कृष्ण भूमि मथुरा, वृन्दावन, इस्कॉन मंदिरों समेत देश के कई इलाकों में आज जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। आपको बता दें कि इस बार जन्माष्टमी की तिथि में मतभेद होने के कारण 23 अगस्त को भी जन्माष्टमी मनाई गई थी। वृन्दवान के बांके बिहारी मंदिर में भी कल कृष्ण जन्मोत्सव का पर्व मनाया गया। लेकिन रोहिणी नक्षत्र को महत्ता देने वाले लोग आज कृष्ण जयंती मनाएंगे। कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा आधी रात को की जाती है और पूजा में कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। जानें जन्माष्टमी पूजन विधि, सामग्री, कृष्ण जी की श्रंगार की वस्तुएं और मंत्र इत्यादि…

जन्माष्टमी पूजा सामग्री (Janmashtami Puja Samagri) :

भगवान कृष्ण की पूजा सामग्री में एक खीरा, चौकी, पीला साफ कपड़ा, कृष्ण के बाल रूप की मूर्ति, सिंहासन, पंचामृत, गंगाजल, दूध, दही, शहद, दीपक, घी, बाती, धूपबत्ती, चंदन, अक्षत यानी साबुत चावल, तुलसी का पत्ता, माखन, मिश्री, भोग सामग्री का होना जरूरी होता है।

श्रंगार सामग्री: कृष्ण के जन्म के बाद उनका विशेष श्रंगार किया जाता है। जिसके लिए आपके पास इत्र, भगवान के लिए नए वस्त्र, बांसुरी, मोरपंख, गले के लिए वैजयंती माला, मुकुट, हाथों के लिए कंगन होने चाहिए। बाकी आप अपने इच्छा अनुसार भी श्रंगार सामग्री का प्रयोग कर सकते हैं।

ऐसे करें पूजा (Janmashtami Puja Vidhi in Hindi) :

बाल गोपाल का जन्म होने के बाद उन्हें सबसे पहले दूध, दही, घी, फिर शहद से स्नान कराएं। गंगाजल से उनका अभिषेक करें। स्नान कराने के बाद पूरे भक्ति भाव के साथ एक शिशु की तरह भगवान के बाल स्‍वरूप को लगोंटी अवश्‍य पहनाएं। जिन चीजों से बाल गोपाल का स्नान हुआ है, जिसे पंचामृत कहते हैं उसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। फिर भगवान कृष्ण को नए वस्त्र पहनाएं। भगवान के जन्म के बाद गीत गाएं। कृष्णजी को आसान पर बैठाकर उनका श्रृंगार करें। अब उनको चंदन और अक्षत लगाएं और उनकी पूजा करें। इसके उपरान्त भगवान को भोग की सामग्री अर्पण करें। भोग में तुलसी का पत्ता जरूर इस्तेमाल करें। भगवान को झूले पर बिठाकर झुला झुलाएं और गीत गाएं।

जन्माष्टमी मंत्र: कृष्ण जन्मोत्सव के उपरान्त कृष्ण का पूजन एवं श्रृंगार करें। फिर इस मंत्र का जाप करें- श्री कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने प्रणत: क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः।