आज देश भर में दशहरे का पर्व मनाया जा रहा है। ये त्योहार हर साल शारदीय नवरात्रि की समाप्ति के अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन रावण दहन करने की परंपरा है। ये त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भगवान श्री राम की अराधना की जाती है। इसी दिन नवरात्रि के दौरान स्थापित की गई मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है। विजय दशमी के दिन अस्त्र-शस्त्र पूजन करने की भी परंपरा है। दशहरे पर श्री राम की पूजा के समय इस आरती को उतारना न भूलें।

Shri Ram Ji Ki Aarti: यहां पढ़े श्री रामचंद्र जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी

आरती कीजै रामचन्द्र जी की।
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥

पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला॥

दूसरी आरती देवकी नन्दन।
भक्त उबारन कंस निकन्दन॥

तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्‍‌न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥

चौथी आरती चहुं युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥

पांचवीं आरती राम को भावे।
रामजी का यश नामदेव जी गावें॥

स्तुति प्रभु श्री राम:
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

श्री राम जी के मंत्र:

-ऊॅं रां रामाय नम:
-ऊॅं रामचंद्राय नम:
-ऊॅं रामचंद्राय नम:
-ॐ जानकी वल्लभाय स्वाहा’
-दीन दयाल बिरिदु संभारी, हरहु नाथ मम संकट भारी’