Krishna jayanthi: पौराणिक कथाओं अनुसार जब-जब धरती पर पाप और अधर्म बढ़ा है तब-तब भगवान विष्णु ने किसी न किसी रूप में जन्म लिया है। त्रेता युग में लंकापति रावण का वध करने के लिए इन्होंने राम रूप में तो द्वापर युग में मथुरा नरेश कंस का संहार करने के लिए कृष्ण रूप में जन्म लिया। भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। इनके जन्म के समय को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है जो साल 2019 में 23 और 24 अगस्त को पड़ रही है।
भगवान कृष्ण का जन्म किसी चमत्कार से कम नहीं था। क्योंकि भविष्यवाणी हुई थी कि कंस का अंत देवकी की आंठवी संतान के द्वारा होगा। इसकी जानकारी कंस को होती ही उसने अपनी प्रिय बहन देवकी और उनके पति वासुदेव को कारगार में डाल दिया था। और एक के बाद एक हुई संतानों का वो वध करता गया। लेकिन भगवान कृष्ण का जन्म निश्चित और कंस की मृत्यु भी निश्चित थी जिस कारण कन्हैया के जन्म के समय ऐसे चमत्कार हुए जो अद्भुत थे।
भगवान कृष्ण के जन्म से पहले वासुदेव और देवकी के समक्ष भगवान हरि प्रकट हुए और उन्होंने कृष्ण अवतार के रूप में उनके यहां जन्म लेने की बात बताई। और जन्म के बाद कृष्ण को नंदगांव भेजने का मार्ग भी सुझाया। क्योंकि मथुरा नरेश कंस की देवकी के हर बच्चे पर नजर रहती थी। जिसकी जानकारी द्वार पर खड़े पहरेदार हर वक्त देते थे। इस बात को सोचकर देवकी और वासुदेव परेशान थे। लेकिन श्री कृष्ण के जन्म लेते ही द्वार पर खड़े पहरेदार मूर्छित हो गए और जेल के दरवाजे भी खुद ब खुद खुल गये। जिस कारण वासुदेव अपने पुत्र कृष्ण को सुरक्षित जगह पहुंचाने में सक्षम हो पाए।
कृष्ण के जन्म से जुड़ा एक चमत्कार ये भी है कि जब कृष्ण का जन्म हुआ तब नंदगाव में नन्द और यशोदा के यहां भी एक कन्या ने जन्म लिया। जिसका नाम योगमाया था। इस कन्या का जन्म भगवान कृष्ण की जगह लेने के लिये हुआ था। जिससे कंस भ्रमित हो जाए। भगवान हरि के आदेश पर कृष्ण को योगमाया के जन्मस्थान पर छोड़कर योगमाया को जेल में लाना था।