हिंदू पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी का त्यौहार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। इस बार नक्षत्र और तिथि का संयोग नहीं बन पाने के कारण भारत में कुछ जगहों पर 23 को जन्माष्टमी मनाई गई जबकि बहुत से इलाकों में 24 अगस्त यानी कि आज जन्माष्टमी मनाई जायेगी। कृष्ण जन्मस्थली की बात करें तो मथुरा वृन्दावन में आज कृष्ण भगवान का जन्मोत्सव मनाया जायेगा। इस दिन व्रत रखने का विधान है। अगर आपने रखा है जन्माष्टमी व्रत तो जान लें व्रत की पूजा विधि, मंत्र और भोग सामग्री के बारे में…
पूजा विधि (Janmashtami Puja & Vrat Vidhi):
जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने वाले जातक सुबह स्नानादि कर ब्रह्मा आदि पंच देवों को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन ग्रहण करें। हाथ में जल, गंध, फूल लें और व्रत का संकल्प ‘मम अखिल पापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत करिष्ये’ मंत्र का जाप करते हुए लें। इसके बाद श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा करें। इस दिन श्रीकृष्ण का अच्छे से शृंगार कर विधिवत पूजा करनी चाहिए। जन्माष्टमी पर बाल गोपाल को झूला झुलाएं। सुबह पूजन के बाद दोपहर को राहु, केतु और अन्य क्रूर ग्रहों की शांति के लिए काले तिल जल में डालकर स्नान करें। इससे ग्रहों का कुप्रभाव कम होता है।
मंत्र जाप (Janmashtami Mantra) : शाम के समय भगवान को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए ‘धर्माय धर्मपतये धर्मेश्वराय धर्मसम्भवाय श्री गोविन्दाय नमो नम:’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद दूध मिश्रित जल से चंद्रमा को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें- ‘ज्योत्सनापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिषामपते:! नमस्ते रोहिणिकांतं अघ्र्यं मे प्रतिग्रह्यताम!’ रात्रि में कृष्ण भगवान के जन्म से पहले मंत्र- ‘ऊं क्रीं कृष्णाय नम:’ का जप कर आरती करें।
भोग की वस्तुएं (Janmashtami Bhog): जैसा कि सब जानते हैं कि कृष्ण को दूध, दही और माखन बेहद पसंद है। इसलिए भोग में ये चीजें जरूर होनी चाहिए। इसके अलावा मिश्री, घी और मेवा भी काफी महत्व पूर्ण माना गया है। आप चाहें तो पूजा में पांच फलों का भी भोग लगा सकते हैं। त्व देवां वस्तु गोविंद तुभ्यमेव समर्पयेति!! मंत्र के जाप के साथ भगवान कृष्ण का भोग लगाना चाहिए।