लंकापति रावण के आतंक से पूरा संसार दुखी था। तमाम आसुरी शक्तियों से वह धरती क्या भगवानों को भी अपने वश में करके रखा था। त्रेता युग में जब भगवान राम ने अवतार लिया और रावण का वध किया, इसके बावजूद हम आज भी अगर पुतला दहन करते हैं तो क्यों इससे पहले पूजा अर्चना की जाती है। समस्त हिंदू रीति रिवाज के बाद ही पुतला दहन किया जाता है? इसका जवाब है कि रावण व्यवहार से राक्षसी प्रवृत्ति का था लेकिन ज्ञान, मस्तिष्क, कुल, जाति के तौर पर वह ब्राह्मण था। इसलिए उसके अंत के पश्चात भी हिंदू रीतिरिवाज से ही हर वर्ष पुतला दहन और पूजन भी किया जाता है।
असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा 08 अक्टूबर को मनाया जायेगा। ये त्योहार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के अवतार श्री राम ने रावण का वध किया था। इस पर्व के कुछ दिन बाद दिपावली का त्योहार मनाया जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि इसी दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध कर देवताओं को उसके प्रकोप से मुक्ति दिलाई थी। इस दिन शस्त्र पूजा का भी विधान है। ये दिन नए काम के प्रारंभ करने के लिए भी शुभ माना जाता है।
दशहरा पूजन सामग्री: (vijayadashami 2019, Dussehra Pujan samagri)
दशहरा प्रतिमा, गाय का गोबर, चूना, तिलक, मौली, चावल, फूल, नवरात्रि के समय उगे हुए जौ, केले, मूली, ग्वारफली, गुड़, खीर-पूरी और व्यापार के बहीखाते।
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ऐसी भी मान्यता है कि दशहरा यानि विजया दशमी के दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध कर देवताओं को उसके प्रकोप से मुक्ति दिलाई थी।
दशहरा प्रतिमा, गाय का गोबर, चूना, तिलक, मौली, चावल, फूल, नवरात्रि के समय उगे हुए जौ, केले, मूली, ग्वारफली, गुड़, खीर-पूरी और व्यापार के बही-खाते।
-विजयादशमी के दिन अपने पर या परिवार पर आए नकारात्मक दुष्प्रभाव को खत्म करने के लिए दक्षिण दिशा में मुंह करके हनुमानजी के सामने तिल के तेल का दिया जलाएं और सुंदरकांड का उच्च स्वर में पाठ करें।
विजय दशमी के दिन अचानक आये संकट के नाश के लिए पूर्व दिशा में मुंह करके पीले आसन पर बैठकर श्री रामरक्षा स्तोत्र का 3 बार पाठ करें पाठ करने से पहले तांबे के लोटे में जल भरकर रखें पाठ के बाद यह जल सारे घर में छिड़क दें।
-विजयादशमी पर दिन जमीन जायदाद की समस्या को हल करने के लिए मंगल देव के 21 नामों का लाल आसन पर बैठकर दक्षिण दिशा में मुंह करके पाठ करें।
दशहरा के दिन दोपहर के समय विष्णुस्तोत्र का 3 बार पाठ करें। इसके बाद भगवान विष्णु को केसर का तिलक करें इसी तिलक को प्रसाद के रूप में बच्चों के माथे पर लगाएं।
विजयादशमी के दिन संतान प्राप्ति की बाधा को खत्म करने के लिए पीले आसन पर बैठकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और बच्चों को पीली मिठाई खिलाएं।
विजयादशमी के दिन संतान की उन्नति के लिए 11 हरी दूर्वा की पत्तियां और पांच लाल गुलाब के फूल गं मंत्र का जाप कराकर भगवान गणपति को अर्पण करवाएं।
दोस्तों को दिया हुआ उधार पैसा वापस पाने के लिए विजयादशमी के दिन लक्ष्मी नारायण भगवान को दो कमल के फूल और दो हल्दी की गांठ अर्पण करें। मान्यता है कि ऐसा करने से उधार दिये हुए पैसे वापस मिल जाते हैं।
