Karwa Chauth 2019 Puja Vidhi, Vrat Katha, Muhurat, Puja Time, Samagri, Timings: करवा चौथ यानी सुहागिनों का दिन। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। वैसे तो करवा चौथ पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन उत्तर भारत में इसका महत्व अधिक है। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले ब्रम्ह काल यानी सुबह करीब 4 बजे से शुरू होकर होकर रात में चांद निकलने तक जारी रहता है। यह व्रत शादीशुदा महिलाओं के अलावा कुंवारी लड़कियां भी करती हैं। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से उत्तम वर की प्राप्ति होती है। इस व्रत में कथा सुनना और चांद के दर्शन करना जरूरी माना जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रंगार करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
Karwa Chauth 2019 Puja Vidhi, Timings, Moonrise Time Today: Check here
करवा चौथ पूजा मुहूर्त – 05:51 PM से 07:06 PM
अवधि – 01 घण्टा 15 मिनट्स
करवा चौथ व्रत समय – 06:23AM से 08:17 PM
अवधि – 13 घण्टे 54 मिनट्स
करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय – 08:17 PM
करवा चौथ कथा (Karwa Chauth Vrat Katha/Story) :
बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी। शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही खा सकती है। चूंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है। To Read In Detail Click
करवा चौथ व्रत की पूजन विधि और सामग्री (Karwa Chauth Vidhi, Samagri List):
करवा चौथ के व्रत में भगवान शंकर, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देव की पूजा-अर्चना होती है। एक तांबे या मिट्टी के बरतन में चावल, उड़द की दाल, सिंदूर, चूड़ी, शीशा, कंघी, लाल रिबन और रुपए रखकर किसी बड़ी सुहागिन महिला या अपनी सास के पांव छूकर उन्हें भेंट करें। करवा चौथ की पूजा के लिए एक स्टील या ब्रास की थाली का इस्तेमाल करें। इसमें रूई को तेल में डुबाकर चिन्ह बनाएं। इसी थाली में चावल और कुमकुम अलग-अलग रख लें। थाली में ही पूजन के लिए दीपक, धूपबत्ती सहित अन्य सामान रखें। मिट्टी के करवों में पानी भरकर रख लें। इसके अलावा चांद को देखने के लिए एक छलनी भी रख लें। पूजा कर कथा सुनें और जब चांद पूरी तरह से दिख जाए तो उसे छलनी से देखकर अर्घ्य देकर आरती उतारें। इसके तुरंत बाद अपने पति को उसी छलनी से देखें। करवा चौथ व्रत पूजा से संबंधित सभी जानकारी जानने के लिए आप बने रहिए इस ब्लॉग पर…
Highlights
रात 8 बजकर 51 मिनट पर दिखेगा। मुंबई(Mumbai) में इस पर्व को खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है।
रात 8 बजकर 44 मिनट पर दिखेगा। गांधी-नगर(Gandhi nagar) में इस पर्व को खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है।
रात 8 बजकर 30 मिनट पर दिखेगा। हैदराबाद में इस पर्व को खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है।
रात 8 बजकर 23 मिनट पर दिखेगा। जयपुर में इस पर्व को खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है।
पंजाब/ हरियाणा/चंडीगढ़
- Chandigarh Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- चंडीगढ़
चांद निकलने का समय- 8:14 PM
प्रयागराज में करवा चौथ का चांद रात 8 बजकर 03 मिनट पर दिखेगा। प्रयागराज में इस पर्व को खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है।
Dehradun Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- देहरादून
चांद निकलने का समय- 8:10 PM
Jhansi Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- झांसी
चांद निकलने का समय- 8: 18 PM
'ॐ शिवायै नमः' यह मंत्र माता पार्वती का माना गया है।
माना जाता है कि इस मंत्र का जप करवा चौथ के दिन करने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं।
Faizabad Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- फैजाबाद
चांद निकलने का समय- 7: 59 PM
ओम अमृतांदाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तत्रो सोम: प्रचोदयात
ओम षण्मुखाय नमः
ओम सोमाय नमः
चंद्रमा पूजन के दौरान इस मंत्र के जाप से आपके जीवन की सभी परेशानियों का निवारण हो जाता है ।
Bahraich Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- बहराइच
चांद निकलने का समय- 8: 00 PM
प्रात: पूजा के समय इस मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ करें- 'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुथीज़् व्रतमहं करिष्ये।' अब जिस स्थान पर आप पूजा करने वाले हैं उस दीवार पर गेरू से फलक बनाकर चावल को पीसें। इस घोल से करवा चित्रित करें। इस विधि को करवा धरना कहा जाता है।
Agra Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- आगरा
चांद निकलने का समय- 8: 16 PM
Meerut Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- मेरठ
चांद निकलने का समय- 8:14 PM
Kanpur Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- कानपुर
चांद निकलने का समय- 8: 09 PM
