नवरात्रि के 9वें (Navratri Day 9) और आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री (Maa Sidhidatri) की पूजा का विधान है। मां अम्बे की इस रूप में उपासना करने से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो जाती है। मार्कण्डेयपुराण में आठ प्रकार की सिद्धियां बताई गई हैं जो इस प्रकार है- अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वशित्व। मां सिद्धिदात्री की कृपा से ये संपूर्ण सिद्धियाँ उपासकों को प्राप्त हो जाती हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था और मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। जिस कारण वे लोक में ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए।

Happy Durga Navami 2019: Maha Navami Wishes Images, Wallpaper, Photos, Status, Quotes, Messages and Pics

Durga Navami 2019 Puja Vidhi, Muhurat, Timings:

नवमी तिथि प्रारंभ – 06 अक्टूबर सुबह 10:54 AM से
नवमी तिथि समाप्त – 07 अक्टूबर सुबह 12:38 PM तक
नवमी तिथि हवन मुहूर्त – 07 अक्टूबर को प्रात: 06:22 से 12:37 तक

Happy Durga Navami Wishes Images, Photos, Wallpapers, Messages: इन मैसेज के जरिए आप अपनों को करें विश

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Highlights

    09:41 (IST)07 Oct 2019
    माता सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र से करें उनका ध्यान

    देवी प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोस खिलस्य प्रसीद विश्वेतरि पाहि विश्वं त्वमीश्चरी देवी चराचरस्य।

    09:07 (IST)07 Oct 2019
    कन्या पूजन के साथ बटुक पूजन की भी हैं पौराणिक मान्यता

    कन्याओं के बीच बैठा एक बालक बटुक भैरव का रूप माना जाता है। मान्‍यता है कि भगवान शिव ने हर शक्ति पीठ में माता की सेवा के लिए बटुक भैरव को तैनात किया हुआ है। यही वजह है कि अगर किसी शक्‍ति पीठ में मां के दर्शन के बाद भैरव के दर्शन न किए जाएं तो दर्शन अधूरे माने जाते हैं।

    08:28 (IST)07 Oct 2019
    महा नवमी पर कन्या पूजन के साथ ऐसे करें व्रत सम्पन्न

    -कन्‍याओं को घऱ पर निमंत्रित करने के बाद जब वो पधार जाएं तो सबसे पहले उन्हें बैठने के किए आसन दें।
    -इसके बाद एक एक करके सभी कन्याओं के दोनों पैर शुद्ध जल से धोएँ।
    -कुंवारी कन्याओं के पैर धोने के बाद उन्हें अक्षत सहित चन्दन का टीका लगाएं।
    -फिर इसके पश्चात उनकी बाएं हाथ में मौली (कलावा) बांधें।
    -फिर कन्याओं को दीपक से आरती कर यथाशक्ति उनके भोग लगाएं।
    -कन्याओं को भोग लगाने के बाद उन्हें भोजन के लिए बुलाएं। कन्याओं को भोजन में आमतौर पर पूरी, चना और हलवा प्रदान किए जाते हैं।
    -कन्याओं को भोजन कराने के बाद उन्हें यथाशक्ति दक्षिणा के रूप में द्रव्य (रुपए) और उनका पसंदीदा चीज उपहार में देकर सम्मानपूर्वक विदा करें।
    -कन्याओं को विदा करने से पहले उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लें।

    08:03 (IST)07 Oct 2019
    इस उम्र की कन्याओं का पूजन माना गया है श्रेष्ठ

    नवरात्रि के नौवें दिन कन्या पूजन का विधान है। जो भक्त नवरात्रि के दौरान व्रत रखते हैं वे इस दिन कन्या पूजन के साथ व्रत-पूजन सम्पन्न करते हैं। कन्या पूजन के लिए शास्त्रों में (देवी भागवत पुराण) खास उम्र की कन्याओं का वर्णन किया गया है। कन्या पूजन के लिए 2 वर्ष से बड़ी और 10 वर्ष से छोटी आयु की कन्याओं को निमंत्रित करना चाहिए। मान्यता है कि दो साल की कन्या कुमारी, तीन साल की त्रिमूर्ति, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छ: साल की कालिका, सात साल की चंडिका, आठ साल की शाम्भवी, नौ साल की दुर्गा की स्वरूप होती हैं। भक्तों को कन्या पूजन के वक्त इन कन्याओं का नाम याद रखना चाहिए।

