कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग बर्तन और सोना-चांदी से बनी चीजें खरीदते हैं। जिसकी दिवाली वाले दिन पूजा की जाती है। इस दिन इन समान की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। दिवाली से दो दिन पहले आने वाले इस पर्व का खास महत्व है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ-साथ यमराज की पूजा भी की जाती है। साल 2019 में धनतेरस 25 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। जानिए धनतेरस का महत्व और पौराणिक कथा…

इसलिए मनाया जाता है धनतेरस पर्व: शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के समय कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार माने जाते हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने ये अवतार लिया था। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।

मां लक्ष्मी की आरती (Laxmi/Lakshmi Aarti)

धनतेरस से संबंधित सभी जानकारी जानने के लिए बने रहिए इस ब्लॉग पर…

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17:36 (IST)25 Oct 2019
धनतेरस पर सोने-चांदी की खरीदारी इसलिए की जाती है:

सोना भगवान धन्वंतरी और कुबेर की धातु मानी जाती है। इसे खरीदने और घर में रखने से आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। इसलिए धनतेरस के दिन इसकी खरीदारी करने की परंपरा है। चांदी चंद्रमा की धातु है। जो चंद्रमा की तरह ही शीतलता और ठंडक प्रदान करती है। जिससे मन में संतोष रुपी धन का वास होता है। इस दिन चांदी खरीदने से घर में यश, ऐश्वर्य और संपदा में वृद्धि होती है।

16:17 (IST)25 Oct 2019
धनतेरस के दो सबसे शुभ मुहूर्त :

शाम 04:17 से 05:35 तक

रात 09:00 से 10:25 तक

15:27 (IST)25 Oct 2019
घर की चौखट पर जलाएं दीये

धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में ही सोना खरीदने से लेकर पूजा करने की मान्यता है। आज के दिन भगवान धन्वंतरि की भी पूजा होती है। इसके अलावा मान्यता है कि आज के दिन घर की चौखट के दोनों ओर दीये जलाना चाहिए। इससे दरिद्रता दूर होती है और लक्ष्मी का मार्ग प्रशस्त होता है।

14:38 (IST)25 Oct 2019
धनतेरस के दिन किस प्रकार पूजा उपासना करें?

संध्याकाल में उत्तर की ओर कुबेर और धनवंतरि की स्थापना करें - दोनों के सामने एक एक मुख का घी का दीपक जलाएं - कुबेर को सफेद मिठाई और धनवंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं - पहले "ॐ ह्रीं कुबेराय नमः" का जाप करें - फिर "धन्वन्तरि स्तोत्र" का पाठ करें - प्रसाद ग्रहण करें - पूजा के बाद दीपावली पर कुबेर को धन स्थान पर और धन्वन्तरि को पूजा स्थान पर स्थापित करें

13:56 (IST)25 Oct 2019
Dhanteras Puja Muhurat (धनतेरस पूजा मुहूर्त) :

त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 25, 2019 को 07:08 पी एम बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त - अक्टूबर 26, 2019 को 03:46 पी एम बजे
प्रदोष काल - 05:43 पी एम से 08:16 पी एम
वृषभ काल - 06:51 पी एम से 08:47 पी एम
धनतेरस पूजा मुहूर्त - 07:08 पी एम से 08:16 पी एम
अवधि - 01 घण्टा 08 मिनट्स

13:03 (IST)25 Oct 2019
धनतेरस के दिन क्‍या सावधानियां बरतें?

- धनतेरस के दिन स्‍वच्‍छ घर में ही भगवान धन्‍वंतरि, माता लक्ष्‍मी और मां कुबेर का स्‍वागत करें।
- धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने के बाद घर लाते समय उसे खाली न लाएं और उसमें कुछ मीठा जरूर डालें। अगर बर्तन छोटा है तो अपने साथ मीठा लेकर आएं।
- धनतेरस के दिन तिजोरी में अक्षत रखे जाते हैं। ध्‍यान रहे कि अक्षत खंडित न हों यानी कि टूटे हुए अक्षत नहीं रखने चाहिए।
- इस दिन उधार लेना या उधार देना सही नहीं माना जाता है।

12:21 (IST)25 Oct 2019
धनतेरस पर क्या करें ?

