जीवित्पुत्रिका व्रत 2019 में 22 सितंबर को रखा जायेगा। महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए इस व्रत को रखती हैं। इस व्रत को कई जगहों पर जिउतिया के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत को खास तौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल में भी रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। जानें इस व्रत का शुभ मुहूर्त और महत्व…

जीवित्पुत्रिका व्रत 2019 मुहूर्त: 
अष्टमी तिथि प्रारंभ 08:21 (सितंबर 21) पीएम से
अष्टमी तिथि समाप्त – 07:50 पीएम (सितंबर 22) तक

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जितिया व्रत महत्व – अश्विन माह के कृष्णपक्ष की सप्तमी तिथि से लेकर नवमी तिथि तक जिवित्पुत्रिका व्रत मनाया जाता है। इस व्रत के पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन निर्जला व्रत और तीसरे दिन पारण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान को लंबी उम्र, सुखी और निरोग जीवन मिलता है। साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन जिउतिया व्रत कथा सुनने वाली व्रती को जीवन में कभी संतान वियोग नहीं होता। संतान के सुखी और स्वस्थ्य जीवन के लिए यह व्रत रखा जाता है।

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जीवित्पुत्रिका व्रत की पौराणिक कथा – इस व्रत की कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद अश्वथामा अपने पिता की मृत्यु की वजह से क्रोध में था। वह अपने पिता की मृत्यु का पांडवों से बदला लेना चाहता था। एक दिन उसने पांडवों के शिविर में घुस कर सोते हुए पांडवों के बच्चों को मार डाला। उसे लगा था कि ये पांडव हैं। लेकिन वो सब द्रौपदी के पांच बेटे थे। इस अपराध की वजह से अर्जुन ने उसे गिरफ्तार कर लिया और उसकी मणि छीन ली। इससे आहत अश्वथामा ने उत्तरा के गर्भ में पल रही संतान को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया। लेकिन उत्तरा की संतान का जन्म लेना जरूरी था। जिस वजह से श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्य का फल उत्तरा की गर्भ में मरी संतान को दे दिया और वह जीवित हो गया। गर्भ में मरकर जीवित होने के वजह से उसका नाम जीवित्पुत्रिका पड़ा और यही आगे चलकर राज परीक्षित बने। तब से ही इस व्रत को रखा जाता है।