हिंदू धर्म में शादी से पहले कुंडली मिलान बेहद जरूरी माना जाता है। कई रिश्ते इसी के बाद पक्के होते हैं। कई जगह तो कुंडली न मिलने पर अच्छे रिश्ते को भी मना कर दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर वर-वधु की कुंडली न मिले तो उन्हें जीवन भर कष्टों का सामना करना पड़ता है। लोग कुंडलियों को ज्योतिषी से न मिलवा कर स्वयं सॉफ्टवेयर या मोबाइल एप से मिलाके खुद ही निर्णय कर देते हैं और साल दो साल बाद तलाक की स्थिति आ जाती है। सॉफ्टवेयर या मोबाइल एप सिर्फ गुण मिलान करते हैं, वो ग्रहों की युक्ति या दोष नहीं बताते।
आज के दौर में जब लव मैरिज का प्रचलन बढ़ रहा है और लोग अपनी इच्छा से अपना पार्टनर चुन रहे हैं। तो ऐसे में कुंडली न मिलने के कारण कोई अपने पार्टनर को खोना नहीं चाहता है। प्राचीन समय से हमारे समाज में विवाह का निर्णय लेने हेतु कुंडली मिलान का प्रचलन है और मुख्य तौर पर देखा गया है कि लोग अक्सर गुण मिलान को ही आधार मान कर विवाह का निर्णय लेते हैं, जब कि वास्तविकता इससे कुछ अलग है।
कुंडली का मिलना क्यों है जरूरी? आज हर दूसरे घर में तलाक देखने को मिल रहे हैं। छोटी सी बात पर बसे बसाये घर मिनटों में ऐसे उजड़ जाते हैं जैसे आंधी आने पर परिंदों के घोंसले। आज के समय में लोग प्रेम विवाह को तीव्रता से अपना रहे हैं जिसमें कुंडली न मिलने पर भी लोग विवाह करते हैं। लेकिन आपको जीवन में कष्टों का सामना न करना पड़े इसके लिए आप कुंडली मैच न करने पर कुछ विशेष उपाय कर सकते हैं…
विवाह भाव: कुंडली का सप्तम भाव विवाह भाव कहलाता है। इस भाव से हम वैवाहिक सुख का आंकलन करते हैं। किसी व्यक्ति के चाहे 36 में से 36 गुण ही क्यों न मिले, अगर उसका विवाह भाव खराब है तो अपने जीवन मे वैवाहिक सुख की कमी महसूस होगी, ऐसा व्यक्ति दूसरों के साथ मिलजुल कर नहीं चल पाता, ऐसे व्यक्ति के अपने जीवनसाथी के साथ मतभेद रहते हैं। उससे ऊपर लिखे फल जरूर मिलेंगे।
आयु भाव: कुंडली का आठवां भाव आयु भाव होता है जो कि आयु की आंकलन के लिए देखा जाता है। कुंडली मिलान में आयु गणना की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि अगर आपका विवाह किसी अल्प आयु वाले व्यक्ति से हो जाये और विवाह के थोड़े समय बाद आपके जीवनसाथी की मृत्यु हो जाये तो जीवन कठनाइयों का सागर बन जाता है।
संतान भाव: कुंडली का पांचवा भाव संतान भाव कहलाता है। इस भाव से संतान सुख का आंकलन होता है। जिस व्यक्ति का संतान भाव खराब होगा उससे संतान प्राप्ति में बाधा जरूर आएगी, इसमे नाड़ी दोष अथवा मांगलिक का कोई संबंध नहीं होता।
लग्न भाव: लग्न भाव व्यक्ति के स्वयं के बारे मे बताता है, जिनका लग्न मज़बूत होता है वह अच्छे व्यक्तित्व के मालिक होते हैं और जिनका लग्न खराब होता है समाज में वह लोग बुरे व्यक्तित्व के जाने जाते हैं।
वाणी भाव: कुंडली मे दूसरा भाव वाणी भाव कहलाता है। इस भाव से हम व्यक्ति के बात करने की शैली का आंकलन कर सकते हैं। जिस व्यक्ति का वाणी भाव खराब होगा वह अक्सर दूसरों पर ताने कसता दिखेगा, ऐसी बात कहेगा जिससे वह दूसरों को नीचा दिखा सके, अभद्र भाषा बोलेगा।
गुण मिलान के बाद इन सब तत्वों के आंकलन को ग्रह मिलान कहा जाता है। सुखी वैवाहिक जीवन के लिए गुण मिलान के साथ ग्रह मिलान तथा नवमांश कुंडली एवं मांगलिक, भकूट, गण, नाड़ी आदि दोष भी देखना अति आवश्यक है, अगर किसी व्यक्ति के गुण मिलान में अंक कम है और ग्रह मिलान उपयुक्त है तो भी विवाह हो सकता है।