क्या खास करें- इस दिन अपने घर की सफाई अवश्य करें। इस दिन अपने सामर्थ्य अनुसार किसी भी रूप में चांदी एवं अन्य धातु खरीदना अति शुभ है। धन संपत्ति की प्राप्ति हेतु कुबेर देवता के लिए घर के पूजा स्थल पर दीप दान करें एवं मृत्यु देवता यमराज के लिए मुख्य द्वार पर भी दीप दान करें।

12:05 (IST)25 Oct 2019
धनतेरस पर घर की चौखट पर दीप जरूर जलाएं

धनतेरस पर मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का भी जनक कहते हैं। तो अगर आपको घर में निरोग, सुख संपन्नता और धन धान्य चाहिए तो आज इनकी पूजा के साथ अपने मुख्य द्वार पर इन देवों का स्वागत भी करें। चावल के उपर दीप रखकर चौखट के दोनों ओर जलाएं।

11:21 (IST)25 Oct 2019
धनतेरस पर कुबेर की होती है पूजा ये हैं मंत्र :

कुबेर मंत्र को दक्षिण की ओर मुख करके ही सिद्ध किया जाता है।

1 . अति दुर्लभ कुबेर मंत्र इस प्रकार है- मंत्र- ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।

2.विनियोग- अस्य श्री कुबेर मंत्रस्य विश्वामित्र ऋषि:वृहती छन्द: शिवमित्र धनेश्वरो देवता समाभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोग:

3. मनुजवाह्य विमानवरस्थितं गुरूडरत्नानिभं निधिनाकम्।
शिव संख युक्तादिवि भूषित वरगदे दध गतं भजतांदलम्।।

4.अष्टाक्षर मंत्र- ॐ वैश्रवणाय स्वाहा:

5.पंच त्रिंशदक्षर मंत्र- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धनधान्या समृद्धि देहि मे दापय दापय स्वाहा।

10:37 (IST)25 Oct 2019
Dhanteras Shopping : राशि के हिसाब से करें धनतेरस की खरीददारी :

राशि के हिसाब से करें धनतेरस की खरीददारी
मेष: ड्रेस, इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद, चांदी व तांबे के बर्तन।
वृष: तांबे व चांदी के गोलाकार बर्तन।
मिथुन: स्वर्ण आभूषण, स्टील के बर्तन और हरे रंग के घरेलू सामान।
कर्क: चांदी के आभूषण व चांदी के ही बर्तन।
सिंह: वाहन, तांबे के बर्तन व वस्त्र।
कन्या: भगवान सिद्धि विनायक की प्रतिमा, सोने व चांदी के आभूषण, मंदिर में स्थापित करें कलश।
तुला: घर सज्जा के सदस्य, सौंदर्य प्रंसाधन व चांदी के बर्तन।
वृश्चिक: इलेक्ट्रिकल उत्पाद व सोने के आभूषण।
धनु: स्वर्ण आभूषण, तांबे के बर्तन।
मकर: वस्त्र, वाहन, चांदी के बर्तन।
कुंभ: सौंदर्य के सामान, स्वर्ण, पांव में पहनने के लिए जूते।
मीन: स्वर्ण आभूषण व पीतल के बर्तन।

10:17 (IST)25 Oct 2019
धनतेरस पूजा करने का शुभ महुर्त :

शाम 7.10 से लेकर 8.15 बजे
प्रदोष काल : 5.42 से 8.15 बजे
वृषभ काल : 6.51 बजे से 8.46 बजे

10:01 (IST)25 Oct 2019
धनतेरस पर खरीदारी और पूजा के मुहूर्त

सुबह 8:10 से 10:35 तक

सुबह 11:42 से दोपहर 12:20 तक

दोपहर 12:10 से 01:20 तक

शाम 04:17 से 05:35 तक

रात 09:00 से 10:25 तक

09:48 (IST)25 Oct 2019
यम की भी करें पूजा..

इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। घर के दरवाजे पर यमराज के लिए दीप देने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। आयु दीर्घ होती है। परिवार में खुशहाली आती है।

09:37 (IST)25 Oct 2019
ऐसे रुकेंगी मां लक्ष्मी आपके घर..

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को प्रदोषकाल में धनतेरस की पूजा की जाती है। इस दिन पूरे विधि- विधान से देवी लक्ष्मी को खुश करने की कोशिश की जाती है। धन के देवता कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन प्रदोषकाल में लक्ष्मी जी की पूजा करने से वह घर में वास करती हैं।

08:44 (IST)25 Oct 2019
भारत के अलावा देश विदेश में धनतेरस की पूजा, जानें विशेष समय...

