How to control on mind: मन को चंचल कहा जाता है। अकसर यह किसी को भी भटकाने का काम करता है। व्यक्ति बैठा कहीं होता है लेकिन उसका मन किसी और ही दिशा में घूम रहा होता है। ऐसा क्यों होता है मन के साथ, जानें सद्गुरु जग्गी वासुदेव से…

सद्गुरु के अनुसार मन कहीं नहीं जाता है वो किसी चीज के बारे में सोचता है। ना ही आपका शरीर कहीं जाता है, ना ही आपका मन और ना ही आप कहीं जाते हैं। ये सब चीजें मिलकर एक ईकाई बनाते हैं। इसलिए कोई ऐसा काम करना चाहिए जो इन सभी चीजों के लिए काम करें। क्योंकि आप इन्हें अलग-अलग नहीं संभाल सकते क्योंकि यह हमेशा एक साथ होते हैं। आपका मन कहीं नहीं जा रहा है। बात बस इतनी है कि आप अपने मन की कल्पनाओं से धोखा खा रहे हैं। ये वहीं बैठा है जहां आप हैं बस यह कुछ न कुछ कल्पना कर रहा है।

बात सिर्फ इतनी सी है कि आपके मन में बेकाबू और अंतहीन विचार इसलिए चल रहे हैं क्योंकि आपने उन चीजों के रूप में अपनी पहचान बना रखी है जो आप नहीं है। जिस पल आप अपनी ऐसी पहचान बना लेते हैं जो आप नहीं है तो मन बिना रुके चलने लगता है। आपने अपनी पहचान अनेकों चीजों से जोड़ी हुई है और आप अपने मन को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। अगर लाखों साल तक भी कोशिश कर लें तो यह नहीं हो सकता। अगर आप अपनी गलत पहचानों को मिटा देते हैं तो आप देखेंगे कि मन दर्पण की तरह हो जाएगा जो कुछ भी नहीं कहेगा।

आपका मन ऐसा साधन है जो तभी अच्छे से काम करता है जब इसमें स्पष्टता हो। आपका मन आपको जीवन में कल्पना देने के लिए नहीं है बल्कि वो आपको स्पष्टता और गहराई देने के लिए होता है। हर व्यक्ति की अपनी एक अलग पहचान होती है। जैसे उसका शरीर, कपड़े, हेयर स्टाइल, पत्नी, बच्चें, शिक्षा और धर्म इत्यादि। इन सभी पहचानों के साथ आप एक शांत मन चाहते हैं जो संभव नहीं है। यही कारण है कि हमने आपको शून्य नाम की एक विधि दी  है जिसमें आप मन से थोड़ी दूरी बना सकते हैं। क्योंकि एक बार जब आप मन से अलग हो जाते हैं तो आप सभी पहचानों से भी अलग हो जाते हैं।