रमजान ईद मुबारक २०१८, Eid ul Fitr 2018: ईद आने वाली है। अगर आज (14 जून) शाम को चांद दिखाई दिया तो कल यानि शुक्रवार को ईद उत फितर मनाया जाएगा। इसके अलावा आज शाम को सउदी अरब में भी चांद दिखाई दे सकता है। मतलब वहां भी शुक्रवार को ही ईद मनाई जा सकती है। हालांकि कल ईद होगी या नहीं होगी यह तो चांद दिखाई देने पर ही निर्भर करता है। अगर चांद आज दिखाई नहीं दिया तो कल ईद मनाई जाएगी वहीं अगर आज चांद दिखाई नहीं दिया तो कल ईद नहीं मनाई जाएगी। आपको बता दें कि पिछले साल सउदी अरब में 25 जून को ईद मनाई गई थी तो भारत में 26 जून को ई मनाई गई थी। ईद-उल-फित्र की नमाज की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। 29 वीं रमजान मतलब आज चांद दिखाई दे सकता है।
EID 2018 Moon Sighting Live Updates: जानें कब मनाई जाएगी ईद
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पूरे भारत में आज कहीं पर भी चांद नहीं देखा जा सका। एएनआई के अनुसार, जामा मस्जिद के शाही इमाम ने ऐलान किया है कि भारत में 16 जून (शनिवार) को ईद मनाई जाएगी।
अलग-अलग देशों मे भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से ईद का त्यौहार मनाया जाता है। जहां चांद दिखता है, उसके अगले दिन वहां ईद होती है। सऊदी अरब में पिछले साल 25 जून को ईद-उल फितर मनाई गई थी। जबकि भारत में इसके एक दिन बाद, 26 जून को भारत में ईद मनाई गई थी।
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में एस्ट्रोनॉमी सेंटर ने चांद दिखने की पुष्टि की है। हालांकि इसे नंगी आंखों से नहीं देखा जा सका। इस बारे में आखिरी फैसला अब चांद देखने वाली कमेटी करेगी जो मग़रिब की नमाज के बाद मिलेगी।
केरल में ईद शुक्रवार को मनाए जाने के आसार हैं। तटीय राज्य होने की वजह से भारत के मुकाबले यहां एक रात पहले ही चांद दिख जाता है। हैदराबाद में चांद को अच्छे टेलिस्कोप या ताकतवर बायनाकुलर्स से देखा जा सकेगा।
अगर भारत में आज चांद दिख जाता है तो शुक्रवार को ईद होगी। अगर ऐसा नहीं होता है फिर शनिवार को ईद का त्यौहार मनाया जाएगा। यूएई में चांद दिखने का पता चलते ही खरीदारी का दौर शुरू हो गया है।
रजमान के महीने में 29 या 30 रोजे होते हैं। इनकी संख्या चांद दिखने के आधार पर तय होती है। अधिकतर लोगों के लिए गुरूवार को 29वां रोजा है। इसलिए आज रात चांद दिखने की संभावना है।
रोजेदारों को तो ईद के चांद का इंतजार होता ही है, रमजान की आखिरी रात डेयरी वाले भी आसमान की तरफ टकटकी लगाए रहते हैं क्योंकि चांद रात पर दूध की खपत लगभग दोगुनी हो जाती है और उन्हें इसके लिए पहले से तैयारी रखनी पड़ती है।
सब्र और इबादत से पुरनूर रमजान का महीना खत्म होने की दस्तक के साथ ही मीठी ईद पर तरह तरह के पकवान और खास तौर पर सेवई बनाने की तैयारियां पूरे शबाब पर हैं और लोग कपड़ों से लेकर सेवई, मेवे, खोया खरीदने के लिए बाजारों का रूख कर रहे हैं।