धनतेरस 2019 : भारत में लोगों के साथ-साथ विदेशों में भी 25 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। पूजा शाम 7:08 बजे से शाम 8:22 बजे तक चलेगी। पूजा की पूरी अवधि लगभग 1 घंटा और 14 मिनट होगी। यह पूरे भारत के साथ-साथ देश के बाहर भी पांच दिनों तक चलने वाले दिवाली उत्सव का पहला दिन है।

07:09 (IST)25 Oct 2019
धनतेरस आज, शाम को 2 घंटे हैं खरीदारी के लिए सबसे शुभ

आज 25 अक्टूबर को धनतेरस है। आज के दिन न सिर्फ खरीदारी को शुभ माना गया है बल्कि घर में दीपक भी जलाया जाता है। आज मां लक्ष्मी के साथ भगवान धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है। उन्हें आयुर्वेद का जनक भी कहा जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार आज शाम 5.36 बजे से रात 8.02 बजे तक धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त है। आज के दिन आप बर्तन, जेवर, इलेक्ट्रिक सामान, अलमारी और भगवान लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति भी खरीद सकते हैं।

05:37 (IST)25 Oct 2019
देश भर में आज मनाया जाएगा धनतेरस, जानें कब करें शुभ और फलदायी पूजा

देश भर में आज धनतेरस मनाया जाएगा। बाजार में रौनक देखने को मिलेगी। खरीददारी के लिए लोग उमड़ेंगे। पूजा से लेकर सजावट तक की दुकानों पर भारी भीड़ देखी जाएगी। धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी में शुभ लग्न सुबह 7:08 मिनट से शुरू होकर 26 अक्टूबर को दोपहर में 3:46 बजे तक है। इस कारण इस बीच की गयी खरीदारी शुभ और फलदायी होगी। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिये श्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल एवं वृष लग्न शाम 5:39 बजे से 8:47 बजे तक रहेगा। 

00:21 (IST)25 Oct 2019
धनतेरस पर इस शुभ योग में करें पूजा, बनेंगे फंसे हुए काम

सुबह 09 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर पूरा दिन पूरी रात पार करके अगली सुबह 06 बजकर 03 मिनट तक इंद्र योग रहेगा। इस दौरान पूजा करना बेहद लाभकारी है।

23:42 (IST)24 Oct 2019
धनतेरस पर कतई न भूलें इन चीजों को खरीदना

धनतेरस पर झाड़ू खरीदने की प्रथा है ऐसा माना जाता है झाड़ू मां लक्ष्मी को बहुत ही प्रिय होती है। इसके अलावा धनतेरस पर सोना,चांदी, पीतल, स्टील से बनी चीजें खरीदें। यह शुभता का प्रतीक हैं।

23:13 (IST)24 Oct 2019
Dhanteras Muhurat Timings:धनतेरस की आरती

मां लक्ष्‍मी की आरतीॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता ।तुमको निसदिन सेवत,हर विष्णु विधाता ॥ उमा, रमा, ब्रम्हाणी,तुम ही जग माता ।सूर्य चद्रंमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता ॥॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

21:07 (IST)24 Oct 2019
Shubh Muhurt for Gold Purchase on Dhanteras: कब करें सोने चांदी की खरीदारी

25 अक्टूबर यानी धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी में शुभ लग्न सुबह 7:08 मिनट से शुरू होकर 26 अक्टूबर को दोपहर में 3:46 बजे तक है। इस कारण इस बीच की गयी खरीदारी शुभ और फलदायी होगी। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिये श्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल एवं वृष लग्न शाम 5:39 बजे से 8:47 बजे तक रहेगा।

20:30 (IST)24 Oct 2019
धनतेरस पूजा मुहूर्त:

धनतेरस पूजा शुक्रवार, अक्टूबर 25, 2019 पर

धनतेरस पूजा मुहूर्त - 07:08 पी एम से 08:16 पी एम

अवधि - 01 घण्टा 08 मिनट्सयम दीपम

शनिवार, अक्टूबर 26, 2019 को

प्रदोष काल - 05:43 पी एम से 08:16 पी एम

वृषभ काल - 06:51 पी एम से 08:47 पी एम

त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 25, 2019 को 07:08 पी एम बजे

त्रयोदशी तिथि समाप्त - अक्टूबर 26, 2019 को 03:46 पी एम बजे

20:20 (IST)24 Oct 2019
धनतेरस पर कौन से उपाय करने से मिलेगा लाभ?