    05:16 (IST)07 Oct 2019
    अब इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए हवन प्रारंभ करें:

    ओम आग्नेय नम: स्वाहा, ओम गणेशाय नम: स्वाहा, ओम गौरियाय नम: स्वाहा, ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा, ओम दुर्गाय नम: स्वाहा, ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा, ओम हनुमते नम: स्वाहा, ओम भैरवाय नम: स्वाहा, ओम कुल देवताय नम: स्वाहा,ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा, ओम ब्रह्माय नम: ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा, स्वाहा, ओम विष्णुवे नम: स्वाहा, ओम शिवाय नम: स्वाहा, ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुति स्वाहा, ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा, ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।

    05:15 (IST)07 Oct 2019
    दुर्गा नवमी पर हवन के साथ संपन्न करें व्रत

    नवरात्रि में नौ दिनों का उपवास और पूजा अर्चना के बाद अंतिम दिन हवन किया जाता है। इसके तहत उन सभी देवी देवताओं का आवाह्नन करने का उद्देश्य रहता है जिनके कारण आपका जीवन सीधे प्रभावित होता है। इसके अलावा वैज्ञानिक कारणों से भी हवन को हमेशा से अच्छा कहा गया है। तो आइए जानते हैं कैसे दुर्गा नवमी पर हवन के साथ व्रत संपन्न करें...

    इन हवन सामग्री को जुटा लें: आम की सूखी लकड़ी, घी, अक्षत, तिल जौ, हवन सामग्री बना बनाया लाना चाहें तो वो भी कर सकते हैं। उसमे तमाम औषधियों के तने, पत्ते, छाल का मिश्रण होता है। इसके अलावा एक सूखा नारियल या गोला, कलावा या लाल रंग का कपड़ा और एक हवन कुंड।

    21:08 (IST)06 Oct 2019
    भगवान शंकर ने मां सिद्धिदात्री से ही हासिल की थी सिद्धि

    मार्कण्डेय पुराण मां सिद्धिदात्री के बारे में विस्तार से वर्णन है कि संसार में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व कुल आठ सिद्धियां हैं। देवी मां दुर्गा के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री के पास ही भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां देने का समर्थ्य है। देवी पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को हासिल किया था। भगवान शिव का आधा शरीर देवी स्वरूप में परिवर्तित हुआ था और वह संसार में अर्धनारीश्वर के रूप में प्रसिद्ध हुए थे।

    19:23 (IST)06 Oct 2019
    MahaNavami 2019: नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन से पहले इन मंत्रों का उच्चारण करें

    रौद्रायै नमो नित्ययै गौर्य धात्र्यै नमो नमः।
    ज्योत्यस्त्रायै चेन्दुरुपिण्यै सुखायै सततं नमः ॥
     
    कल्याण्यै प्रणतां वृद्धयै सिद्धयै कुर्मो नमो नमः।
    नैर्ऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः ॥
    18:44 (IST)06 Oct 2019
    नवमी के दिन हवन करने का महत्व:

    नवरात्रि के समापन के लिए ही नवमी पूजन के दिन हवन किया जाता है। इस दिन दुर्गासप्तशती के नवें अध्याय को पढ़कर मां का पूजन किया जाता है। नवरात्रि के इस आखिरी दिन देवी समेत उनके वाहन, हथियार, योगनियों और अन्य देवी देवताओं के नां से हवन करने का विधान है।

    18:44 (IST)06 Oct 2019
    हवन सामग्री: Maha Navmi 2019

    नवमी वाले दिन हवन के लिए धूमन की लकड़ी, अक्षत, तिल, घी, बेलपत्र, गुग्गुल, सुगंधित पदार्थ, किशमिष, छुहारा, नारियल, जौ, मखाना, मूंगफली, शहद सबकुछ मिलाकर हवन सामग्री बना लें। इसके बाद एक हवन कुंड बना लें।

    18:09 (IST)06 Oct 2019
    नवरात्रि में आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जानिए शुभ मुहूर्त-

