अक्सर श्रद्धा और भक्ति के लिए और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए व्रत रखते हैं। व्रत या उपवास वैज्ञानिक रूप से भी रखा जाता है और आध्यात्मिक रूप से भी रखा जाता है। विज्ञान भी कहता है कि व्रत-उपवास रखना फायदेमंद है और आध्यात्म भी कहता है कि व्रत और उपवास रखना लाभकारी होता है। इसका मूल उद्देश्य वैज्ञानिक रूप से ये होता है कि शरीर हमारा स्वस्थ हो जाए, शरीर शुद्ध हो जाए।
आध्यात्मिक रूप से व्रत रखने से मन और आत्मा को नियंत्रित किया जाता है। मन और आत्मा दोनों नियंत्रण में आ जाते हैं। अलग-अगल तिथियां और अलग-अलग तरह के दिन आपके मन को और आपके शरीर को अलग-अलग तरह से प्रभावित करते हैं। या अलग-अलग तिथियों के हिसाब से या अलग-अलग दिनों के हिसाब से मन विभिन्न प्रकार से प्रभावित होता है। इसको ध्यान में रखकर अलग-अलग तिथियों और दिनों को उपवास या व्रत का विधान बनाया गया है। किस तिथि का हमारे शरीर पर, हमारे मन पर कैसा असर पड़ेगा। या किस दिन का हमारे मन पर शरीर पर कैसा असर पड़ेगा उसको ध्यान में रखकर व्रत और उपवास के नियम बनाए गए हैं।
विशेष तिथियों या दिनों को व्रत-उपवास रखने से शरीर और मन तो शुद्ध होता ही है साथ ही इससे मनचाही इच्छा भी पूरी हो जाती है। व्रतों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण जो व्रत माने जाते हैं वे हैं-एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या और नवरात्रि। ये व्रत सामान्य तौर पर पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पवित्र माने जाते हैं। कहते हैं कि मनुष्य एकादशी का नियमित रूप से व्रत रखता है तो उसके मन की चंचलता समाप्त हो जाती है। साथ ही साथ धन और आरोग्य की भी प्राप्ति होती है। अगर कोई व्यक्ति पूर्णिमा या अमावस्या का व्रत रखता है क्योंकि ये भी व्रत बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। पूर्णिमा और अमावस्या का व्रत रखने से हार्मोन्स की समस्या ठीक हो जाती है।
साथ ही जिन्हें मानसिक बीमारियां हैं वे भी इससे निजात पा लाते हैं। इसके अलावा साल में दो बार ऋतुओं की संधियां पड़ती है। एक बार गर्मी शुरू होने के पहले और एक बार सर्दी शुरू होने के पहले। उस समय शरीर की धातुओं को संतुलित करने के लिए नवरात्रि के व्रत का विधान है। एक वासंतिक नवरात्रि जो तकरीबन मार्च या अप्रैल में पड़ती है और एक शारदीय नवरात्रि जो तकरीबन अक्टूबर या नवंबर में पड़ती है। उस समय मौसम के बदलने से हमारे शरीर पर, हमारे मन पर कोई असर न पड़े। इसलिए नवरात्रि के व्रत का विधान बनाया गया है। वर्ष में अगर कोई व्यक्ति केवल दोनों नवरात्रियों में नौ-नौ दिन का उपवास रखता है तो उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा साल भर स्वस्थ भी बने रह सकते हैं।