दिवाली पूजन शुभ मुहूर्त में करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। कहते हैं जो व्यक्ति दिवाली वाले दिन विधि विधान महालक्ष्मी की पूजा करता है उसके जीवन में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। लेकिन कोई भी पूजा पाठ अगर शुभ मुहूर्त में किया जाए तो उससे मिलने वाला फल दोगुना हो जाता है। यहां आप जानेंगे नई दिल्ली, पुणे, गुरुग्राम, नोएडा, पटना, अहमदाबाद समेत अन्य शहरों में दिवाली पूजन का कौन सा मुहूर्त रहेगा सबसे शुभ और क्या है लक्ष्मी पूजा की विधि।
दिवाली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अमावस्या तिथि की शुरुआत 4 नवंबर को सुबह 06:03 बजे से हो रही है और इसकी समाप्ति 5 नवंबर को 02:44 AM पर होगी। लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:09 बजे से शुरू होकर रात 08:04 बजे तक रहेगा। यानी इस मुहूर्त की कुल अवधि 01 घण्टा 56 मिनट की है।
चौघड़िया पूजा मुहूर्त:
प्रातः मुहूर्त (शुभ) – 06:35 AM से 07:58 AM
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 10:42 AM से 02:49 PM
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 04:11 PM से 05:34 PM
सायाह्न मुहूर्त (अमृत, चर) – 05:34 PM से 08:49 PM
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 12:05 AM से 01:43 AM, 05 नवम्बर तक
शहरों में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त:
नई दिल्ली 06:09 PM से 08:04 PM
नोएडा 06:08 PM से 08:04 PM
पुणे 06:39 PM से 08:32 PM
जयपुर 06:17 PM से 08:14 PM
चेन्नई 06:21 PM से 08:10 PM
गुरुग्राम 06:10 PM से 08:05 PM
हैदराबाद 06:22 PM से 08:14 PM
चण्डीगढ़ 06:07 PM से 08:01 PM
मुम्बई 06:42 PM से 08:35 PM
कोलकाता 05:34 PM से 07:31 PM
बेंगलूरु 06:32 PM से 08:21 PM
अहमदाबाद 06:37 PM से 08:33 PM
दिवाली 2021 पूजा सामग्री: लकड़ी की चौकी, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां/चित्र, चौकी को ढकने के लिए लाल या पीला कपड़ा, कुमकुम, हल्दी, चंदन, रोली, अक्षत, साबुत नारियल अपनी भूसी के साथ, पान और सुपारी, अगरबत्ती, दीपक के लिए घी, पीतल का दीपक या मिट्टी का दीपक, कपास की बत्ती, पंचामृत, गंगाजल, कलश, पुष्प, फल, आम के पत्ते, जल, कपूर, कलाव, साबुत गेहूं के दाने, दूर्वा घास, धूप, जनेऊ, दक्षिणा (नोट और सिक्के), एक छोटी झाड़ू, आरती थाली। (यह भी पढ़ें- दिवाली पर ऐसे करें मां लक्ष्मी का पूजन, जानिए शुभ मुहूर्त, मंत्र और आरती)
लक्ष्मी पूजन सरल विधि:
-दिवाली वाले दिन भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर, देवी सरस्वती की पूजा होती है।
-दिवाली वाले दिन लक्ष्मी पूजा से पहले घर को अच्छे से सजा लें।
-घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं।
-तोरण द्वार में सजाएं और दरवाजे के दोनों तरफ शुभ-लाभ और स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
-शाम के समय शुभ मुहुर्त में दिवाली पूजन की तैयारी करें।
-पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछा लें।
-चौकी पर गंगाजल का छिड़काव करें और उस पर देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, माता सरस्वती और कुबेर देवता की मूर्ति स्थापित करें।
-चौकी के पास जल से भरा कलश भी रख दें।
-फिर शुभ मुहूर्त में पूजा विधि विधान लक्ष्मी पूजन करें।
-भगवान को फल और मिठाई अर्पित करें।
-धूप दीप जलाकर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की आरती उतारें।
-घर के सभी हिस्सों में सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
-एक बड़ा सरसों के तेल का दीपक और एक घी का दीपक पूजा स्थान पर जलाएं।
दिवाली पूजा मंत्र:
मां लक्ष्मी मंत्र-
ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
सौभाग्य प्राप्ति मंत्र-
ऊं श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
कुबेर मंत्र-
ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दा
-दिवाली के दिन अशोक वृक्ष की जड़ का पूजन करने से घर में धन-संपत्ति की वृद्धि होती है।
-दीपावली के दिन पानी का नया घड़ा लाकर पानी भरकर रसोई में कपड़े से ढंककर रखने से घर में बरक्कत और खुशहाली बनी रहती है।
दिवाली पर महालक्ष्मी के पूजन में पीली कौड़ियां रखें. इससे धन संबंधी सभी परेशानियां दूर होंगी।
दिवाली वाले दिन शिवलिंग पर अक्षत यानी चावल चढ़ाएं. ध्यान रहे सभी चावल पूर्ण होने चाहिए।
दिवाली के दिन सुबह गन्ना लाकर रात में लक्ष्मी पूजन के दौरान गन्ने की भी पूजा करना शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
दिवाली की रात पांच सुपारी (साबुत), काली हल्दी, पांच कौड़ी गंगाजल से धोकर लाल कपड़े में बांधकर लक्ष्मी पूजन के समय चांदी की कटोरी या थाली में रखकर पूजा करें। दिवाली के दूसरे दिन इसे धन रखने वाली जगह या तिजोरी में रखना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी का घर पर वास होता है।
पुरातन कथाओं के अनुसार माना जाता है कि राक्षसों और देवताओं के बीच हुए समुद्र मंथन में लक्ष्मी भी निकली थी। उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या तिथि थी। इसलिए दीवाली के दिन लक्ष्मी की पूजा की जाती है। वहीं दूसरी यह भी माना जाता है कि मनुओं का समय बीतने पर धरती पर प्रलय होने के बाद जब सृष्टि का फिर से संचालन कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को ही हुआ था। एक मान्यता यह भी है कि कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को लक्ष्मी और विष्णु भगवान का विवाह हुआ था।
1. स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर सभी देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए.
