Dussehra 2019: कर्नाटक के मैसूर जिले में दशहरा उत्सव देश का सबसे बड़े पर्यटक आकर्षणों में से एक है। हिंदू कैलेंडर के अश्विन के महीने में इस ऐतिहासिक शहर मैसूर में 10-दिवसीय भव्य मेला यहां हर साल आयोजित किया जाता है। मैसूर में दशहरे का आयोजन पिछले चार सौ वर्षो से होता आ रहा है। लोगों का ऐसा मानना है कि यहां पर पहले दशहरा का आयोजन विजयादशमी पर 15 वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के शासकों द्वारा आयोजित किया गया था।
बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न है दशहरा: गौरतलब है कि दशहरा, नवरात्रि और विजयादशमी को सभी बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं। दशहरा या विजयदशमी नवरात्रि के दौरान नौ दिनों के उपवास का अंतिम दिन होता है। जबकि देश के उत्तरी राज्यों में इस त्योहार को भगवान राम द्वारा राक्षस राजा रावण की वध की याद में मनाया जाता है। वही देश के पूर्वी राज्यों में यह देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर के वध करने के याद में मनाया जाता है।
दशहरा देखने यहां दुनियाभर से पर्यटक आते है: बता दे कि मैसूर दशहरा कर्नाटक का राजकीय त्योहार है। इस उत्सव में हिस्सा लेने के लिए दुनिया भर से पर्यटक यहां आते हैं। दशहरा उत्सव में समारोहों की अध्यक्षता मैसूर के राजा के नाम से की जाती है।
यहां का जुलूस खास होता है: मैसूर दशहरा का सबसे बड़ा आकर्षण यहां का जुलूस होता है जो अंबा विलास महल से शुरू होता है और मैसूर से होते हुए 5 किलोमीटर की दूरी तय करता है। इस जुलूस में 15 हाथी, हाथी शिविर से लाए जाते हैं। जुलूस में देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति को एक सजे हुए हाथी के ऊपर एक सोने के सुनहरे मंडप पर रखा जाता है, जिसके साथ नृत्य समूह, संगीत बैंड, सजाए हुए जानवर, सजाया हुआ झांकी भी जुलूस में भाग लेते हैं। इन दस दिनों तक मैसूर पैलेस हजारों लाइट से जगमगाता रहता है।