Gudi Padwa 2019: गुड़ी पड़वा पर्व को देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय के लोग इस पर्व को ‘संवत्सर पड़वो’ कहते हैं। वहीं कर्नाटक में इस पर्व को ‘युगाड़ी’ कहा जाता है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इस पर्व को ‘उगाड़ी’ नाम से जाना ता है। कश्मीरी हिंदू इस दिन को ‘नवरेह’ के तौर पर मनाते हैं। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक गुड़ी पड़वा यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को हिंदू नववर्ष का शुभारंभ माना जाता है। गुड़ी का मतलब है झंडा और पड़वा का अर्थ है प्रतिपदा। आम तौर पर इस दिन हिंदू परिवारों में गुड़ी का पूजन किया जाता है। इस दिन लोग घर के द्वारों पर गुड़ी लगाते हैं और घर के दरवाजों को आम पत्तों से सजाते हैं। इस पर्व को लेकर मान्यता है कि इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

यह है पूजा विधि: इस दिन ब्रह्रम मूहूर्त में उठकर घर की सफाई करें। नित्य कामों से निवृत होकर स्नान करें। पूजन के जगह को पवित्र करने के लिए स्वास्तिक चिन्ह अवश्य बनाएं। एक चौकी या बालू की वेदी बना कर उसमें सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर उसपर हल्दी या केसर से रंगे अक्षत से कमल बनाकर उसपर ब्रह्माजी को स्थापित करें। स्वास्तिक के केन्द्र में हल्दी और कुमकुम लगाएं। इसके बाद गणेशाम्बिका की पूजा करें और हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प और जल लेकर भगवान ब्रह्माजी के मंत्रों का उच्चारण करने के बाद पूजा शुरू करें।

गुड़ी की स्थापना है जरुरी: आम तौर पर लोग इस दिन अपने घर में गुड़ी की स्थापना करते हैं। गुड़ी एक बांस का डंडा होता है जिसे हरे या पीले रंग के कपड़ों से सजाया जाता है। इस कपड़े को डंडे के सबसे ऊपर बंधना चाहिए। इसके अलावा नीम, आम के पत्ते और माला भी डंडे के ऊपरी छोर पर बांधे जाते हैं। डंडे के ऊपर तांबे या चांदी का लोटा भी रखा जाता है। गुड़ी की स्थापना के बाद भगना विष्णु और ब्रह्रा के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। गुड़ी दूर से ही नजर आए इसके लिए उसे घर की छत पर या किसी अन्य ऊंचे स्थान पर लगाया जाता है।

इस मंत्र का करें जाप
ॐ चतुर्भिर्वदनैः वेदान् चतुरो भावयन् शुभान्।
ब्रह्मा मे जगतां स्रष्टा हृदये शाश्वतं वसेत्।।

यह है शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि आरंभ – 14:20 (5 अप्रैल 2019)
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 15:23 (6 मार्च 2019)