Chanakya Neeti on Love: आचार्य चाणक्य इतिहास के एक महान विद्वान माने जाते हैं जिनकी नीतियों ने चंद्रगुप्त जैसे एक बालक को भारत का सम्राट बना दिया था। साथ ही साथ वो एक कुशल राजनीतिज्ञ भी थे। चाणक्य ने मानव समाज के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण बातें बताई हैं जिनका अनुसरण करके आप अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं। खासकर युवाओं में इनकी नीतियां काफी लोकप्रिय है। महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री चाणक्य ने प्रेम के रिश्ते के बारे में कुछ ऐसी बात कही है जो आम धारणा से बिलकुल अलग है। आइए जानते हैं प्रेम को लेकर चाणक्य ने किन बातों का किया है उल्लेख-
जिससे प्रेम उसी से भय: चाणक्य नीति में आचार्य ने प्रेम के बारे में एक श्लोक “यस्य स्नेहो भयं तस्य स्नेहो दुःखस्य भाजनम्। स्नेहमूलानि दुःखानि तानि त्यक्तवा वसेत्सुखम्॥” के माध्यम से लिखा है कि जिससे प्रेम होता है उसी से भय भी उत्पन्न होता है. इसलिए प्रेम ही सारे दुखों का जड़ है। वो कहते हैं कि प्रेम के बंधन को तोड़कर सुखी जीवन बिताना चाहिए, जो प्यार करते हैं वही डरते भी हैं। उन्हें प्यार करने वाले अपनों को खोने का डर होता है।
पुरुषों को समझने की जरूरत है: चाणक्य कहते हैं अगर किसी पुरुष को लगता है कि उसकी पत्नी सुंदर नहीं है, और उसके सम्मान को ठेस पहुंचाए, तो इससे पहले उसे खुद को आइने में देख लेना चाहिए। भले ही उसमें पुरुष को अपनी शारीरिक सुंदरता दिखाई दे, लेकिन उसके अंदर का जमीर उसे अपनी छोटी सोच का अहसास दिलाएगा। सुंदरता चेहरे पर नहीं, बल्कि दिल में होती है, इस बात को हर पुरुष को समझना चाहिए, कमियां सभी में होती हैं, इस संसार में कोई भी व्यक्ति पूरी तरह पूर्ण नहीं होता।
अपने भीतर झांकना है जरूरी: आकर्षण से भरे इस समाज में अगर एक पुरुष को अपनी पत्नी में सुंदरता दिखाई न दे, तो कम से कम उसके स्वभाव की सुंदरता को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने सलाह दी कि उस समय को याद करें जब समाज के खिलाफ खड़ी आपकी पत्नी केवल आपका साथ दे रही थी। चाणक्य के अनुसार किसी दूसरे को बुरा-भला कहने से पहले इंसान को अपने अंदर भी झांक लेना चाहिए।