विजय दशमी के दिन अपनी नौकरी में उन्नति के लिए एक सफेद कच्चे सूत को केसर से रंगे और ॐ नमो नारायण मंत्र का 108 बार जाप करके अपने पास रखें।
व्यापार में फंसे पैसे को पुनः प्राप्ति के लिए आज के दिन शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-नारायण भगवान के मंदिर में खुले पैर जाएं। इसके बाद 11 लाल गुलाब के फूल और चंदन का इत्र और एक कमलगट्टे की माला भगवान लक्ष्मी नारायण को श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं। फिर व्यापार में फंसे हुए धन की प्राप्ति के लिए मन ही मन प्रार्थना करें।
विजया दशमी यानि हर काम में विजय दिलाने वाला दिन। दशमी इसलिए क्योंकि यह दिन अश्विन मास की दशमी को पड़ती है। मान्यता है कि इस दिन मनुष्य अपनी हर प्रकार की मनोकामना पूरी कर सकता है। इसके लिए शास्त्रों में अलग-अलग मंत्र और विधि बताई गई है। आगे जानिए किस मनोकामना पूर्ति के लिए क्या करें...
विजयादशमी यानि दशहरा के दिन देवी अपराजिता, शमी का पेड़ सहित शस्त्र पूजन का विधान है। अपराजिता की पूजा के लिए अक्षत् (अरवा चावल), फूल, दीप इत्यादि के साथ अष्टदल पर अपराजिता देवी की मूर्ति को स्थापित करें। इसके बाद मंत्र बोले- ॐ अपराजितायै नमः। इसके बाद अपराजिता के दाहिने भाग में जया देवी का 'ॐ क्रियाशक्त्यै नमः' मंत्र से और उसके दायीं तरफ विजया देवी का ॐ उमायै नमः मंत्र से स्थापना करें। इसके बाद ही आवाहन और पूजन करें।
दशहरा प्रतिमा, गाय का गोबर, चूना, तिलक, मौली, चावल, फूल, नवरात्रि के समय उगे हुए जौ, केले, मूली, ग्वारफली, गुड़, खीर-पूरी और व्यापार के बहीखाते।
8 अक्टूबर विजय मुहूर्त- 14:04 से 14:50
अपराह्न पूजा समय- 13:17 से 15:36
दशमी तिथि आरंभ- 12:37 (7 अक्टूबर)
दशमी तिथि समाप्त- 14:50 (8 अक्टूबर)
इस दिन वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, सोना, आभूषण, नए वस्त्र खरीदना काफी शुभ होता है। इस दिन से नए काम की शुरुआत करना अच्छा माना जाता है।
जहां रावण को एक बुराई के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है वहीं उसकी महानता भी कम नहीं थी। रावण शक्तिशाली योद्धा, महाज्ञानी, कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ वह महापंडित और मायावी भी था। वह लोगों को इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादुई विद्याओं को बखूबी जानता था।
देशभर में बहुत सी जगहों पर दशहरे के दिन रावण का पुतला दहन किया जाता है। नवरात्र में शुरू होने वाली रामलीला का मंचन दशमी को यानी दशहरा के दिन रावण के पुतला दहन के साथ समाप्त होता है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार समेत पूरे उत्तर भारत में इस दिन आतिशबाजी और एक दूसरे को राम जोहार करने और दोस्त मित्रों के घर जाकर गले मिलने की परंपरा भी है।
कहते हैं कि लंकापति रावण चार वेदों का ज्ञाता था। इसके पास सोने की लंका थी। और इस बात का उसे अपार अहंकार था। रावण खुद को भगवान शिव का बड़ा भक्त मानता था। शिव के प्रति उसकी भक्ति का आंदजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवतांडव स्तोत्र की रचना कर की। इसके अलावा रावण अपनी भक्ति से शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवतांडव के एक-एक मंत्र पर अपना एक-एक सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ाता जाता। शिव के प्रति अगाध भक्ति रहते हुए भी उसे अपने ज्ञान और शक्ति का अहंकार था। रावण के इस दो अहंकार के कारण ही राम के हाथों रावण का वध किया।
