जन्म के वक़्त मनुष्य अपनी कुंडली में बहुत सारे योगों को लेकर पैदा होता है। कुछ योग बहुत अच्छे होते हैं, तो कुछ खराब होते हैं। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में जब सारे ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं तब कालसर्प योग बनता है। कालसर्प दोष का किसी जातक की कुंडली में उपस्थिति मात्र ही उसे डरा देता है।
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस योग को बेहद ही अशुभ माना गया है। मनुष्य को अपने पूर्व जन्म के दुष्कर्मों के फलस्वरूप यह दोष लगता है। अगर किसी व्यक्ति की जिंदगी में यह योग बनता है तो उस मनुष्य को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन ऐसा जरुरी नहीं है कि कालसर्प दोष की वजह से व्यक्ति को केवल कष्टों का सामना करना पड़ता है। इस बात का अंतिम निर्णय जन्म-कुंडली में विविध लग्नों व राशियों में अवस्थित ग्रह के भाव के आधार पर ही किया जा सकता है।
हालांकि ज्योतिष अनुसार कहा गया है कि कुंडली में पांचवा घर संतान का होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग का संबंध पांचवे घर यानी संतान के घर से होता है, उन्हें संतान प्राप्ति में बाधा आती है। कालसर्प दोष के अलावा कुंडली के और भी कई दोष हैं, जो संतान सुख की प्राप्ति में बाधा बन सकते हैं। आइये जानते हैं-
- अगर संतान भाव यानी पंचम भाव में सूर्य, मंगल, शनि या फिर राहु हो तो संतान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती है। वहीं अगर संतान कारक ग्रह गुरु, मंगल के साथ लग्न के स्वामी राहु ग्रह के साथ हो या फिर लग्न में राहु और सप्तम में केतु कालसर्प योग बन रहे हैं तो भी संतान प्राप्ति में बाधा आती है।
- कुंडली में अष्टम भाव में शुक्र, गुरु और मंगल की युति हो तो भी जिंदगी में संतान का अभाव होता है। अगर कालसर्प योग का संबंध पंचम भाव के स्वामी से हो तो भी संतान सुख में बाधा आती है।
संतान प्राप्ति के लिए उपाय: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को नाग पंचमी के दिन कालसर्प योग की शांति पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है ऐसा करने से पूर्व जन्म के दोष मिट जाते हैं। इसके अलावा अगर किसी महिला की कुंडली कालसर्प दोष से ग्रस्त है तो उसे नागपंचमी के दिन वट वृक्ष की परिक्रमा लगानी चाहिए।
वहीं यदि किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसे रोज़ाना भगवान शिव के परिवार की पूजा करनी चाहिए। इससे आपके सारे रुके हुए काम होते चले जाएंगे। इसके अलावा किसी व्यक्ति के निजी जीवन में जीवनसाथी के बीच क्लेश हो रहा है तो श्रीकृष्ण की प्रतिमा के सामने ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय या ऊँ नमो वासुदेवाय कृष्णाय नम: शिवाय मंत्र का जाप करे। ऐसा नियमित रूप से करने से कालसर्प दोष से मुक्त होते हैं।