Holi 2019 Date in India, Happy Holi 2019: होली में कुछ समय ही बचा है। इस साल होली 21 मार्च को मनाई जाएगी। फाल्गुन के महीने में पड़ने वाला होली का त्योहार पूर्णिया तिथि को मनाई जाती है। होली का त्योहार दो दिन तक चलता है पहले दिन छोटी होली मनाई जाती है। जिसे हम सभी होलिका दहन के नाम से जानते हैं। इसके दूसरे दिन मनाई जाती है रंग वाली होली। वैसे तो यह हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहार में शामिल है लेकिन इस दिन सभी धर्म धर्मों के लोग रंगों में डूबते हैं और मुंह मीठा करते हैं। देश के कई हिस्सों में होली के अलग- अलग रंग देखने को मिलते हैं।

उत्तर प्रदेश और ब्रज के आस पास के इलाकों में लठमार होली की परंपरा दशकों से चली आ रही है। होली में यहां की महिलाएं हाथों में लाठियां लेकर पुरूषों को दौड़ाती हैं। दक्षिण भारत में इस दिन लोग सनातन मान्यताओं के मुताबिक, प्रेम का देवता कामदेव की पूजा कर करते हैं। माना जाता है कि होली वाले दिन ही भगवान शिव ने क्रोधित हो अपनी तीसरी आंख से कामदेव को जलाकर भस्म कर दिया था। इसीलिए उनकी पूजा की जाती है। वहीं उड़ीसा और बंगाल में होली पर यहां के लोग लोकगीतों पर नृत्य और झूलों पर खेलते की परम्परा चली आ रही है। हालांकि इसके पीछे का कारण देश के किसी भी कोने में मनाने का एक ही है। हालांकि कुछ जगहों पर एक तिथि पर कई मान्यताएओं के अनुसार भी अपना त्योहार मनाते हैं।

मान्यताओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप नाम का एक एक शक्तिशाली राजा हुआ था। उसे भगवान शिव से तो विशेष लगाव था। लेकिन वह भगवान विष्णु का धुर विरोधी था। हिरण्यकश्यप को शिव जी से विशेष वरदान भी मिला था। कड़ी तपस्या के बाद भोले नाथ ने उसे वरदान दिया था कि उसकी मौत का कारण कोई भी आदमी या जानवर नहीं बनेगा, न वह दिन में मरेगा न ही रात में, उसे दिन और रात के पहर में भी नहीं मारा जा सकेगा। इसी वरदान दम पर हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझने लगा। कुछ समय पश्चात उसके घर एक बालक ने जन्म लिया।

जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया। लेकिन वह भगवान विष्णु की भक्ति में ही लगा रहता था। प्रह्लाद के पिता ने उसे अपने जैसा बनाना चाहा। लेकिन ऐसा संभव होता न देख उसने उसे मारने का फैसला किया। हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे को मारने के लिए अपनी बहन का सहारा लिया। जिसका नाम होलिका था। होलिका को भी खास वरदान था। उसको वरदान था कि वह आग से उसका कभी अहित नहीं होगा। इसके बाद वह आग की लपटों के बीच प्रह्लाद को लेकर बैठ गई। लेकिन यहां चमत्कार हो गया। भगवान विष्णु के नाम का जाप हुए प्रह्लाद बाहर आया और होलिका आग में ही दहन हो जाती है। माना जाता है कि तब से ही होली का त्योहार मनाया जाने लगा।

इसके अलावा घर में महिलाएं इस दिन सुख-शांति के लिए पूजा करती हैं। नारद पुराण के अनुसार, बड़ी होली यानी रंग वाली होली के दिन पर सुबह पितरों और देवताओं का तर्पण किया जाता है। इसके साथ ही दोषों की शांति के लिए भी पूजन होता है। गोबर से घर के आंगन को लीपकर वहां एक चौकोर मण्डल का निर्माण किया जाता है। जिसके बाद उसे अक्षतों से सजा कर उसमें पूजा होती है। ऐसा करने से आयु वृद्धि, आरोग्य की प्राप्ति होती है।