Shiv Mandir Baba Baidyanath Dham Temple: हिंदुओं के महान पर्व में से एक शिवरात्रि पर बाबा बैद्यनाथ के वाशिंदें मायूस है। इस दफा कोरोना की वजह से शिव बारात का आयोजन नहीं हो रहा है। हालांकि बाबा बैद्यनाथ ज्योर्तिलिंग का जलाभिषेक होगा। दर्शनार्थियों के लिए मंदिर के पट सुबह पांच बजे के पहले ही खोल दिए गए।
हालांकि शिवरात्रि के दिन भीड़ पर रोक के लिए देवघर प्रशासन ने नई तरकीब निकाली है। झारखंड के अलावा दूसरे राज्यों के वाहनों को रोकने के वास्ते प्रवेश पर टैक्स लगाया है। बाकायदा इसका इश्तिहार अखबारों में छपवाकर चेतावनी दी गई है। ताकि भीड़ पर काबू पाया जा सके।
इधर शिव बारात महोत्सव समिति के संयुक्त सचिव संजय भारद्वाज बताते है कि बीते 27 साल से लगातार यह आयोजन समिति के अध्यक्ष राम नारायण खवाड़े उर्फ बबलू खवाड़े के नेतृत्व में समिति करती आई है। मगर कोरोना की वजह से समिति ने इस बार 28 वें साल में आयोजन न करने का फैसला किया है। समिति ने विचार किया कि बारात की झांकियां कम की जा सकती है। मगर श्रद्धालुओं और दर्शकों पर काबू पाना समिति के बूते के बाहर है।
बीते साल कोरोना महामारी शुरू होने के पहले ही 21 फरवरी को शिवरात्रि पड़ी थी। उस साल झांकी में कचरा कच्च राक्षस और देश भक्ति झांकी मुख्य आकर्षक का केंद्र था। देवघर में शिव बारात देखने दूर-दूर से भक्तजन जुटते है। मगर इस दफा फीका है। ‘देवघर यानी देवताओं का घर’ में अपने अनूठे अंदाज में इस मौके पर बाबा की शिव बारात का आयोजन न होने से भी लोग मायूस है।
देवघर के बाबा बैद्यनाथ द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक माना जाता है। इस मौके पर लाखों श्रद्धालु यहां आकर बाबा का जलाभिषेक करते है। पंडा समाज व नाग ग्रुप के शौभन नरौने बताते है कि महाशिवरात्रि का पर्व इस दफा घनिष्ठा नक्षत्र में मनाया जाएगा। जो शुभ है। यह 11 मार्च को शुभ संयोग बैठ रहा है।
एक पुरानी परंपरा के मुताबिक यहां रोजाना शाम को बाबा बैद्यनाथ की श्रृंगार पूजा के लिए मुकुट जेल के कैदी तैयार कर भेजते है। वहीं, शिवरात्रि के दिन बाबा की शादी का मोरमुकुट, वस्त्र, परिधान बगैरह बगल के रोहणी गांव से आता है। इसे घटवार व मालाकार परिवार तैयार करते हैं। गुड्डू मालाकार बताते है कि बाबा का मोर मुकुट तीन फीट ऊंचा होता है। यह परंपरा करीब डेढ़ सौ साल से भी ज्यादा से चली रही है।
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बाबा बैद्यनाथ आने वाले बाबा वासकीनाथ भी दर्शन करने जरूर जाते है। श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ को सिविल कोर्ट तो बाबा वासकीनाथ को फौजदारी बाबा मानते है। दोनों मंदिर झारखंड के देवघर और दुमका ज़िले में है। देवघर से बासुकीनाथ की दूरी महज 45 किलोमीटर है।