- राम रामाय नम:- ॐ अपराजितायै नमः- पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना ।कवन सो काज कठिन जग माहि, जो नहीं होत तात तुम पाहि ॥
सीता ने रावण से कहा की जो व्यक्ति किसी पराई स्त्री पर गलत नजर रखता है और किसी स्त्री की इच्छा के विरुद्ध उसे छुने की कोशिश करता है वह इंसान सबसे बड़ा दुराचारी और पापी होता है। उसे अपने जीवन में पापों की सजा अवश्य मिलती है। उसके पापों का घड़ा एक न एक दिन जरूर फूट जाता है। और ऐसे व्यक्ति को नरक में भी जगह नहीं मिलती।
जैन धर्म के 64 शलाका पुरुषों में रावण की गिनती की जाती है। जैन पुराणों अनुसार महापंडित रावण आगामी चौबीसी में तीर्थंकर की सूची में भगवान महावीर की तरह चौबीसवें तीर्थंकर के रूप में मान्य होंगे। इसीलिए कुछ प्रसिद्ध प्राचीन जैन तीर्थस्थलों पर उनकी मूर्तियां भी प्रतिष्ठित हैं।
इस खास दिन महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा करनी चाहिए क्योंकि इससे आपकी सारी बाधाओं का जहां नाश होगा वहीं जीवन में आपकी तरक्की के नए रास्ते खुलेंगे। इस दिन अस्त्र की भी पूजा की जाती है। ऐसा करने से उस अस्त्र शस्त्र से किसी को हानि नहीं पहुंचती है।
दशहरा प्रतिमा, गाय का गोबर, चूना, तिलक, मौली, चावल, फूल, नवरात्रि के समय उगे हुए जौ, केले, मूली, ग्वारफली, गुड़, खीर-पूरी और व्यापार के बहीखाते।
- दशहरे वाले दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान कर लें। गेहूं या चूने से दशहरा की प्रतिमा बनाएं।
गाय के गोबर से 9 गोले बना लें। इन्हें कंडे भी कहा जाता है।
- कंडों पर जौ और दही लगाएं। इस दिन कई जगहों पर भगवान राम की झाकियों पर जौ चढ़ाई जाती है तो कई जगह लड़के के कान पर जौ रखने का रिवाज होता है।
-गोबर से दो कटोरियां बनाएं। एक कटोरी में कुछ सिक्के रखें दूसरे में रोली, चावल, फल और जौ रखें।
-अब बनाई गई प्रतिमा को केले, मूली, ग्वारफली, गुड़ और चावल अर्पित करें और धूप दीपक दिखाएं।
-बहीखातों पर फूल, जौ, रोली और चावल चढ़ाएं।
- इस दिन ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराकर दक्षिणा दें।
- रावण दहन के पश्चात् सोना पत्ती का वितरण करें और घर के बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करें।
दशहरा 2019 तारीख- 8 अक्टूबर
विजय मुहूर्त- 14:04 से 14:50
अपराह्न पूजा समय- 13:17 से 15:36
दशमी तिथि आरंभ- 12:37 (7 अक्टूबर)
दशमी तिथि समाप्त- 14:50 (8 अक्टूबर)
दशहरे के दिन कई जगहों पर रावण दहन का विशाल आयोजन किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि रावण के पुतले को जलाकर हर इंसान को अपने अंदर की बुराईयों को खत्म करना चाहिए। इस दिन से नए काम की शुरुआत करना अच्छा माना जाता है। इस दिन वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, सोना, आभूषण, नए वस्त्र खरीदना काफी शुभ होता है।
- राम रामाय नम:- ॐ अपराजितायै नमः- पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना ।कवन सो काज कठिन जग माहि, जो नहीं होत तात तुम पाहि ॥