रमजान के पवित्र महीने के दौरान उपवास करने के बाद ईद दुनियाभर के मुस्लिमों के लिए कृतज्ञता जाहिर करने का विशेष दिन है, जो अपने परिवारों के साथ शानदार भोजन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
कहते हैं कि आम दिनों में अल्लाह की इबादत से दूर रहने वाला शख्स भी रमजान में अल्लाह की इबादत करता है। इस महीने में एक रोजेदार को सब्र, मानवता और खुशियों का सही अर्थ पता चलता है। रोजा का मतलब बंदिश (मनाही), इसमें सिर्फ खाने-पीने की बंदिश नहीं है बल्कि हर उस बुराई से बंदिश है जो इस्लाम में मना है।
रमजान के महीने में मुस्लिम समाज के लोग 29 से 30 दिनों तक रोजा रखते हैं। सुबह सूरज निकलने से पहले रोजेदार शहरी करते हैं और सूरज के डूबने के बाद इफ्तार किया जाता है। इस बीच रोजेदार ना तो कुछ खा सकते हैं और ना ही कुछ पी सकते हैं। सुबह शहरी के बाद नमाज पढ़ी जाती है।ऐ
सऊदी अरब और उसके आसपास के देशों में भारत से 1 दिन पहले ईद का त्यौहार मनाया जाता है। भारत के केरल एवं कश्मीर जैसे राज्यों में भी कभी कभी सऊदी अरब के अनुसार ही ईद का तारीख तय हो जाती है। वर्ष 2017 में ईद 26 जून को पूरे भारत में मनाई गई थी। भारत एवं उसके आसपास के देशों में वर्ष 2018 में शब-ए-बारात 1 मई को मनाई गई है।
यूएई में प्राइवेट कंपनियों में छुट्टियों की सूचना जारी कर दी गई है। अगर आज चांद दिखाई दिया तो यूएई में शुक्रवार की छुट्टी रहेगी वहीं अगर आज चांद दिखाई नहीं दिया तो फिर शनिवार की छुट्टी रहेगी।
ईद के मौके पर नए कपड़े पहनने की परंपरा होती है। हालांकि यह बात सत्य नहीं है, ईद पर साफ कपड़े जरूरी होते हैं नए नहीं। साफ भी वो जो सबसे साफ हों, इसलिए नए कपड़े पहनने की कोई बाध्यता नहीं है। कपडों पर इत्र लगाने की भी परंपरा है, लेकिन यह भी जरूरी नहीं है।
नमाज से पहले फिकरा करना भी जरूरी होता है। ईद की नमाज खुले में ही अता की जाती है। सबसे खास बात ये है कि ईदगाह आने और जाने के लिए अलग अलग रास्तों का इस्तेमाल किया जाता है।
ईद संयम और शांति का त्यौहार है, लेकिन कुछ नियम भी हैं जिनका पालन इस दिन करना जरूरी होता है। मसलन ईद वाले दिन की शुरूआत सुबह जल्दी उठकर फजर की नमाज अता करने से होती है। उसके बाद खुद की सफाई जैसे, गुस्ल और मिस्वाक करना। इसके बाद साफ कपड़े पहनना सबसे साफ फिर उन पर इत्र लगाना और कुछ खाकर ईदगाह जाना।
ईद भी रमजान के बाद नए महीने की शुरूआत के रूप में मनाई जाती है जिसे शव्वाल कहा जाता है। जब तक चांद न दिखे रमजान खत्म नहीं होता और शव्वाल शुरू नहीं हो सकता। वैसे इसका संबंध एक एतिहासिक घटना से भी है। कहा जाता है कि इसी दिन हजरत मुहम्मद ने मक्का शहर से मदीना के लिए कूच किया था।
रमजान के महीने के बाद चांद देखकर ही ईद की शुरूआत होती है। असल में त्यौहारों में चांद का बड़ा महत्व है, हिंदुओं में भी कई त्यौहार चांद देखकर ही मनाए जाते हैं। ईद का चांद से बड़ा गहरा संबंध है। ईद उल फितर हिजरी कैलेंडर के दसवें महीने के पहले दिन मनाई जाती है और इस कलेंडर में नया महीना चांद देखकर ही शुरू होता है।
