Kharmas In 2019: हिंदू धर्म में सभी मांगलिक कार्य शुभ समय को देखकर ही किये जाते हैं। लेकिन साल में ऐसा समय भी आता है जब शुभ कार्यों को करने की मनाही हो जाती है। इसी तरह का एक समय होता है मलमास। जो 16 दिसंबर से लगने जा रहा है। सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही मलमास या खरमास लग जाता है और फिर मकर संक्रांति के दिन यानी 14 जनवरी को इसकी समाप्ति होती है। जानिए मलमास को लेकर क्या है धार्मिक मान्यताएं…
कैसे लगता है मलमास? ज्योतिष अनुसार शादी ब्याह और किसी भी तरह के शुभ कार्यों को करने के लिए सूर्य का मजबूत होना जरूरी होता है। लेकिन जब ये सूर्य गुरु की राशि में चला जाता है तो इसकी स्थिति कमजोर हो जाती है। जिस दौरान सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह संस्कार, बच्चों का मुंडन इत्यादि काम बंद कर दिये जाते हैं। सूर्य के धनु राशि में गोचर करने से खरमास यानी मलमास शुरू हो जाता है। इस मास में रामायण, गीता कथा और अन्य धार्मिक ग्रथों का दान किया जाता है। तीर्थ स्थल की यात्रा करने के लिए भी खरमास उत्तम माना गया है।
खरमास में ना करें ये काम- खरमास में शादी, सगाई, वधु प्रवेश, गृह प्रवेश, नए घर का निर्माण, नया व्यापार शुरू न करें। इस महीने में किसी से शादी ब्याह की बात भी नहीं की जाती। अगर आपको विवाह पक्का करना है तो आपके पास 12 दिसंबर तक का समय है क्योंकि 13 से पौष का महीना भी लग रहा है।
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मलमास की पौराणिक कथा: प्रत्येक राशि, नक्षत्र, करण व चैत्रादि बारह मासों के सभी के स्वामी है, परंतु मलमास का कोई स्वामी नही है। अत: अधिक मास में समस्त शुभ कार्य, देव कार्य तथा पितृ कार्य वर्जित माने गए है। अधिक मास यानी मलमास के पुरुषोत्तम मास बनने की बड़ी ही रोचक कथा पुराणों में दी गई है। इस कथा के अनुसार, स्वामीविहीन होने के कारण अधिक मास को ‘मलमास’ कहने से उसकी बड़ी निंदा होने लगी। इस बात से दु:खी होकर मलमास श्रीहरि विष्णु के पास गया और उनसे दुखड़ा रोया।
भक्तवत्सल श्रीहरि उसे लेकर गोलोक पहुंचे, वहां श्रीकृष्ण विराजमान थे। करुणासिंधु भगवान श्रीकृष्ण ने मलमास की व्यथा जानकर उसे वरदान दिया- अब से मैं तुम्हारा स्वामी हूं। इससे मेरे सभी दिव्य गुण तुम में समाविष्ट हो जाएंगे। मैं पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात हूं और मैं तुम्हें अपना यही नाम दे रहा हूं। आज से तुम मलमास के बजाय पुरुषोत्तम मास के नाम से जाने जाओगे।
इसीलिए प्रति तीसरे वर्ष (संवत्सर) में तुम्हारे आगमन पर जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति के साथ कुछ अच्छे कार्य करेगा, उसे कई गुना पुण्य मिलेगा। इस प्रकार भगवान ने अनुपयोगी हो चुके अधिक मास/मलमास को धर्म और कर्म के लिए उपयोगी बना दिया। अत: इस दुर्लभ पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान एवं दान करने वाले को कई पुण्य फल की प्राति होती है।