Dussehra Ravan Dahan 2020 Date, Puja Vidhi, Muhurat, Timings, Mantra: हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हर साल दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार की खासियत यह होती है कि इससे बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाया जाता है।
इसी को एक प्रतीकात्मक रूप देने के लिए हर साल रावण दहन किया जाता है। कहते हैं कि रावण दहन के साथ व्यक्ति अपने मन की बुराइयों का नाश करता है और अपनी मन की अच्छाइयों को बढ़ाने का प्रयास करता है। इसलिए हमेशा से ही दशहरा के दिन रावण दहन करने का विधान रहा है। इस साल दशहरा 25 अक्तूबर, रविवार को मनाया जाएगा।
पौराणिक कथाओं में भी बताया गया है रावण दहन का महत्व – रामायण में यह बताया गया है कि रावण की बुराइयों का नाश होने के साथ ही इस दिन का महत्व इसलिए भी बहुत अधिक है क्योंकि उसके साथ व्यक्ति अपने मन की बुराइयों का भी नाश करता है। कहा जाता है कि रावण दहन करने से रोग, शोक, दोष, ग्रहों की विपरीत स्थिति और संकटों से मुक्ति मिलती है। इसलिए कहा जाता है कि दशहरा के दिन रावण दहन जरूर करना चाहिए।
सूर्यास्त के बाद ही किया जाता है रावण दहन – विद्वानों का कहना है कि रावण दहन सूर्यास्त के बाद ही किया जाना चाहिए। बताया जाता है कि पुराणों में भी यह लिखा है कि रावण दहन के लिए रात्रि का समय ही श्रेष्ठ होता है। इसलिए दशहरा पूजन में यह ध्यान रखना चाहिए कि रावण दहन रात्रि में ही किया जाना चाहिए।
द्वापर युग से जुड़ी हैं दशहरा मनाने की वजह – द्वापर युग में जब लंकापति रावण ने देवी सीता का हरण कर लिया था तो उसके पापों का नाश करने के लिए भगवान श्री राम ने उसका वध किया था। तब से ही हर आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को रावण दहन करने की परंपरा है। कहते हैं कि रावण दहन करने से बुराइयों का नाश होता है। कई स्थानों पर यह भी माना जाता है कि बीमारियों और दुखों से निजात पाने के लिए रावण दहन करना चाहिए।