Holika Dahan 2021 Date, Puja Vidhi, Muhurat, Samagri: बड़ी होली से एक दिन पूर्व होलिका दहन पूजा होती है। ये पूजा शाम के समय की जाती है। इस दिन आस-पास के लोग इकट्ठा होकर होलिका जलाते हैं। ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन की आग में अपने अहंकार और बुराई को भस्म कर देना चाहिए। जानिए होलिका दहन की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त…
होलिका दहन मुहूर्त: 28 मार्च की शाम 06:37 पी एम से 08:56 पी एम तक का समय होलिका दहन के लिए सबसे शुभ रहेगा। यानी होलिका दहन पूजा के लिए आपके पास 02 घण्टे 20 मिनट का समय है। भद्रा दोपहर 1 बजे तक समाप्त हो चुकी होगी। पूर्णिमा तिथि 28 मार्च को 03:27 AM से शुरू होकर 29 मार्च को 12:17 AM तक रहेगी।
होलिका दहन पूजन सामग्री: गोबर से बने बड़कुले, गोबर, गंगाजल, पूजन के लिए कुछ फूल-मालाएं, सूत, पांच तरह के अनाज, रोली, मौली, अक्षत (साबुत चावल), हल्दी, बताशे, गुलाल, फल, मिठाइयां।
होलिका दहन की तैयारी: सुबह उठकर स्नान कर लें और अगर होलिका व्रत रखना चाहते हैं तो व्रत का संकल्प लें। दोपहर के समय जिस जगह होलिका दहन करना चाहते हैं उस स्थान को साफ कर लें। वहां होलिका का सभी सामान सूखी लकड़ी, उपले, सूखे कांटे रख दें। गोबर से होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा बनाएं। नरसिंह भगवान की पूजा करें। भगवान को पूजन सामग्री अर्पित करें।
पूजन विधि: शाम के समय पूजा करके होलिका जलाएं और उसकी तीन परिक्रमा करें। भगवान नरसिंह का ध्यान करते हुए पाचों अनाज को अग्नि में अर्पित कर दें। परिक्रमा करते हुए अर्घ्य दें, 3 या 7 बार परिक्रमा करते हुए होलिका पर कच्चा सूत लपेटें। फिर गोबर के बड़कुले, चने की बालों, जौ और गेहूं होलिका में डालें। गुलाल डालें और जल भी चढ़ाएं। होलिका जलने के बाद उसकी भस्म को अपने घर ले जाएं और उसे पूजा वाले स्थान पर रख दें।
