Holi 2021 Date in India (होली 2021 में कब है): रंगों से भरा त्योहार होली इस साल 29 मार्च को मनाया जा रहा है। ये त्योहार चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को बसंत ऋतु के आगमन की खुशी में मनाते हैं। एक-दूसरे को रंग लगाकर, नाच गाकर इस पर्व का जश्न मनाया जाता है। जानिए होली का इतिहास और महत्व…

राधा-कृष्ण की होली: होली पर्व को भगवान कृष्ण और राधा से जोड़कर देखा जाता है। तभी तो भगवान कृष्ण की जन्मभूमि में ये पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। एक कथा के अनुसार एक बार कृष्ण कन्हैया ने अपनी माता यशोदा से पूछा कि वे राधा की तरह गोरे क्यों नहीं हैं। यशोदा माता उन्हें प्रसन्न करने के लिए सुझाव देती हैं कि वे राधा के चेहरे पर वैसा ही रंग लगा दें जैसा वे चाहते हैं। इसके बाद कान्हा ने सभी गोपियों और राधा के साथ रंगों की होली खेली। कहा जाता है कि इसी के बाद से यह पर्व रंगों के त्योहार होली के रूप में मनाया जाने लगा।

राक्षसी ढुंढी की कहानी: एक कहानी ये भी मिलती है कि एक ढुंढी नाम की राक्षसी थी। जिसे ऐसा वरदान प्राप्त था कि उसे देव, मानव, अस्त्र-शस्त्र, गर्मी, सर्दी, वर्षा कोई भी नहीं मार सकेगा। जिस कारण वे बहुत अत्याचारी बन गई थी। लेकिन शिव के श्राप से वे पीड़ित थी। जिसके अनुसार बच्चे उसे अपनी शरारतों से खदेड़ सकते थे और उचित समय पर वे उसका वध भी कर सकते थे। तब राजा पृथु को पुरोहितों ने फाल्गुन पूर्णिमा के दिन उसे मुक्ति का उपाय सुझाया।

उन्होंने कहा कि बच्चों को एकत्रित करें और आते समय अपने साथ सभी एक-एक लकड़ी भी लेते आयें। इसके बाद घास-फूस और लकड़ियों को इकट्ठा कर ऊंचे स्वर में मंत्रो का उच्चारण करते हुए अग्नि की प्रदक्षिणा करें। इस तरह जोर-जोर से चिलाने, हंसने, गाने से पैदा हुए शोर से राक्षसी की मौत हो सकती है। पुरोहित के कहे अनुसार वैसा ही किया गया जिससे राक्षसी ढुंढी के अत्याचार से मुक्ति मिली। माना जाता है कि आज भी होली के दिन बच्चों द्वारा शोरगुल करने, गाने-बजाने के पीछे ढुंढी राक्षसी से मुक्ति दिलाने वाली कथा की मान्यता है।

राक्षसी पूतना का वध: कृष्ण द्वारा राक्षसी पूतना के वध की कथा भी होली के इस पर्व से जोड़कर देखी जाती है। मान्यता अनुसार श्री कृष्ण ने पूतना का वध फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही किया था जिसकी खुशी में होली का पर्व मनाया जाता है।

होली पर्व के अलग-अलग नाम: भारत में होली को अलग-अलग नामों से जाना जाता है साथ ही इसे मनाने के तरीके भी अलग हैं। ब्रज की होली सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र होती है। बरसाने की लठमार होली की अलग ही परंपरा चली आ रही है जहां पुरूष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएं उन्हें लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं। मथुरा और वृंदावन में भी 15 दिनों तक होली का पर्व मनाया जाता है। हरियाणा की बात करें तो यहां होली में भाभी द्वारा देवर को सताए जाने की प्रथा है। महाराष्ट्र की होली यानी रंग पंचमी में सूखा गुलाल लगाया जाता है। गोवा के शिमगो में जलूस निकालने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। पंजाब के होला मोहल्ला में सिखों द्वारा शक्ति प्रदर्शन करने की परंपरा है।