की शक्ति। अगर लग्नेश, चंद्र राशि का स्वामी, सूर्य राशि का स्वामी और दसवें भाव का स्वामी शुभ हो तो कुण्डली में सफलता का योग बनता है। साथ ही हमें लग्न यानि पहला भाव, चंद्र राशि वाला भाव, सूर्य राशि वाला भाव, और दशम राशि वाला भाव भी देखना पडेगा। जब किसी भाव को देखना हो तो 4 बातों का विशेष ध्यान रखें –
इन भाव में शुभ ग्रह होने से व्यक्ति की स्थिति मजबूत होती है।
इन भाव में शुभ ग्रहों की दृष्टि होना भी शुभ माना जाता है।
भाव पर भावेश की दृष्टि भी शुभ होती है।
इन भाव के दोनों तरफ शुभ ग्रह होने से भी भाव का बल बढ़ता है।
इसके विपरीत इन भावों में अशुभ ग्रह होने पर भाव कमजोर होता है।
इन 4 नियम के आधार पर लग्न, चंद्र, सूर्य और दशम की स्थिति को देखकर किसी की भी कुण्डलीसे उसकी जीवन स्थिति के बारे में पता लगा सकते हैं। इस वीडियो में इतना ही, धन्यवाद।
ग्रहों के शुभ-अशुभ फल जानने के नियम:
– जो ग्रह अपनी उच्च राशि और अपने या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो तो वह शुभ फल देगा। लेकिन यदि ग्रह नीच राशि में या फिर अपने शत्रु की राशि में हो तो अशुभ फल देगा।
– कुंडली में कोई ग्रह यदि अपनी राशि पर दृष्टि डालता है तो वह देखे जाने वाले भाव के लिए शुभ फल देता है।
– जो ग्रह अपने मित्र ग्रहों के साथ या फिर मध्य में हो वह शुभ फलदायक होता है। यहां मध्य से मतलब अगली और पिछली राशि में ग्रह के होने से है।
– जो ग्रह अपनी नीच राशि से उच्च राशि की तरफ भ्रमण करे और अपनी वक्री अवस्था में न हो।
– लग्नेश का मित्र होना। त्रिकोण के स्वामी भी सदैव शुभ फल देते हैं।
– क्रूर भावों 3, 6, 11 के स्वामी अशुभ फल देते हैं। उपाच्य भावों 1, 3, 6, 11, 11 में ग्रह के कारकत्व में वृद्धि होती है।
– दुष्ट स्थानों 6, 8, 12 में ग्रहों के होने से अशुभ फल प्राप्त होता है। शुभ ग्रह केन्द्र 1, 4, 7, 11 भावों में शुभफल देते हैंवहीं पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
– चन्द्र की राशि, उसकी अगली और पिछली राशि में जितने अधिक ग्रह होते हैं उतना ही चन्द्र शुभ होता है।
– बुध, राहु और केतु जिस भी ग्रह के साथ होते हैं उसी के अनुसार ही फल देते हैं।
– सूर्य के निकट वाले ग्रह अस्त हो जाते हैं जो अशुभ फल देते हैं।