2. शाम के समय पूजा घर में लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्तियों को एक चौकी पर स्वस्तिक बनाकर स्थापित करना चाहिए.
3. मूर्तियों के सामने एक जल से भरा हुआ कलश रखना चाहिए. इसके बाद मूर्तियों के सामने बैठकर हाथ में जल लेकर शुद्धि मंत्र का उच्चारण करते हुए उसे मूर्ति पर, परिवार के सदस्यों पर और घर में छिड़कना
4. अब फल, फूल, मिठाई, दु्र्वा, चंदन, घी, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला आदि सामग्रियों का प्रयोग करते हुए पूरे विधि-विधान से लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए।
5. इनके साथ-साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, मां काली और कुबेर क भी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय 1 छोटे दीप और एक बड़ा दीप जलाना चाहिए।
दिवाली पूजन के वक्त मूर्तियों की स्थापना भी ध्यान से करनी चाहिए, उन्हें एक निश्चित क्रम में रखना चाहिए। बाएं से दाएं भगवान गणेश, लक्ष्मी जी, भगवान विष्णु, मां सरस्वती और मां काली की मूर्तियों को रखें। इसके बाद लक्ष्मण जी, श्रीराम और मां सीता की मूर्ति की स्थापना करें।
1. दिवाली के दिन पूजा रात के विशेष मुहू्र्त में की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है और घर में मां लक्ष्मी का वास होता है।
2. दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के समय घर के सभी सदस्य एकत्रित रहें।
3. घर के ईशान कोण में ही लक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए।
4. पूजा-पाठ बिना आसन नहीं करना चाहिए।
5. आरती के बाद उसे दोनों हाथ से ग्रहण करना चाहिए।
दिवाली के दिन मां लक्ष्मी को भोग में चावल और दूध की या पंच मेवा खीर का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से सुख और सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। इसके अलावा पूजा में मां लक्ष्मी को बताशा और मखाने का भी भोग लगाना चाहिए, इससे व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। दिपावली पर सिंघाड़े और नारियल का भोग भी लगा सकते हैं, इनसे संकट दूर होता है और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
घर के अंदर और बाहर किसी तरह गंदगी नहीं होनी चाहिए। दिवाली के दिन किसी भी गरीब या जरूरतमंद को दरवाजे से खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए। पूजा में सफेद रंग के पुष्प का प्रयोग करना चाहिए। हो सके तो कमल का फूल का इस्तेमाल करना चाहिए।
दिवाली का त्योहार देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। दिवाली के दिन शाम को गणेश-लक्ष्मी पूजन किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार दिवाली के दिन रात को माता लक्ष्मी स्वर्ग से पृथ्वी पर भम्रण पर आती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।
दिवाली के दिन झाड़ू खरीदना शुभ फल प्रदायक माना जाता है। जो लोग धनतेरस पर झाड़ू की खरीदारी नहीं कर पाएं हैं वो दिवाली पर झाड़ू खरीद सकते हैं।
देहरादून- 06 बजकर 04 मिनट - 07 बजकर 59 मिनट तक
नैनीताल- 06 बजकर 01 मिनट - 07 बजकर 55 मिनट तक
अल्मोड़ा- 05 बजकर 58 मिनट - 07 बजकर 54 मिनट तक
ऋषिकेश- 06 बजकर 03 मिनट - 07 बजकर 58 मिनट तक
लुधियाना - 06 बजकर 11 मिनट - 08 बजकर 06 मिनट तक
जालंधर- 06 बजकर 12 मिनट - 08 बजकर 06 मिनट तक
पटियाला- 06 बजकर 10 मिनट - 08 बजकर 05 मिनट तक
कानपुर- 06 बजकर 01 मिनट - 07 बजकर 88 मिनट तक
बनारस - 05 बजकर 53 मिनट - 07 बजकर 50 मिनट तक
प्रयागराज- 05 बजकर 57 मिनट - 07 बजकर 54 मिनट तक
मथुरा- 05 बजकर 53 मिनट - 07 बजकर 49 मिनट तक
दिवाली वाले दिन समुंद्र मंथन के दौरान क्षीरसागर से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं और उन्होंने भगवान विष्णु को पति के रूप में स्वीकार किया था।
दिवाली वाले दिन महालक्ष्मी की विधि विधान पूजा करने से ग्रह दोष के दुष्प्रभाव दूर होने के साथ-साथ सुख-सुविधाओं में भी बढ़ोतरी होती है।
