Eid e Milad un Nabi 2018 Date in India: पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्म इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख को मनाया जाता है। इसी दिन को ईद-ए-मिलाद यी मिलाद-उन-नबी का दिन कहा जाता है। 12वीं रबी-अल-अव्वल 571 ई. में पैगंबर मोहम्मद साबह का जन्म मक्का शहर में हुआ था। साल 2018 में देशभर में ईद-ए-मिलाद/मिलाद-उन-नबी 20 नवंबर से मनाया जाएगा। ईद-ए-मिलाद/मिलाद-उन-नबी भारत में 20 नवंबर से 21 नवंबर की शाम तक मनाया जाएगा। कुरान के मुताबिक ईद-ए-मिलाद को मौलिद मावलिद के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ होता है पैगंबर के जन्म का दिन। इस दिन रात भर तक मजलिसें (सभाएं) की जाती हैं और पैगंबर मोहम्मद साबह की दी गई शिक्षा को समझा जाता है। मस्जिदों में रातभर नमाज अता करते हैं। घरों की खास सजावट की जाती है और हर तरफ रौशनी बिखेर दी जाती है। गरीबों को दान किया जाता है और उन्हें भोजन कराया जाता है। बड़ी तादाद में सामूहिक सम्मेलनों में पैगंबर मुहम्मद की तारीफ में शायरी और कविताएं पढ़ी जाती हैं। लोग उनके द्वारा दिए गए उपदेशों को याद करते हैं।

लोग नमाज पढ़ने जाते हैं और उसके बाद अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं। बता दें इस दिन जम्मू-कश्मीर में डल झील के पास खास सम्मेलन आयोजित कराया जाता है। वहीं ईद-ए-मिलाद/मिलाद-उन-नबी को लेकर शिया और सुन्नी दोनों के अलग मत हैं। शिया समुदाय पैगंबर हजरत मुहम्मद के जन्म की खुशी में इसे मनाता है और वहीं सुन्नी समुदाय के कुछ फिरकों का मानना है कि ये दिन उनकी मृत्यु का दिन है, इस कारण वो पूरे माह शोक मनाते हैं। हालांकि सुन्नियों में खासतौर पर पैगंबर के जन्मदिन का जश्न बरेलवी समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है।

बता दें पैगंबर हजरत मोहम्मद आखिरी संदेशवाहक और सबसे महान नबी माने जाते हैं, जिन को खुद अल्लाह ने फरिश्ते जिब्रईल द्वारा कुरान का सन्देश दिया था। मुसलमानों के लिए यह बड़ा त्योहार है। बड़े-बड़े जुलूस निकाले जाते हैं। इस दिन पैगंबर मोहम्मद हजरत साहब को पढ़ा जाता है और उन्हे याद किया जाता है। ईद-ए-मिलाद पर लोग अपने घरों में खास तौर पर कुरान जरूर पढ़ते हैं। कई लोग दरगाहों पर भी जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन को नियम से निभाने से लोग अल्लाह के और करीब जाते हैं और उनपर अल्लाह की रहम होती है।