श्रीकृष्ण जन्माष्टमी शुक्रवार यानी 19 अगस्त को मनाई जाएगी। कुछ हिस्सों में गुरुवार, 18 अगस्त को भी जन्माष्टमी मनाई जा रही है। ऐसी मान्यता है कि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को रात्रि में माता देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। वह देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान थे। जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल गोपाल या लड्डू गोपाल रूप की पूजा की जाती है।

Krishna Ji Ki Aarti: यहां पढ़े श्री कृष्ण जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी

इस दिन बाल श्रीकृष्ण को पालने में झूला झुलाया जाता है और विधि विधान से पूजा की जाती है। पूजा आरती के साथ समाप्त होती है, जो महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण जी की आरती कैसे करें और इसकी विधि क्या है?

श्रीकृष्ण जी की आरती की विधि

जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण को वस्त्र, आभूषण, तिलक, फूल, माला आदि से सजाएं। फिर उनकी पूजा करें और भोग लगाएं। इसके बाद आरती करें। आरती के लिए घी के दीपक का प्रयोग करें। दीप प्रज्ज्वलित करने के बाद नीचे दी गई आरती गाएं। इस दौरान घंटी और शंख बजाते रहें। आरती पूरी होने के बाद दीपक को घर में हर जगह ले जाएं ताकि घर के अंदर की नकारात्मकता दूर हो जाए। जब दीपक ठंडा हो जाए तो इसे एक तरफ रख दें।

भगवान श्रीकृष्ण की आरती

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला,
श्रवण में कुंडल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली,
लटन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक।

चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की।

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं,
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग।

मधुर मिरदंग ग्वालिन संग, अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की।

जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा,
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस।

जटा के बीच, हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की।

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू,
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू।

हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद,
कटत भव फंद, टेर सुन दीन दुखारी की।

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।