जन्माष्टमी 2019: ज्योतिष गणना के अनुसार साल 2019 में भगवान कृष्ण का 5245वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। हिंदू कैलेंडर के अनुसार विक्रम संवत 2076 चल रहा है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण द्वापर युग के वर्ष 8,60,931 में जन्में थे। भगवान कृष्ण के जन्म दिवस को आज भी बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। हर बार की तरह जन्माष्टमी दो दिन सेलिब्रेट की जायेगी। इस बार 23 अगस्त शुक्रवार को अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का संयोग शुभ माना जा रहा है। जिस कारण कुछ लोग इसी दिन जन्माष्टमी मनाएंगे। वहीं वैष्णव संप्रदाय व साधु संतों की कृष्णाष्टमी 24 अगस्त को उदया तिथि अष्टमी और औदयिक रोहिणी नक्षत्र से युक्त सर्वार्थ अमृत सिद्धियोग में मनाई जाएगी।
किस दिन करें व्रत: भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि में उदय होने वाले चन्द्रमा के दर्शन अधिक शुभ माने जाते हैं। मान्यता है कि चन्द्रवंश में इसी चन्द्रोदय के समय भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। ज्योतिषियों के अनुसार यह चन्द्र उदय दर्शन का संयोग साल में केवल एक ही बार होता है जो इस बार 23 अगस्त की रात को बन रहा है। ऐसे में इसी दिन व्रत रखना ज्यादा उत्तम साबित होगा।
व्रत विधि: जन्माष्टमी के व्रत में अष्टमी तिथि को उपवास रखा जाता है और इसका पारण नवमी तिथि को किया जाता है। व्रत रखने वाले जातकों को जन्माष्टमी के दिन प्रात: स्नान करके सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मा आदि को नमस्कार करना चाहिए और फिर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुखकर के बैठे। इसके बाद हाथ में जल, फल, कुश, फूल और गंध लेकर के मंत्र जाप के साथ व्रत करने का संकल्प करें। संकल्प करने के लिए मंत्र- ‘ममाखिलपापप्रशमनपूर्वकसर्वाभीष्टसिद्धये श्रीकृष्णजन्माष्टमीव्रतमहं करिष्ये’।
इस व्रत को कुछ लोग फलाहारी तो बहुत से भक्त निर्जला रखते हैं जिसमें मध्यरात्रि में भगवान की पूजा करने के बाद ही जल और फल ग्रहण किया जाता है। मध्यरात्रि में कान्हा की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है और संतान को दीर्घायु की भी प्राप्ति होती है।