Karwa Chauth Aarti: सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ व्रत बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से लेकर रात में चंद्रोदय होने तक व्रत रखती हैं। ये व्रत निर्जला रखा जाता है। यानि कि इसमें पानी और अन्न कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है। शाम के समय इस व्रत का पूजन किया जाता है। रात में चंद्र दर्शन और चांद को जल अर्पण करने के बाद ही महिलाएं इस व्रत को समाप्त करती है। मान्यता के अनुसार पूजा में माता की ये आरती करना जरूरी माना गया है।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
ऊँ जय करवा मइया, माता जय करवा मइया ।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया ।। ऊँ जय करवा मइया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी ।। ऊँ जय करवा मइया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती ।। ऊँ जय करवा मइया।
होए सुहागिन नारी, सुख सम्पत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।। ऊँ जय करवा मइया।
करवा मइया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।। ऊँ जय करवा मइया।
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अमृत काल मुहूर्त शाम 4.07 बजे से शुरु होकर शाम 5.51 बजे तक रहेगा। वहीं अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.22 बजे से दोपहर 12.08 बजे तक रहेगा और ब्रह्म मुहूर्त शाम 4.18 बजे से अगले दिन सुबह 5.07 बजे तक रहेगा।
करवा चौथ पर चंद्र दर्शन विधि: चंद्रमा निकलने पर अपने पति देव के साथ छत पर छलनी, जल, मिठाई, पूजा की थाल लेकर जाएं। एक छलनी में दीपक जलाकर रख लें। उस छलनी से चंद्रमा के दर्शन करें फिर अपने पति के दर्शन करें। चंद्र देव की पूजा करें और उन्हें जल में दूध मिलकार अर्घ्य दें। चंद्र देव से अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन की कामना करें। चंद्रमा की पूजा के बाद पति के पैर छूकर आशीर्वाद लें फिर पति के हाथों से मिठाई और जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें।