दिवाली भारत में मनाया जाने वाला हिंदूओं का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन प्रभु श्री राम की अयोध्या वापसी पर लोगों ने उनका स्वागत घी के दिये जलाकर किया कि अमावस्या की काली रात रोशन भी रोशन हो गई और अंधेरा मिट गया उजाला हो गया। इसका ये अर्थ है कि अज्ञानता के अंधकार को समाप्त कर ज्ञान का प्रकाश हर और फैलने लगा इसी के कारण दिवाली को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है। दिवाली का त्योहार जब आता है तो साथ में अनेक त्यौहार लेकर आता है। ये एक पंचदिवसीय त्योहार है। एक और यह जीवन में ज्ञान रुपी प्रकाश को लाने वाला है तो वहीं सुख-समृद्धि की कामना के लिये भी दिवाली से बढ़कर कोई त्योहार नहीं होता इसलिये इस अवसर पर लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। दीपदान, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज आदि त्यौहार दिवाली के साथ-साथ ही मनाए जाते हैं। सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक हर लिहाज से दिवाली बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है।
इस दिन सभी लोग माता लक्ष्मी, माता सरस्वती और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इस दिन को हिंदू धर्म में सबसे शुभ दिन माना जाता है। मान्यता ये है कि इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं और अपने सभी भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिये इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। घर में सुख-समृद्धि बने रहे और मां लक्ष्मी स्थिर रहें इसके लिये दिनभर मां लक्ष्मी का उपवास रखने के बाद शाम के समय सूरज डूबने के बाद घर को सजा कर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन किया जाता है और अपने घरों को दियों से रौशन किया जाता है। इस दिन लोग अपने प्रियजनों के घर जाते हैं और उन्हें तोहफें और मिठाई देते हैं। ये दिन खुशियां मनाने का शुभ अवसर होता है।
इस वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या 19 अक्टूबर को है। इसका ये अर्थ है कि दिवाली का महापर्व भारत में इस वर्ष 19 अक्टूबर 2017 को मनाया जाएगा। इस त्योहार की रौनक एक हफ्ते पहले ही बाजारों में दिखने लगती है। इस दिन हर कोई अपने घर को दुल्हन की तरह सजाता है। इस दिन शाम के दिन अवश्य ही घर में दीपक जलाना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी इससे घर में प्रवेश करती हैं लेकिन इसके साथ घर से नकारात्मक शक्तियों का अंत होता है और घर में खुशियां आती हैं।
