आज हनुमान जयंती का पावन पर्व पूरे देश में मनाया जा रहा है। ये त्योहार हर साल चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। हनुमान जयंती के दिन श्री राम भक्त हनुमान जी की भगवान राम और माता सीता के साथ पूजा की जाती है। इस दिन रामचरितमानस के सुंदर कांड का पाठ और हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। इनकी मूर्तियों पर सिंदूर और चांदी का व्रक भी चढ़ाया जाता है। प्रसाद स्वरूप भगवान को मालपुआ, लड्डू, हलवा, चूरमा इत्यादि चीजों का भोग लगाया जाता है। लेकिन हनुमान जयंती की पूजा इस आरती को उतारे बिना अधूरी मानी जाती है…

Hanuman Ji Ki Aarti: यहां पढ़े हनुमान जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी

हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti, Aarti Kije Hanuman Lala Ki):

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।

अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।

बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।

कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।

जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

हनुमान जी के भजन (Hanuman Ki Ke Bhajan):

हनुमान जी की आरती भजन

हनुमान जी के सुपरहिट भजन यहां देखें

हनुमान जी के मंत्र (Hanuman Ji Mantra):

हनुमान कवच मंत्र

“ॐ श्री हनुमते नम:”

सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र

ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।

संकट मोचन हनुमान जी की जन्म कथा: हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार माने जाते हैं| उनके जन्म के बारे में पुराणों में जो उल्लेख मिलता है उसके अनुसार अमरत्व की प्राप्ति के लिये जब देवताओं व असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया को उससे निकले अमृत को असुरों ने छीन लिया और आपस में ही लड़ने लगे। तब भगवान विष्णु मोहिनी के भेष अवतरित हुए। मोहनी रूप देख देवता व असुर तो क्या स्वयं भगवान शिवजी कामातुर हो गए। इस समय भगवान शिव ने जो वीर्य त्याग किया उसे पवनदेव ने वानरराज केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया| जिसके फलस्वरूप माता अंजना के गर्भ से केसरी नंदन मारुती संकट मोचन रामभक्त श्री हनुमान का जन्म हुआ|