धृतिमान बिश्वास

होली की बात हो और भांग का जिक्र ना आए, तो यह थोड़ी ज्यादती हो जाएगी। इन दिनों भांग होली और महाशिवरात्रि पर थोड़ी मस्ती करने तक सीमित हो गई है। बॉलीवुड में भी कई फिल्मों में भांग के इसी मस्ती वाले रुप पर फोकस किया गया है। हालांकि भांग मस्ती से कहीं ज्यादा बढ़कर है। पुराने समय में योगी और अघोरी साधू भांग का इस्तेमाल परम आनंद की प्राप्ति के लिए करते थे। यहां तक कि हमारे वेदों में भी भांग को ऊंचा दर्जा दिया गया है। वेदों के अनुसार, भांग में कई बीमारियों का इलाज करने की क्षमता है।

बाकी नशों से कैसे अलग है भांग

आमतौर पर भांग को नशे के तौर पर ही जाना जाता है। लेकिन एक रिसर्च में पता चला है कि भांग हमारे दिमाग की कोशिकाओं को बढ़ाने में सहायक है। स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क के पूर्व रिसर्चर ने बताया कि जहां एल्कोहल हमारे दिमाग की कोशिकाओं पर बुरा असर डालती है, वहीं भांग दिमाग के लिए अच्छी है।

भांग का आध्यात्मिक कनेक्शन

भांग को हिंदू धर्म में आध्यात्म से जोड़ा गया है। अथर्वेद में तो भांग को मोक्षदायिनी बताया गया है। हालांकि यह अहम बात है कि भांग का इस्तेमाल कुछ दिनों तक ध्यान और योगा करने के बाद ही करना चाहिए। इससे दिमाग में एक परम शांति का अनुभव होगा। कुछ लोगों का तो कहना है कि अगर भांग पीने के बाद आप ध्यान लगाते हैं तो आप ध्यान के चरम स्तर तक पहुंच सकते हैं। लेकिन यहां ये बात जोड़ना भी जरुरी है कि भांग का इस्तेमाल बड़ी ही सावधानीपूर्वक करना चाहिए, वरना इससे नुकसान भी हो सकता है। बिना शरीर को तैयार किए बिना ज्यादा मात्रा में भांग पीना आपके शरीर और दिमाग के लिए बेहद खतरनाक है। इसलिए भांग का सेवन करते समय इस बात का ध्यान रखना बेहद जरुरी है।

भांग पीते समय इस बात का ख्याल रखना भी जरुरी है कि भांग का नशा उतरने के बाद हमें यदि अगली बार भांग पीनी है तो उसकी मात्रा कितनी हो और किस क्वालिटी की भांग हो। क्योंकि अगर इसका ध्यान ना रखा गया तो परम आनंद कष्ट में भी बदल सकता है।