हर कोई अलग-अलग तरीके से व्रत तोड़ता है। कोई बिल्कुल पारंपरिक तरीके से छलनी में से अपने पति को देखता है और व्रत तोड़ने के लिए अपने पति के हाथों से पानी की एक घूंट पीती है। आज के समय में, पति अपनी पत्नियों के लिए भी व्रत रखते हैं। इसके बाद एक साथ खाना एंजॉय करते हैं।
पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें करवे रखें। एक थाली में धूप, दीप, चंदन, रोली, सिन्दूर रखें और घी का दीपक जलाएं। पूजा शुभ मुहूर्त में ही करें। इस दिन कई जगह महिलाएं एक साथ मिलकर पूजा करती हैं। पूजन के समय करवा चौथ कथा जरूर सुनें या सुनाएं।
हर सुहागन स्त्री के लिए करवाचौथ का व्रत काफी महत्वपूर्ण होता है। करवाचौथ'शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है,'करवा' यानी 'मिट्टी का बरतन' और 'चौथ' यानि 'चतुर्थी '। चंद्रमा की 27 पत्नियों में से उन्हें रोहिणी सबसे ज्यादा प्रिय है। यही वजह है कि यह संयोग करवा चौथ को और खास बना रहा है। इसका सबसे ज्यादा लाभ उन महिलाओं को मिलेगा जो पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही हैं। करवाचौथ की पूजा के दौरान महिलाएं पूरा दिन निर्जला व्रत करके रात को छलनी से चंद्रमा को देखने के बाद पति का चेहरा देखकर उनके हाथों से जल ग्रहण कर अपना व्रत पूरा करती हैं।
करकं क्षीरसंपूर्णा तोयपूर्णमयापि वा। ददामि रत्नसंयुक्तं चिरंजीवतु मे पतिः॥
इति मन्त्रेण करकान्प्रदद्याद्विजसत्तमे। सुवासिनीभ्यो दद्याच्च आदद्यात्ताभ्य एववा।।
एवं व्रतंया कुरूते नारी सौभाग्य काम्यया। सौभाग्यं पुत्रपौत्रादि लभते सुस्थिरां श्रियम्।।
इस दिन महिलाएं चंद्रमा को देखे बिना न तो कुछ खाती हैं और न ही जल ग्रहण करती हैं। चंद्रमा का उदय होने के बाद सबसे पहले महिलाएं छलनी में से चंद्रमा को देखती हैं फिर अपने पति को देखती हैं। इसके बाद पति अपनी पत्नियों को लोटे में से जल पिलाकर उनका व्रत पूरा करवाते हैं। चांद देखे बिना यह व्रत अधूरा रहता है।
चाँद निकलने पर चाँद को अर्क दिया जाता है, उसकी पूजा की जाती है। चाँद को जाली में से या दुपट्टे में से देखते है। फिर इसी तरह पति को भी देखते है। इसके बाद पति अपनी पत्नी को थाली से जल का लोटा उठाकर उससे पहला घूंट पानी का पिलाते है। फिर खाने के लिए पहला निवाला देकर व्रत खुलवाते है। इसके बाद व्रत करने वाली महिला भोजन करती है ।
बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी। शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही खा सकती है। चूंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है। पूरी कथा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
चंद्रमा को सामन्यतः आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। इसलिए चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं वैवाहिक जीवन में सुख शांति और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। इस पर्व को सौंदर्य प्राप्ति का पर्व भी माना गया है। इसको मनाने से रूप और सौंदर्य भी मिलता है। इस दिन सौभाग्य प्राप्ति के लिए रात्रि को प्रयोग भी किये जाते हैं जो निष्फल नहीं होते।
इस दिन निर्जला व्रत रखते हुए चंद्रमा के उदय होने पर संकल्प के साथ फूल, अक्षत्, रोली, नारा(मौली), चावल एवं हल्दी को पीसकर बनाया गया ऐपन, खड़ी सुपारी, छुट्टा पान, फल, भोग का लड्डू एवं वस्त्रादि से विधिवत गौरी-गणेश का पूजन करें। इस दौरान चौथ की कथा सुनना जरूरी होता है। प्रारम्भ में पूजन साक्षी के निमित्त दीपक अवश्य जलाना चाहिए। भोग समर्पित करने से पहले धूप-अगरबत्ती अवश्य दिखाना चाहिए।
1. चंदन
2. शहद
3. अगरबत्ती
4. पुष्प
5. कच्चा दूध
6. शक्कर
7. शुद्ध घी
8. दही
9. मिठाई
10. गंगाजल
11. कुंकू
12. अक्षत (चावल)13. सिंदूर
14. मेहंदी
15. महावर
16. कंघा
17. बिंदी
18. चुनरी
19. चूड़ी
20. बिछुआ
21. मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन
22. दीपक
23. रुई
24. कपूर25. गेहूं
26. शक्कर का बूरा
27. हल्दी
28. पानी का लोटा
29. गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी
30. लकड़ी का आसन
31. चलनी
32. आठ पूरियों की अठावरी
33. हलुआ
34. दक्षिणा (दान) के लिए पैसे, इत्यादि।
- केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया है ऐसी महिलाएँ ही ये व्रत रख सकती हैं। लेकिन कई जगह कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती हैं।
- यह व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला रखा जाता है।
- इस दिन व्रत रखने वाली कोई भी महिला काला या सफेद वस्त्र न पहने।
- इस व्रत में लाल वस्त्र सबसे अच्छा माना जाता है।
- आज के दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को पूर्ण श्रंगार और पूर्ण भोजन जरूर करना चाहिए।
- अगर कोई महिला अस्वस्थ है तो उसके स्थान पर उसके पति यह व्रत कर सकते हैं।
सुबह 06:23 बजे से व्रत का मुहूर्त शुरू हो चुका है। शाम 07:16 बजे तक व्रत चलेगा। पूजा का समय शाम 05:50 बजे से 07:05 बजे के बीच का है। करीब 08:16 पर चंद्र उदय होगा। उगते हुए चंद्रमा को देखने के बाद अर्घ्य देंने की परंपरा है।