    नवरात्रि में महा-अष्टमी के साथ ही महा नवमी की तिथि लग रही है। नवमी के शुरू होने की तिथि 6 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 54 मिनट है। जबकि यह 7 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। आइए जानते हैं अमृत काल और अभिजित मुहूर्त जब आप कन्या पूजन से लेकर हवन इत्यादि कर सकते हैं।

    अमृत काल मुहूर्त- सुबह 10 बजकर 24 मिनट से 12 बजकर 10 मिनट तक(7 अक्टूबर 2019)
    अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर12 बजकर 32 मिनट तक (7 अक्टूबर)

    18:04 (IST)06 Oct 2019
    Maha Navami 2019: Kanya Pujan Time and Muhurt

    नवरात्रि 2019 में इस साल नवमी तिथि महा-अष्टमी के दिन से ही लग रही है। 6 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 54 मिनट पर नवमी के शुरू होने की तिथि है। वहीं 7 अक्टूबर को दोपहर 12.38 बजे पर नवमी तिथि समाप्त हो जाएगी।

    17:59 (IST)06 Oct 2019
    दुर्गा पूजा हवन की विधि:

    हवन शुरू करने से पहले गंगाजल से सभी सामग्रियों को पवित्र कर लें। इसके बाद हवनकुंड में आम की सूखी लकड़ियां रखें और ज्वाला प्रज्जवलित कीजिए। अब घी का प्रयोग करते हुए ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चै नमः’मंत्र जाप से माता के नाम से आहुति दें फिर सभी देवी-देवताओं के नाम से भी 3 या 5 बार आहुति दें। इसके बाद हवन सामग्री से हवन करें। आखिर में खीर और शहद मिलाकर हवन करना चाहिए। हवन के बाद आरती करें और हवन का भभूत सभी लोग लगाएं। इसके बाद कन्याओं को भोजन कराएं।

    17:59 (IST)06 Oct 2019
    मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि:

    आदि शक्ति दुर्गा के नवें स्वरूप को सिद्धि दात्री के नाम से इस संसार में पूजा जाता है। इनकी पूजा से अष्ट सिद्धियां प्राप्त हो जाती है। रोज की तरह ही इस दिन भी मां की विधि विधान पूजा करें। उनके मंत्रों का जाप कर कथा सुनें और आरती उतारें। सुगन्धित पुष्प नैवेद्य में खीर व हलवे का प्रसाद तथा श्रीफल चढ़ाने का विशेष विधान है। इस दिन देवी की पूजा करने के बाद नौ कन्याओं का और एक बालक का पूजन करें, उन्हें भोजन खिलाएं और अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा करें।

    17:58 (IST)06 Oct 2019
    कन्या पूजन विधि:

    कन्या पूजन के लिए नौ कन्याओं और एक लड़के को घर बुलाएं। कन्याओं की उम्र 2 से 10 साल के बीच होनी चाहिए। कन्याओं को भोजन कराने से पहले घर अच्छे से साफ कर लें। भोजन में हलवा, चना और पूरी खिलाया जाता है। कन्याओं के घर में प्रवेश करने पर मां के जयकारे लगाएं। फिर सभी बालिकाओं के पैरे धोएं। उनके माथे पर रोली लगाकर हाथ पर कलावा बांधे। कन्याओं की घी के दीपक से आरती उतारें। उसके बाद उन्हें भोजन कराएं। फिर अपने सामर्थ्य अनुसार उन्हें उपहार दें। आखिर में उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

    17:58 (IST)06 Oct 2019
    महाभारत काल में भी हुई थी मां सिद्धिदात्री की पूजा

    नवरात्रि में मां दुर्गा के नवम अवतार मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। अगले दिन विजया दशमी का पर्व मनाया जाता है। नवमी पर नौ कन्याओं के पूजन के साथ उन्हें भोग लगाया जाता है। इसी दिन नवरात्रि व्रत का पारण किया जाता है। शास्त्रों में मान्यता है कि इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षक का वध किया था। भविष्य पुराण में श्रीकृष्ण और धर्मराज युधिष्ठिर के संवाद में दुर्गाष्टमी और महानवमी के पूजन का उल्लेख है। इससे पता चलता है कि महानवमी के दिन युगों-युगों से मां दुर्गा की अराधना होती आ रही है।