गणपति विसर्जन 12 सितंबर यानी आज है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से चतुदर्शी तिथि तक भगवान गणेश की उपासना का पर्व गणेश चतुर्थी मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन घर लाई बप्पा की प्रतीमा का अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन कर दिया जाता है। यानी नौ दिनों तक भगवान गणेश की विधि विधान पूजा के बाद 10वें दिन उनकी विदाई कर दी जाती है। माना जाता है घर आए बप्पा इन 10 दिनों में अपने भक्तों के सभी दुखों को हर लेते हैं। जानें गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त और विधि…

गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त: (Ganesh Visarjan Time/Muhurat)

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 12 को 05:06 ए एम बजे से
चतुर्दशी तिथि समाप्त – सितम्बर 13 को 07:35 ए एम बजे तक
प्रातः मुहूर्त (शुभ) – 05:46 ए एम से 07:18 ए एम
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 10:22 ए एम से 02:58 पी एम
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 04:30 पी एम से 06:02 पी एम
सायाह्न मुहूर्त (अमृत, चर) – 06:02 पी एम से 08:58 पी एम
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 11:54 पी एम से 01:22 ए एम, सितम्बर 13

विसर्जन से पहले ऐसे करें गणपति की पूजा: (Ganesh/Ganpati Visarjan Vidhi)

– एक लकड़ी का पटरा लें उस पर गंगाजल छिड़ककर उसे साफ करें और उस पर स्वास्तिक का निशान बना लें।
– अब उस पटरे पर अक्षत यानी साबुत चावल के कुछ दाने रखें और पीला, गुलाबी या लाल रंग का कपड़ा बिछा लें। अब इस पर गणपति की मूर्ति स्थापित करें।
– गणेश जी की इस पटरे पर स्थापना करने के बाद उन्हें फल, फूल और मोदक अर्पित करें।
– अब गणेश जी की प्रतिमा का विधिवत पूजन करें. उन्हें वस्त्र पहनाएं और भोग लगाएं।
– अब एक रेशमी कपड़ा लें जिसमें मोदक, कुछ पैसे, दूर्वा घास और सुपारी लेकर उसकी गांठ बना लें और इस पोटली को तैयार कर बप्पा के साथ बांध दें।
– अब घर के सभी लोग एक साथ बप्पा की आरती उतारें और गणपति बप्पा मोरया के जयकारे लगाएं।
– इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थना करें और मूर्ति विसर्जित करने की तैयारी करें।

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मूर्ति विसर्जन का सही तरीका:
– गणेश विसर्जन वाले दिन सुबह उपवास रखना जरूरी है अथवा इस दिन फलाहार करें।
– घर में गणेश जी की स्थापित प्रतीमा का विधि विधान के साथ पूजन करें। पूजा में गणेश जी को नारियल, शमी पत्र और दूब जरूर अर्पित करें।
– उसके बाद प्रतिमा को ले जाने की तैयारी करें अगर मूर्ति ज्यादा बड़ी नहीं है तो उसे गोद में या सर पर रख कर ले जाएं।
– प्रतिमा को ले जाते समय भगवान गणपति को समर्पित अक्षत घर में बिखेर दें।
– मूर्ति विसर्जन के समय अपने पास चमड़े का कोई समान, घड़ी और पर्स भी नहीं रखें और नंगे पैर ही मूर्ति का वहन और विसर्जन करें।
– विसर्जन के बाद हाथ जोड़कर उनसे अगले बरस आने की, कल्याण और मंगल की कामना करें।