Ganpati Visarjan 2019: गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा का आगमन किया जाता है तो अनंत चतुर्दशी के दिन उनकी घर लायी मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। 02 सितंबर से गणेशोत्सव का प्रारंभ हो गया है और 10 दिनों तक चलने वाला ये गणेशोत्सव 12 सितंबर को गणेश जी की प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ सम्पन्न होगा। 12 सितंबर को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi 2019) है इस दिन गणेश जी की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है और उनसे अगले बरस दोबारा आने की कामना की जाती है। जो लोग पूरे 10 दिनों तक गणपति की विधि विधान पूजा कर पाने में असमर्थ होते हैं वे बीच में भी गणपति विसर्जन कर लेते हैं।
गणपति विसर्जन तारीख और शुभ मुहूर्त (Ganpati Visarjan Date And Shubh Muhurat)
तारीख – 12 सितंबर, अनंत चतुर्दशी
तिथि – चतुर्दशी की तिथि 12 सितंबर सुबह 5:06 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 7:35 तक है।
शुभ मुहूर्त – वैसे तो अनंत चतुर्दशी का पूरा दिन शुभ माना जाता है और आप किसी भी वक्त विसर्जन कर सकते हैं। लेकिन इस दिन सबसे शुभ मुहूर्त हैं – सुबह 6:01 से 07:32 तक, सुबह 10:34 से 3:07 तक, शाम 4:38 से 9:07 बजे तक, फिर रात 12:05 से 1:34 तक।
गणपति विसर्जन की विधि (Ganpati Visarjan Vidhi)
विसर्जन के दिन परिवार के सभी सदस्य साथ में पूजा करते हैं। गणपति बप्पा की विदाई से पहले गणेशजी की आरती उतारकर उनके जयकारे लगाएं जाते हैं। गणेशजी को मोदक, मिठाई का भोग लगाया जाता है उन्हें विदाई के लिए वस्त्र पहनाएं जाते हैं। गणेश जी को विदा करते समय क्षमा प्रार्थना करके भूल-चूक के लिए क्षमा जरूर मांग लेनी चाहिए। एक कपड़े में सुपारी, दूर्वा, मिठाई और कुछ पैसे रखकर उसे गणपति के साथ बांध दें। पूजा से संबंधित सभी सामग्री को गणेशजी के साथ जल में विसर्जित कर दें। आरती करने के बाद भगवान को भोग लगाया जाता है, जिसे बाद में परिवार के सदस्यों में वितरित कर दिया जाता है। आरती और प्रसाद के बाद परिवार का एक सदस्य धीरे-धीरे गणपति की मूर्ति को थोड़ा आगे बढ़ाता है। ऐसा करना गणपति को इशारा करता है कि अब विसर्जन का समय आ गया है।
विसर्जन के नियम – इसका नियम ये है कि पानी में देवी-देवताओं की प्रतिमा को डुबोया जाता है। नदी, तालाब या किसी कुंड साग में आप गणपति की प्रतिमा को विसर्जित कर सकते हैं। बड़े शहरों में तालाब तक पहुंचना मुश्किल होने के कारण लोग जमीन में गड्ढा कर के प्रतिमा को विसर्जित कर देते हैं। आप चाहें तो गणेश जी की छोटी प्रतिमा को किसी बड़े बर्तन में जल लेकर विसर्जित कर सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि जल में पैर ना लगे। उसके बाद उस जल को किसी गमले में या पेड़ पौधों में डाल दें।
