27 अक्टूबर को देश भर में दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है। रोशनी से भरे इस त्योहार में शुभ मुहूर्त में देवी लक्ष्मी, सरस्वती, भगवान गणेश और कुबेर की पूजा का विधान है। शास्त्रों में कहा गया है कि कार्तिक कृष्ण अमावस्या को प्रदोष काल में स्थिर लग्न में दिवाली पूजन करने से अन्न-धन की प्राप्ति होती है। जो लोग तंत्र विद्या से देवी की पूजा करते हैं उन्हें आधी रात के समय यानी निशीथ काल में पूजा करनी चाहिए। जानिए पूजा के शुभ मुहूर्त…
Diwali Puja Muhurat (दिवाली पूजा मुहूर्त) :
प्रदोष काल मुहूर्त:
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 06:43 पी एम से 08:15 पी एम
अवधि – 01 घण्टा 32 मिनट्स
प्रदोष काल – 05:41 पी एम से 08:15 पी एम तक
वृषभ काल – 06:43 पी एम से 08:39 पी एम तक
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 27, 2019 को 12:23 पी एम बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त – अक्टूबर 28, 2019 को 09:08 ए एम बजे तक
चौघड़िया पूजा मुहूर्त :
दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 01:30 पी एम से 02:53 पी एम तक
सायाह्न मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 05:41 पी एम से 10:30 पी एम तक
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 01:42 ए एम से 03:18 ए एम (अक्टूबर 28)
उषाकाल मुहूर्त (शुभ) – 04:54 ए एम से 06:30 ए एम (अक्टूबर 28)

Highlights
सबसे पहले माता लक्ष्मी का ध्यान करेंः ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी। गम्भीरावर्त-नाभिः, स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।। लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः। ज-खचितैः, स्नापिता हेम-कुम्भैः। नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व-मांगल्य-युक्ता।।
कलावा, रोली, सिंदूर, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, एक नारियल, पांच सुपारी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, लौंग, पान के पत्ते, घी, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाइयां, पूजा आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली। कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 11:40 पी एम से 12:32 ए एम (अक्टूबर 28)
अवधि - 00 घण्टे 51 मिनट्स
निशिता काल - 11:40 पी एम से 12:32 ए एम (अक्टूबर 28)
सिंह लग्न - 01:13 ए एम से 03:31 ए एम (अक्टूबर 28)
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 27, 2019 को 12:23 पी एम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त - अक्टूबर 28, 2019 को 09:08 ए एम बजे
पूजन शुरू करने से पहले भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के विराजने के स्थान पर सुंदर रंगोली बना लें। जिस चौकी पर पूजन कर रहे हैं उसके चारों कोने पर एक-एक दीपक जला लें। प्रतिमा स्थापित करने वाले स्थान पर अक्षत यानी साबुत चावल रखें फिर गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करें। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश के साथ कुबेर, सरस्वती जी एवं काली माता की पूजा का भी विधान है। इसी के साथ पूजा स्थान पर भगवान विष्णु और राम दरबार की मूर्ति भी जरूर रखें।