Hariyali Amavasya 2019:  1 अगस्त को सावन मास की अमावस्या है जिसे श्रावणी अमावस्या और हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस अमावस्या की तिथि की शुरुआत 31 जुलाई से ही हो जाएगी। हिंदू धर्म में हरियाली अमावस्या का काफी महत्व होता है। इस दिन माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। माना जाता है जो भक्त सच्चे मन से माता पार्वती की अराधना करता है उसके जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। और इस बार की हरियाली अमावस्या खास रहने वाली है क्योंकि इस दिन 125 साल बाद पंच महायोग का एक अनोखा संयोग भी बन रहा है। पंच महायोग से तात्पर्य है जब शुभ योग, सर्वार्थ सिद्धि, सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और गुरु पुष्यामृत ये सभी योग एक साथ होते हैं। शिव मन्दिरों में भी लोग हरियाली अमावस्या के दिन दर्शन और पवित्र स्नान करने जाते हैं। जानिए हरियाली अमावस्या की शुभ तिथि और पूजा विधि…

हरियाली अमावस्या शुभ तिथि: 31 जुलाई सुबह 11 बजे से अमावस्या तिथि की शुरुआत हो जाएगी, जो 1 अगस्त सुबह 8 बजकर 48 मिनट तक जारी रहेगी।

हरियाली अमावस्या पर क्या करें: इस दिन नदी या तालाब के पास जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलानी चाहिए। हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। उन्‍हें सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं। अपने पितरों की शांति के लिए हवन आदि करवा सकते हैं। घर की दरिद्रता को दूर करने के लिए शाम के समय मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए घर के ईशान कोण में घी का दीपक जलाएं। पूजा की थाली में स्वस्तिक या ॐ बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र रखें। हरियाली अमावस्या के दिन पीपल की पूजा की जाती है और मालपुओं का भोग लगाया जाता है। हरियाली अमावस्या के दिन नए पौधे लगाकर उसकी देखभाल करने से अनंत पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि: हरियाली अमावस्या वाले दिन दोपहर 12 बजे से पहले पीपल के पेड़ की 21 बार परिक्रमा करके शिवलिंग का जलाभिषेक करें। तुलसी के पौधे पर दीपक जलाएं। ब्राह्माणों और जरूरतमंद लोगों को अपनी हिसाब से दान पुण्य करें। इस दिन शिवलिंग पर पंचामृत अर्पित करने से कुंडली के कालसर्प दोष, पितृ दोष और शनि शनि के प्रकोप से राहत मिलती है।