धनतेरस के दिन धन्वंतरि का पूजन करना चाहिए. साथ ही नवीन झाडू एवं सूपड़ा खरीदकर भी उनका पूजन करना चाहिए। इस दिन सायंकाल दीपक प्रज्वलित कर घर, दुकान आदि को श्रृंगारित करना फलदायी साबित होता है। इस दिन लोग मंदिर, गोशाला, नदी के घाट, कुओं, तालाब, बगीचों में भी दीपक लगाएं।

19:40 (IST)24 Oct 2019
Dhanteras 2019: धनतेरस के मौके पर जानें उससे जुड़ी बातें

धनतेरस के दिन आरोग्‍य के देवता और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्‍वंतरि की पूजा की जाती है। मान्‍यता है कि इस दिन धन्‍वंतरि की पूजा करने से आरोग्‍य और दीर्घायु प्राप्‍त होती है। इस दिन भगवान धन्‍वंतर‍ि की प्रतिमा को धूप और दीपक दिखाएं। साथ ही फूल अर्पित कर सच्‍चे मन से पूजा करें।

19:16 (IST)24 Oct 2019
Happy Dhanteras 2019: धनतेरस पर इन चीजों की न करें खरीदारी

धनतरेस के दिन लोहा, ​कांच और एल्युमिनियम के बर्तन नहीं खरीदना चाहिए। इससे आपके ग्रहों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जब भी कोई बर्तन खरीद कर लाएं तो उसमें अन्न आदि रखकर लाएंं। खाली बर्तन घर में नहीं लाना चाहिए। इसके अलावा आपको धनतेरस के दिन काले रंग से बचना चाहिए। यह अशुभ माना जाता है।

18:51 (IST)24 Oct 2019
Dhanteras 2019: धनतेरस पर कैसे करें पूजा, जानिए विधि

- सबसे पहले एक लाल रंग का आसन बिछाएं और इसके बीचों बीच मुट्ठी भर अनाज रखें।
- अनाज के ऊपर स्‍वर्ण, चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश रखें. इस कलश में तीन चौथाई पानी भरें और थोड़ा गंगाजल मिलाएं।
- अब कलश में सुपारी, फूल, सिक्‍का और अक्षत डालें. इसके बाद इसमें आम के पांच पत्ते लगाएं।
- अब पत्तों के ऊपर धान से भरा हुआ किसी धातु का बर्तन रखें।
- धान पर हल्‍दी से कमल का फूल बनाएं और उसके ऊपर मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा रखें. साथ ही कुछ सिक्‍के भी रखें।

18:06 (IST)24 Oct 2019
Dhanteras 2019 Puja Vidhi: धनतेरस मनाएं जानें से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। इस दिन संध्‍या के समय घर के मुख्‍य दरवाजे के दोनों ओर अनाज के ढेर पर मिट्टी का बड़ा दीपक रखकर उसे जलाएं। दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करें: 

मृत्‍युना दंडपाशाभ्‍यां कालेन श्‍याम्‍या सह।
त्रयोदश्‍यां दीप दानात सूर्यज प्रीयतां मम।।

17:46 (IST)24 Oct 2019
Happy Dhanteras 2019: धनतेरस कब और क्यों मनाया जाता है, जानिए

धनतेरस का पर्व हर साल दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है। हिन्‍दू कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक मास की तेरस यानी कि 13वें दिन धनतेरस मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह पर्व हर साल अक्‍टूबर या नवंबर महीने में आता है। इस बार धनतेरस 25 अक्‍टूबर को है।

16:28 (IST)24 Oct 2019
धनतेरस पर सुख समृद्धि के लिए इस मंत्र का किया जाता है जाप :

गृहस्थों को इसी अवधि के मध्य 'ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नमः। मंत्र से षोडशोपचार विधि द्वारा पूजन अर्चन करना चाहिए। धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है और शाम के समय घर के मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ दीपक जलाया जाता है।

15:54 (IST)24 Oct 2019
धनतेरस के दिन इन चीजों की जरूर करें खरीदारी :

धनतेरस पर सोना,चांदी, पीतल, स्टील से बनी चीजें खरीदना शुभ रहता है। इन चीजों को खरीदने से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। धनतेरस पर झाड़ू खरीदने की प्रथा है ऐसा माना जाता है झाड़ू मां लक्ष्मी को बहुत ही प्रिय होती है।

14:52 (IST)24 Oct 2019
धनतेरस के दिन इस धातु के बर्तन नहीं खरीदे जाते:

धनतेरस के शुभ दिन पर एल्युमिनियम का बर्तन भी खरीदना अशुभ माना जाता है। इसका संबंध भी राहु से है यही कारण कि एल्युमिनियम का प्रयोग पूजा-पाठ में नहीं किया जाता। साथ ही एल्युमिनियम के बर्तन में खाना बनाना भी सेहत के लिए भी काफी नुकासानदायक है।

13:59 (IST)24 Oct 2019
ऐसे करें धनतेरस के दिन पूजा :

धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठें और अपने सभी नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद धन्वंतरि की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थल में स्थापित करें। इस बात का ध्यान रहें कि भगवान की मूर्ति ऐसी जगह स्थापित करें जिससे आपका मुख पूर्व की तरह रहे। इसके बाद हाथ में फूल और अक्षत लेकर धन्वंतरि का आवाहन करें-

सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।

इसके बाद चावल और आचमन के लिए जल चढाएं। इसके बाद भगवान को गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि लगाएं। साथ ही चांदी या फिर किसी भी तरह के बर्तन में खीर का भोग लगाएं। भोग के बाद फिर आचमन करें। फिर उनके मुख की शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं। भगवान धन्वंतरि को वस्त्र अर्पित करें। साथ ही शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वंतरि को अर्पित करें। इसके बाद रोग नाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें-
ऊं रं रूद्र रोग नाशाय धनवंतर्ये फट्।।
इसके बाद भगवान धन्वंतरि को दक्षिणा और श्रीफल चढ़ाएं। और सबसे बाद में भगवान की कपूर से आरती करें।

13:14 (IST)24 Oct 2019
धनतेरस पूजा सामग्री :

धूप बत्ती (अगरबत्ती), चंदन, कपूर, केसर, यज्ञोपवीत 5, कुंकु, चावल, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, सौभाग्य द्रव्य- मेहँदी, चूड़ी, काजल, पायजेब, बिछुड़ी आदि आभूषण, नाड़ा, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला, कमलगट्टे, धनिया खड़ा, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, कुशा व दूर्वा, पंच मेवा, गंगाजल शहद (मधु) और शकर घृत (शुद्ध घी), दही, दूध, ऋतुफल (गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े इत्यादि), नैवेद्य या मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि), -इलायची (छोटी) लौंग, मौली, इत्र की शीशी, तुलसी दल, सिंहासन (चौकी, आसन), -पंच पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते), औषधि (जटामॉसी, शिलाजीत आदि), लक्ष्मीजी का पाना (अथवा मूर्ति), गणेशजी की मूर्ति।

12:22 (IST)24 Oct 2019
धनतेरस पर बन रहे हैं शुभ संयोग:

धनतरेस के दिन सुबह 09 बजकर 56 मिनट तक ब्रह्म योग रहेगा | अगर आपको कोई शांतिपूर्वक कार्य करना हो, तो ब्रह्म योग में करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी | साथ ही सुबह 09 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर पूरा दिन पूरी रात पार करके अगली सुबह 06 बजकर 03 मिनट तक इंद्र योग रहेगा | अगर आप राजनीती से जुड़े है या राज्य पक्ष का कोई कार्य रुका हो तो उसे इस योग में पूरा करने का प्रयास करेंगे तो पूर्ण होगा । इसके अलावा दोपहर पहले 11 बजे तक पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र रहेगा | माना जा रहा है कि ऐसा संयोग कई सालों बाद बन रहा है।

11:46 (IST)24 Oct 2019
क्यों मनाया जाता है धनतेरस का पर्व :

माना जाता है कि धनतेरस के दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। इसलिए धनतेरस को धन्वन्तरि जी के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है । भगवान धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक माने जाते हैं। इसलिए इस दिन चिकित्सकों के लिये विशेष महत्व रखता है। कुछ समय से इस दिन को 'राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस' के रूप में भी मनाया जाने लगा है। जैन धर्म में धनतेरस को ''धन्य तेरस या ध्यान तेरस'' भी कहते हैं। क्यूंकि इस दिन भगवान महावीर ध्यान में गए थे और तीन दिन बाद दिवाली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुए थे।

11:04 (IST)24 Oct 2019
धनतेरस पूजा विधि :

धनतेरस पर शाम के वक्त उत्तर की ओर कुबेर और धनवंतरी की स्थापना करनी चाहिए। दोनों के सामने एक-एक मुख का घी का दीपक जरूर जलाना चाहिए। धनतेरस के दिन कुबेर को सफेद मिठाई और धनवंतरी को पीली मिठाई चढ़ाना भी शुभ माना जाता है। इस दिन सबसे पहले "ॐ ह्रीं कुबेराय नमः" का जाप करें और इसके बाद "धनवंतरी स्तोत्र" का पाठ करना चाहिए।

10:49 (IST)24 Oct 2019
धनतेरस की पौराणिक कथा और इतिहास (Dhanteras Katha/Story/history In Hindi) :

धनतेरस से जुड़ी कथा है कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन देवताओं के कार्य में बाधा डालने के कारण भगवान विष्णु ने असुरों के गुरु शुक्राचार्य की एक आंख फोड़ दी थी। कथा के अनुसार, देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गए। शुक्राचार्य ने वामन रूप में भी भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से आग्रह किया कि वामन कुछ भी मांगे उन्हें इंकार कर देना। वामन साक्षात भगवान विष्णु हैं जो देवताओं की सहायता के लिए तुमसे सब कुछ छीनने आए हैं। बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी। वामन भगवान द्वारा मांगी गई तीन पग भूमि, दान करने के लिए कमंडल से जल लेकर संकल्प लेने लगे। बलि को दान करने से रोकने के लिए शुक्राचार्य राजा बलि के कमंडल में लघु रूप धारण करके प्रवेश कर गए। इससे कमंडल से जल निकलने का मार्ग बंद हो गया। वामन भगवान शुक्रचार्य की चाल को समझ गए। भगवान वामन ने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमण्डल में ऐसे रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई। शुक्राचार्य छटपटाकर कमण्डल से निकल आए।

10:49 (IST)24 Oct 2019
धनतेरस की पौराणिक कथा और इतिहास (Dhanteras Katha/Story/history In Hindi) :

इसके बाद बलि ने तीन पग भूमि दान करने का संकल्प ले लिया। तब भगवान वामन ने अपने एक पैर से संपूर्ण पृथ्वी को नाप लिया और दूसरे पग से अंतरिक्ष को। तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं होने पर बलि ने अपना सिर वामन भगवान के चरणों में रख दिया। बलि दान में अपना सब कुछ गंवा बैठा। इस तरह बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिली और बलि ने जो धन-संपत्ति देवताओं से छीन ली थी उससे कई गुना धन-संपत्ति देवताओं को मिल गई। इस उपलक्ष्य में भी धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।

10:23 (IST)24 Oct 2019
यम दीपम समय :

धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस का दिन धन्वन्तरि त्रयोदशी या धन्वन्तरि जयन्ती, जो कि आयुर्वेद के देवता का जन्म दिवस है, के रूप में भी मनाया जाता है। इसी दिन परिवार के किसी भी सदस्य की असामयिक मृत्यु से बचने के लिए मृत्यु के देवता यमराज के लिए घर के बाहर दीपक जलाया जाता है जिसे यम दीपम के नाम से जाना जाता है और इस धार्मिक संस्कार को त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है।

यम दीपम समय : शाम 06 से 07 पी एम

09:44 (IST)24 Oct 2019
धनतेरस की पूजा विधि :

धनतेरस के दिन भगवान धन्‍वंतरि, मां लक्ष्‍मी, भगवान कुबेर और यमराज की पूजा का विधान है। मान्‍यता है कि इस दिन धन्‍वंतरि की पूजा करने से आरोग्‍य और दीर्घायु प्राप्‍त होती है। इस दिन भगवान धन्‍वंतरि की प्रतिमा को धूप और दीपक दिखाएं। साथ ही फूल अर्पित कर सच्‍चे मन से पूजा करें। धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। इस दिन संध्‍या के समय घर के मुख्‍य दरवाजे के पर एक बड़ा दीपक रखकर उसे जलाएं। ध्यान रखें कि दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करें:

मृत्‍युना दंडपाशाभ्‍यां कालेन श्‍याम्‍या सह|
त्रयोदश्‍यां दीप दानात सूर्यज प्रीयतां मम ||