चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन यानि कि अष्टमी को दुर्गा मां के महागौरी रूप की पूजा की जाती है। मां महागौरी की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और श्रद्धालु जीवन में पवित्र और अक्षय पुण्यों को प्राप्त करते हैं। महाष्टमी के दिन देवी की पूजा के बाद कन्या पूजन का भी विधान है। इस बार महाष्टमी 1 अप्रैल को है। महागौरी की पूजा अत्‍यंत कल्‍याणकारी और मंगलकारी है। ऐसा माना जाता है कि सच्‍चे मन से अगर महागौरी को पूजा जाए तो सभी संचित पाप नष्‍ट हो जाते हैं जानिए नवरात्रि के आठवें दिन की पूजा विधि, व्रत कथा, आरती, मंत्र, मुहूर्त…

पूजा विधि: सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र रखें और यंत्र की स्थापना करें। मां सौंदर्य प्रदान करने वाली हैं। हाथ में सफेद पुष्प लेकर मां का ध्यान करें। अब मां की प्रतिमा के आगे दीपक चलाएं और उन्हें फल, फूल, नैवेद्य आदि अर्पित करें। इसके बाद देवी मां की आरती उतारें। अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए नहीं तो 2 कन्याओं की पूजा करें। कन्याओं की आयु 2 साल से ऊपर और 10 साल से अधिक न हो। कन्याओं को दक्षिणा देने के बाद उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें। लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण बाहर से कन्याओं को घर पर बुलाना संभव नहीं है तो ऐसे में कैसे करें पूजा जानिए…

Chaitra Ashtami 2020: कोरोना लॉकडाउन का पालन करते हुए जानिए कैसे करें दुर्गाष्टमी की घर पर पूजा, क्या है सामग्री

ध्यान: 
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

मां महागौरी की कथा: भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा। महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं। देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं “सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।”

महागौरी जी से संबंधित एक अन्य कथा भी प्रचलित है इसके जिसके अनुसार, एक सिंह काफी भूखा था, वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रही होती हैं। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गयी परंतु वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया। इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो गया। देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आई और मां ने उसे अपना वाहन बना लिया, क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं।

मां महागौरी की आरती: 

जय महागौरी जगत की माया ।
जय उमा भवानी जय महामाया ॥

हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहा निवास ॥

चंदेर्काली और ममता अम्बे
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥

भीमा देवी विमला माता
कोशकी देवी जग विखियाता ॥

हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥

सती ‘सत’ हवं कुंड में था जलाया
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥

बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥

तभी मां ने महागौरी नाम पाया
शरण आने वाले का संकट मिटाया ॥

शनिवार को तेरी पूजा जो करता
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥

‘चमन’ बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो ॥

मां महागौरी के मंत्र:

श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

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Highlights

    11:46 (IST)01 Apr 2020
    स्तोत्र पाठ:

    सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
    ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
    सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
    डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
    त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
    वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

    11:17 (IST)01 Apr 2020
    इस दिन जरूर करें कन्या पूजन...

    सप्‍तमी से ही कन्‍या पूजन का महत्व है। लेकिन, जो भकग्त पूरे नौ दिन का व्रत करते हैं वे तिथियों के मुताबिक नवमी और दशमी को कन्‍या पूजन करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण कर व्रत खत्म करते हैं। शास्‍त्रों में भी बताया गया है कि कन्‍या पूजन के लिए दुर्गाष्टमी के दिन को सबसे अहम और शुभ माना गया है।

    10:50 (IST)01 Apr 2020
    अम्बे तू है जगदम्बे काली आरती...

    अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
    तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

    तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी। दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके सिंह सवारी॥
    सौ-सौ सिहों से है बलशाली, अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती।
    ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

    माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता। पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
    सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली, दुखियों के दुखड़े निवारती।
    ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

    नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना। हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥
    सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली, सतियों के सत को संवारती।
    ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

    चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली। वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
    मैया भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली, भक्तों के कारज तू ही सारती।
    ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती, हम सब उतारे तेरी आरती॥

    10:07 (IST)01 Apr 2020
    महाष्टमी और महानवमी की हवन साम्रगी...

    एक सूखा नारियल या गोला, कलावा या लाल रंग का कपड़ा और एक हवन कुंड। इसके अतिरिक्त आम की लकड़ी, तना और पत्ता, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुलैठी की जड़, पीपल का तना और छाल, बेल, नीम, पलाश, गूलर की छाल, कर्पूर, तिल, चावल, लौंग, गाय का घी, गुग्गल, लोभान, इलायची, शक्कर और जौ।

    09:42 (IST)01 Apr 2020
    महागौरी को लगाएं नारियल का भोग :

    माता महागौरी को नारियल का भोग अत्यधिक प्रिय है। यही वजह है कि माता रानी को नारियल का भोग लगाया जाता है। नारियल का भोग लगाने से घर में सुख एवं समृद्धि का आगमन होता है।

    09:25 (IST)01 Apr 2020
    दुर्गाष्टमी के दिन किया जाता है कन्या पूजन?

    कई जगह दुर्गाष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। मां को हलवा-पूरी और चने का भोग लगाया जाता है। लेकिन भारत में कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के चलते कन्या पूजन सही नहीं है। ऐसे में आप घर में ही पूजा कर मां को हलवा पूरी का भोग लगा लें। कन्याओं की जगह मां के नौ रुपों की प्रार्थना कर उन्ही को कन्या पूजन कर लें। देवी महागौरी अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं।