हर साल कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के दिन सिखों के पहले गुरु नानक देव जी का जन्मदिन मनाया जाता है। इस साल ये दिन 12 नवंबर को पड़ा है। गुरु नानक जी ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी। सिख समुदाय के लोग इनके जन्मदिन को प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं। गुरु नानक जयंती पर गुरुग्रंथ साहिब का अखंड पाठ करवाया जाता है। इस दिन गुरुद्वारे में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। गुरु नानक जी ने भारत सहित अनेक देशों की यात्राएं कर धार्मिक एकता के उपदेशों और शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार कर दुनिया को जीवन का नया मार्ग बताया था।

गुरु नानक गुरु वाणी (Guru Nanak Ji Ki Guru Vani) :

इक ओंकार सतनाम करता पुरख
.. अकाल मूरत
अजूनी सभम
गुरु परसाद जप आड़ सच जुगाड़ सच
है भी सच नानक होसे भी सच
सोचे सोच न हो वे
जो सोची लाख वार
छुपे छुप न होवै

जे लाइ हर लख्तार
उखिया पुख न उतरी
जे बनना पूरिया पार
सहास्यांपा लाख वह है
ता एक न चले नाल
के वे सच यारा होइ ऐ
के वे कूड़े टूटते पाल
हुकुम रजाई चलना नानक लिखिए नाल

अर्थ – एक ओंकार (ईश्वर एक है), सतनाम (उसका नाम ही सच है), करता पुरख (सबको बनाने वाला), अकाल मूरत (निराकार), निरभउ (निर्भय), निरवैर (किसी का दुश्मन नहीं), अजूनी सैभं (जन्म-मरण से दूर) और अपनी सत्ता कायम रखने वाला है। ऐसे परमात्मा को गुरु नानक जी ने अकाल पुरख कहा, जिसकी शरण गुरु के बिना संभव नहीं।

कैसे मनाई जाती है गुरु नानक देव जयंती: इस दिन गुरुद्वारों में शब्द-कीर्तन किये जाते हैं। जगह-जगह पर बड़े स्तर पर लंगरों का आयोजन किया जाता है। गुरुद्वारों और घरों में लोग गुरुबाणी का पाठ भी कराते हैं। इस दिन कई तरह के जुलूस एवं शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं। इस जुलूस में नानकदेव के जीवन से संबंधित सुसज्जित झांकियां बैंड-बाजों के साथ निकाली जाती हैं। गुरु नानकदेवजी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में विशाल नगर कीर्तन और कई जगहों पर प्रभातफेरी भी निकाली जाती है। भातफेरी के दौरान कीर्तनी जत्थे कीर्तन कर संगत को निहाल करते हैं।