मान्यताओं के मुताबिक शनि साढ़े साती हर व्यक्ति की कुंडली में एक ना एक बार तो अवश्य ही लगती है। ऐसा माना जाता है कि शनि साढ़े साती के किसी को नकारात्मक परिणाम झेलने पड़ते हैं तो किसी को इसके सकारात्मक परिणाम भी मिलते हैं। शनि साढ़े साती को ज्यादातार लोग नकारात्मक प्रभाव देने वाला ही मानते हैं। लेकिन साढ़े साती के सकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। शनि साढ़े साती के मुख्य स्वामी शनिदेव हैं। शनिदेव की कृपा से ही शनि साढ़े साती के विभिन्न प्रकार के सहने पड़ते हैं।

क्या आप जानते हैं कि शनि साढ़े साती के दौरान साढ़े साती का प्रभाव आपके शरीर पर भी होता है। ज्योतिषों का मानना है कि साढ़े साती साढ़े सात साल की होती है। इसलिए ही इसे साढ़े साती कहा जाता है। इन साढ़े सात वर्षों के दौरान शरीर के अलग-अलग अंग प्रभावित होते हैं।

शनि साढ़े साती के शुरुआती 10 महीने में मस्तिष्क पर प्रभाव डालती है। माना जाता है कि यह अवधि सुखदायक होती है।

मस्तिष्क के बाद शनि साढ़ेसाती का प्रभाव चेहरे पर होता है। माना जाता है कि अगले 3 महीने 10 दिन के लिए साढ़े साती का नकारात्मक प्रभाव चेहरे पर होता है।

अगले 3 महीने 10 दिन के लिए शनि साढ़ेसाती का असर दाहिनी आंख पर होता है। इसे शुभ माना जाता है। जबकि अगले 3 महीने 10 दिन के लिए साढ़ेसाती का प्रभाव बाईं आंख पर होता है। इसका प्रभाव भी शुभ होता है।

इसी चरण में आगे बढ़ते हुए अगले 1 वर्ष 1 महीने और 10 दिन के लिए शनि साढ़े साती का असर व्यक्ति के दाहिनें हाथ में होता है। जबकि अगले 1 वर्ष 1 महीने और 10 दिन के लिए साढ़ेसाती का प्रभाव बाएं हाथ में होता है। इस अवधि को शुभ माना जाता है।

आचार्यों का मानना है कि अगले 1 वर्ष 4 महीने और 20 दिन के लिए साढ़ेसाती का प्रभाव हृदय पर होता है। इसे शुभ माना जाता है। कहते हैं किस से धन लाभ के योग बनते हैं।

इसके बाद 10 महीने के लिए दाहिने पैर और 10 महीने के लिए बाएं पैर पर शनि साढ़ेसाती का असर पड़ता है। इसे यात्रा के लिए शुभ समय माना जाता है। जबकि यह भी कहा जाता है कि यह समय संघर्ष करवाता है।

साढ़े साती का अंत कष्ट और मानसिकता तनाव के साथ होता है। यह 6 महीने 20 दिन की अवधि के लिए रहता है। इस समय को बहुत कष्टदायी माना जाता है।