पुरानी मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि, यदि दिवाली की रात किसी को उल्लू, छिपकली, छछूंदर आदि दिख जाये तो व्यक्ति का सोया भाग्य जाग जाता है और ऐसे व्यक्ति के जीवन पर माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रही है।
तामसिक भोजन न करें। किसी से झूठ न बोलें। जुआ न खेलें। किसी से उधार न ही लें और न दें। गन्दगी में न रहें।
दिवाली का दिन वृषभ राशि, कर्क राशि, तुला राशि, धनु राशि के लिए शुभ रहने वाला है। इन चार राशियों पर माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा रहने वाली है।
शुद्धोदक स्नानं :
शुद्ध जल से स्नान निम्न मंत्र बोलते हुए कराएँ-
गंगा च यमुना चैव गोदावरी सरस्वती ।
नर्मदा सिंधु कावेरी स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ॥ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(शुद्ध जल से स्नान कराएँ।) अब आचमन हेतु जल दें-
शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।
लक्ष्मी जी की आरती :
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
प्रदोष काल में महालक्ष्मी पूजन का महत्व
कार्तिक अमावस्या तिथि पर महालक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। दिवाली पर अमावस्या के दिन प्रदोष काल होने पर लक्ष्मी पूजन का विधान होता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को कहा जाता है। यह समय लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उत्तम और श्रेष्ठ माना गया है। इसके अलावा प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है। इस दौरान जब वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि लग्न में उदित हों तब माता लक्ष्मी का पूजन किया जाना चाहिए।
दिवाली लक्ष्मी पूजन का महत्व:
दिवाली का त्योहार मां लक्ष्मी की कृपा पाने का सबसे बड़ा और खास मौका होता है। सभी को दिवाली का इंतजार बेसब्री से रहता है। मान्यता है कि दिवाली की रात को ही माता लक्ष्मी सभी पर सबसे ज्यादा अपनी कृपा बरसाती हैं। शास्त्रों में कहा जाता है कि कार्तिक अमावस्या की रात को देवी लक्ष्मी स्वर्ग से सीधे धरती पर आती हैं और हर घर में जाती हैं। जिन घरों में साफ-सफाई, प्रकाश और विधि-विधान से देवी-देवताओं की पूजा -आराधना व मंत्रों पाठ होता है मां लक्ष्मी वहीं पर निवास करने लगती हैं। जिस कारण से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, वैभव और धन की कभी भी कमी नहीं होती है।
लक्ष्मी पूजन
धन, संपत्ति अर्थात पैसा वर्तमान में मनुष्य की सबसे बड़ी जरुरत है। पैसे से ही मनुष्य के जीवन की तमाम भौतिक जरुरतें पूरी होती हैं। धन, संपत्ती, समृद्धि का एक नाम लक्ष्मी भी है। लक्ष्मी जो कि भगवान विष्णु की पत्नी हैं। मान्यता है कि मां लक्ष्मी की कृपा से ही घर में धन, संपत्ती समृद्धि आती है। जिस घर में मां लक्ष्मी का वास नहीं होता वहां दरिद्रता घर कर लेती है। इसलिये मां लक्ष्मी का प्रसन्न होना बहुत जरुरी माना जाता है और उन्हें प्रसन्न करने के लिये की जाती है मां लक्ष्मी की पूजा। आइये आपको बताते हैं कि क्या है लक्ष्मी पूजन की विधि और पूजा के के लिये चाहिये कौनसी सामग्री?
ये उपाय जरूर कर लें
माता महालक्ष्मी की प्रतिमा की स्थापना करें। उनके सामने घी का चौमुखी दीपक जलाएं। माता को सफेद मिठाई अर्पित करें। माता को गुलाबी धागा भी अर्पित करें। इसके बाद श्री सूक्तम का पाठ करें। अगर सोलह बार पाठ कर सकें तो बहुत ही उत्तम होगा। इसके बाद गुलाबी धागा अपनी कलाई या गले में धारण करें। कहते हैं कि भगवान विष्णु ने इस दिन लक्ष्मी जी की प्राप्ति का मार्ग बताया था। इस व्रत को गजलक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है। गजलक्ष्मी व्रत के दिन हाथी की पूजा और महालक्ष्मी के गजलक्ष्मी स्वरूप की पूजा की जाती है।
दिवाली के दिन नमक का पैकेट खरीदने की मान्यता है। माना जाता है कि इस दिन नमक खरीदकर उसी नमक से खाना बनाने पर घर में धन संपत्ति की वृद्धि होती है।