इस्लाम में माना जाता है कि पहली ईद हजरत मुहम्मद पैगंबर ने सेन 624 ईस्वी में जंग-ए-बदर के बाद मनाई थी। यह कुछ-कुछ हिंदूओं के दीपावली की तरह है जब भगवान राम के लंका विजय के बाद पहली बार दीपोत्सव की शुरूआत हुई थी, जो बाद में दीपावली के रूप में मनाया जाने लगा।
नौरोज उस दिन को मनाते थे जब सूरज मेष राशि में प्रवेश करता था और मेहरजान उस दिन जब सूरज तुला राशि में प्रवेश करता था। इस्लाम अपनाने के बाद इन दो दिन की बजाय ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा मनाने की परंपरा शुरू हुई।
सुबह की नमाज के साथ एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी जाएगी। फिर पड़ोसियों, रिश्तेदारों और दोस्तों के घर जाने और त्योहार मनाने का दौर शुरू होगा। इस्लाम धर्म अपनाने से पहले अरब के लोग दो दिन खुशियां मनाते थे। एक नौरोज के दिन और दूसरा मेहरजान के दिन।
इस बार ईद वीकेंड पर पड़ रही है तो जाहिर है, छुट्टियां बढ़ने से लोगों की खुशी में भी बढ़ोतरी होगी। अरबी भाषा में ईद का मतलब होता है बार-बार लौटकर आना और फितर का मतलब होता है ब्रेकफास्ट यानी नाश्ता। इस मायने में ईद को खुशियों की दावत का वह दिन कह सकते हैं, जो बार-बार लौटकर आता है।
अलग-अलग देशों मे भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से ईद का त्यौहार मनाया जाता है। ईद-उल-फितर से पहले माहे रमजान के पूरे महीने में रोजे रखे जाते है। जिसके बाद ईद के त्यौहार का जश्न मनाया जाता है।
रोजे में इंसान ने खाने-पीने का त्याग किया था अब वह व्यापक मानवीय हितों के लिए अपनी इच्छाओं का त्याग करता है। रोजे में वह अपनी इच्छाओं को रोकने पर राजी हुआ था, अब ईद के दिन बाहर निकलकर वह अपने अधिकारों से ज्यादा अपनी जिम्मेदारियों पर नजर रखनेवाला बन जाता है।
हर तरफ खुशी का माहौल है। ईद मनाने का उत्साह और जोश जोरों पर है। इसी के साथ मोबाइल पर भी दोस्तों और परिवारजनों में मुबारकबाद देने की शुरूआत हो चुकी है। अल्लाह, इफ्तार, सहरी, कुरान, मस्ज़िद आदि की तस्वीरों के साथ ईद मुबारक कही जा रही है। इसके अलावा शेरों शायरी भेजने का सिलसिला भी चल चुका है।
अब गुरुवार को 29 वें रोजे के साथ ही चांद देखने का सिलसिला शुरू होगा। मरकजी चांद कमेटी फरंगी महल लखनऊ की ओर से ऐशबाग ईदगाह में चांद देखने की इंतजाम किया है। तो वहीं शिया चांद कमेटी की ओर से सतखण्डा पर देखने की कोशिश की जाएगी।
रमजान के पूरे महीने में मुसलमानों के द्वारा रोजे रखने का मतलब केवल खुद को भूखा-प्यासा रखना नहीं होता। बल्कि, इससे जीवन में संयम और शांति धारण करने का संदेश मिलता है। रमजान मुसलमान लोगों को बुरे कर्म छोड़कर अच्छाई की ओर चलने की सीख देता है।
मुस्लिम रमजान के बाद फितरा और जकात देकर गरीबों की मदद करते हैं। इस दिन सेवइयां और खीर बनाने का रिवाज है। माना जाता है कि रमजान के पाक महीने में ही कुरआन शरीफ का धरती पर अवतार हुआ था।